बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करने की केंद्र की शक्ति को चुनौती देते हुए याचिका दाख़िल

सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के बजाय 50 किमी अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ़्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र ने हाल में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है. 

(फाइल फोटो: पीटीआई)

सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के बजाय 50 किमी अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ़्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र ने हाल में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गई है.

सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के बजाय 50 किमी अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र ने हाल में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है.

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस आर. भारद्वाज की खंडपीठ ने इस विषय पर बीएसएफ के प्राधिकारी को नोटिस भेजने का निर्देश दिया.

पीठ ने निर्देश दिया कि विषय को सुनवाई के लिए 14 दिसंबर को अदालत के समक्ष रखा जाए.

याचिकाकर्ता के वकील सब्यसाची चटर्जी के मुताबिक, जनहित याचिका (पीआईएल) में दावा किया गया है कि बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 के उपबंध-आई के तहत बल के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध है.

मालूम हो कि बीते 17 नवंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था.

प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है.

इसमें कहा गया है कि अधिसूचना बीएसएफ एक्ट के प्रावधानों को पार करती है, जिससे राज्य पुलिस और बीएसएफ के बीच समन्वय का मुद्दा आएगा.

पश्चिम बंगाल के अलावा पंजाब सरकार ने भी केंद्र के इस फैसले पर आपत्ति जताई है.

बीते 11 नवंबर को पंजाब विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. विधानसभा ने केंद्र के इस कदम को ‘संघीय ढांचे पर हमला’ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी.

प्रस्ताव में कहा था, ‘भारत के संविधान के अनुसार, कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इस उद्देश्य के लिए पंजाब सरकार पूरी तरह से सक्षम है. केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने का निर्णय पंजाब की पुलिस और लोगों के प्रति अविश्वास की अभिव्यक्ति है. यह उनका अपमान है.’

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अधिनियम में संशोधन किया है, जिसके बाद यह सुरक्षा बल पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के दायरे तक के बजाय अब 50 किमी अंदर तक तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सकता है.

वहीं, पाकिस्तान की सीमा से लगते गुजरात के क्षेत्रों में यह दायरा 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया है तथा राजस्थान में 50 किलोमीटर तक की क्षेत्र सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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