बिहारः जज पर पुलिसकर्मियों के हमले का हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया, पुलिस संघ ने की जांच की मांग

मामला मधुबनी ज़िले का है, जहां बीत हफ्ते एक मामले की सुनवाई के दौरान दो पुलिसकर्मी अदालत कक्ष के भीतर दाख़िल हुए और झंझारपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार पर कथित तौर पर बंदूक तान दी और उन पर हमला कर दिया.

पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)

मामला मधुबनी ज़िले का है, जहां बीत हफ्ते एक मामले की सुनवाई के दौरान दो पुलिसकर्मी अदालत कक्ष के भीतर दाख़िल हुए और झंझारपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार पर कथित तौर पर बंदूक तान दी और उन पर हमला कर दिया.

पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)

मधुबनीः बिहार पुलिस संघ (बीपीए) ने झंझारपुर की सबडिविजनल अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे-1) पर दो पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर हमला करने के मामले की उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की है.

यह घटना 18 नवंबर की है. एक मामले की सुनवाई के दौरान दो पुलिसकर्मी अदालत कक्ष के भीतर दाखिल हुए और झंझारपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार पर कथित तौर पर बंदूक तान दी और उन पर हमला कर दिया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना के कुछ घंटों के भीतर ही पटना हाईकोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और चीफ जस्टिस संजय करोल ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था और मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया.

चीफ जस्टिस के निर्देश पर मौजूदा मामले को विशेष सुनवाई के लिए इस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया.

मधुबनी के सत्र न्यायाधीश ने बताया कि 18 नवंबर को दोपहर लगभग दो बजे घोघरडीहा पुलिस थाने के एसएचओ गोपाल कृष्ण और सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा जबरन न्यायाधीश अविनाश कुमार-1 के चैंबर में घुसे और उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी सर्विस रिवॉल्वर भी निकाली और वे अधिकारी पर हमला करना चाहते थे. हालांकि, इस बीच अदालत के कुछ कर्मचारी और वकील वहां पहुंचे और इस वजह से न्यायाधीश की जान बच गई.

जस्टिस रजन गुप्ता और जस्टिस मोहित कुमार शाह की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, प्रथमदृष्टया लगता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है.

इस संबंध में बीपीए ने शुक्रवार को मधुबनी जिले के सभी थाना प्रभारियों (एसएचओ) की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें घटना की उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की गई और इस फैसले से बीपीए प्रमुख मृत्युंजय सिंह, बीपीए की मधुबनी इकाई के कोषाध्यक्ष अरुण कुमार को अवगत कराया गया.

कुमार ने बताया, ‘पूरी जांच के बाद सच्चाई सामने आनी चाहिए. यदि पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए लेकिन अदालत परिसर में पुलिसकर्मियों की पिटाई करने वालों के खिलाफ भी मामले दर्ज होने चाहिए. हम चाहते हैं कि न्याय मिले. सभी के लिए कानून समान है.’

उन्होंने कहा कि किसी ने नहीं देखा कि जज के साथ क्या हुआ लेकिन घायल पुलिसकर्मियों और उनकी वर्दी पर खून के धब्बों को सभी ने देखा. हम सिर्फ न्याय करना चाहते हैं.

इस घटना को अभूतपूर्व और चौंकाने वाला बताते हुए जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस मोहित कुमार शाह की पीठ ने डीजीपी को 29 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में मौजूद रहने का भी निर्देश दिया.

बता दें कि मधुबनी के प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पटना हाईकोर्ट को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि 18 नवंबर को दोपहर लगभग दो बजे घोघरडीहा थाना के प्रभारी गोपाल कृष्ण और अवर निरीक्षक अभिमन्यु कुमार शर्मा झंझारपुर में पदस्थापित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार के कक्ष में घुसकर उनके खिलाफ अपशब्द कहने लगे.

न्यायाधीश अविनाश द्वारा विरोध करने पर दोनों पुलिसकर्मियों ने उनके साथ न केवल बदसलूकी की बल्कि हमला करने का भी प्रयास किया.

दोनों पुलिसकर्मियों ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल ली और न्यायाधीश पर हमला करने का प्रयास कर थे कि इसी बीच अदालत के कुछ कर्मचारी और अधिवक्ता के पहुंच जाने से न्यायाधीश की जान बच गई. स्थानीय पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया.

हाईकोर्ट की पीठ ने प्रथमदृष्टया इस प्रकरण को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा मानते हुए राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 29 नवंबर निर्धारित की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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