दिल्ली में ख़राब होती वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार को 24 घंटों के अंदर वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के सुझाव देने का निर्देश देते हुए आगाह किया कि यदि प्राधिकारी प्रदूषण को काबू करने में असफल रहते हैं, तो उसे असाधारण कदम उठाना पड़ेगा.

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30 नवंबर 2021 को स्मॉग से घिरा दिल्ली का विजय चौक. (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार को 24 घंटों के अंदर वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के सुझाव देने का निर्देश देते हुए आगाह किया कि यदि प्राधिकारी प्रदूषण को काबू करने में असफल रहते हैं, तो उसे असाधारण कदम उठाना पड़ेगा.

30 नवंबर 2021 को स्मॉग से घिरा दिल्ली का विजय चौक. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को प्रदूषण काबू करने के लिए 24 घंटे में सुझाव देने का निर्देश देते हुए गुरुवार को कहा कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में खराब होती वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा.

न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकारों से कहा, ‘आप हमारे कंधे पर रखकर बंदूक नहीं चला सकते. हम आपकी नौकरशाही में रचनात्मकता नहीं ला सकते.’

साथ ही उसने आगाह किया कि यदि प्राधिकारी प्रदूषण को काबू करने में असफल रहते हैं, तो उसे असाधारण कदम उठाना पड़ेगा.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि उसने प्रदूषण का स्तर नीचे लाने के लिए जमीनी स्तर पर गंभीर प्रयास किए जाने की अपेक्षा की थी.

पीठ ने कहा, ‘हमें लगता है कि कोई कदम नहीं उठाया जा रहा, क्योंकि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. हमें लगता है कि हम अपना समय व्यर्थ कर रहे हैं… हम आपको 24 घंटे दे रहे हैं. हम चाहते हैं कि आप इस समस्या पर गहन विचार करें और गंभीरता के साथ कोई समाधान निकालें.’

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय की चिंताओं से निपटने के उपायों के बारे में पीठ को अवगत कराने के लिए एक और दिन देने का अनुरोध किया. इसके बाद, पीठ ने कहा, ‘श्रीमान मेहता, हम आपसे गंभीर कदम की अपेक्षा करते हैं. यदि आप ऐसा नहीं कर सकते, तो हम ये कदम उठाएंगे. हम आपको 24 घंटे का समय दे रहे हैं.’

शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार न्यायालय के कंधों पर बंदूक रखकर गोली नहीं चला सकती, बल्कि उसे समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए.

न्यायालय ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर असंतोष जताया और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के लिए उसे दी गई शक्तियों के बारे में पूछा.

पीठ ने कहा, ‘हम कदम उठाने के बावजूद प्रदूषण काबू नहीं कर पा रहे. आप बताइए कि इस आयोग में कितने सदस्य हैं.’ मेहता ने बताया कि आयोग में 16 सदस्य हैं. उसके बाद उन्होंने इस संबंध में निर्देश लेने के लिए समय मांगा.

मेहता ने कहा, ‘कृपया मुझे मंत्री से बात करने दीजिए. उच्चाधिकारी भी उतने ही चिंतित हैं. शक्ति संरचना पर एक नए सिरे से काम करने की जरूरत है. मुझे (उनसे बात करके) आने की अनुमति दीजिए.’

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि इस मामले में एक कार्यबल गठित किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरएफ नरीमन को इसका अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

पीठ ने कहा कि वह शुक्रवार पूर्वाह्न 10 बजे मामले में आगे की सुनवाई करेगी.

इससे पहले कोर्ट ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ मुहिम को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह लोकलुभावन नारा होने के अलावा और कुछ नहीं है.

पीठ ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने पिछली सुनवाई में घर से काम करने, लॉकडाउन लागू करने और स्कूल एवं कॉलेज बंद करने जैसे कदम उठाने के आश्वासन दिए थे, लेकिन इसके बावजूद बच्चे स्कूल जा रहे हैं और वयस्क घर से काम कर रहे हैं.

पीठ ने कहा, ‘बेचारे युवक बैनर पकड़े सड़क के बीच खड़े होते हैं, उनके स्वास्थ्य का ध्यान कौन रख रहा है? हमें फिर से कहना होगा कि यह लोकलुभावन नारे के अलावा और क्या है?’

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं.

इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘यह प्रदूषण का एक और कारण है, रोजाना इतने हलफनामे.’

पीठ ने कहा, ‘हलफनामे में क्या यह बताया गया है कि कितने युवक सड़क पर खड़े हैं? प्रचार के लिए? एक युवक सड़क के बीच में बैनर लिए खड़ा है. यह क्या है? किसी को उनके स्वास्थ्य का ख्याल करना होगा.’ इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि ये ‘लड़के’ नागरिक स्वयंसेवक हैं.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरवील ने 21 अक्टूबर से 15 नवंबर तक के लिए ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ मुहिम शुरू करते हुए कहा था कि यदि शहर में 10 लाख वाहन इस मुहिम में शामिल हो गए, तो एक साल में पीएम10 का स्तर 1.5 टन और पीएम 2.5 का स्तर 0.4 टन कम हो जाएगा.

इस पहल के तहत, परिवहन विभाग के सरकारी अधिकारी, स्वयंसेवक और यातायात पुलिकर्मी यात्रियों से अनुरोध करते हैं कि वे हरी बत्ती जलने का इंतजार करते समय वाहन बंद कर दें. सरकार ने इस मुहिम की अवधि बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी थी.

शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बांका द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को पराली हटाने की मशीन मुफ्त में उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की थी.

कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली में शुक्रवार से आगामी आदेश आने तक स्कूल बंद 

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को बताया कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में आगामी आदेश आने तक स्कूल शुक्रवार से बंद रहेंगे.

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बीच स्कूलों में प्रत्यक्ष कक्षाएं शुरू करने को लेकर दिल्ली सरकार को को फटकार लगाई थी, जिसके बाद सरकार ने यह फैसला किया.

राय ने कहा, ‘हमने वायु गुणवत्ता में सुधार का पूर्वानुमान जताए जाने के कारण स्कूल फिर से खोल दिए थे, लेकिन वायु प्रदूषण फिर से बढ़ गया है और हमने आगामी आदेश आने तक शुक्रवार से स्कूल बंद करने का फैसला किया है.’

दिल्ली में स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान 13 नवंबर से बंद थे, लेकिन उन्हें सोमवार से खोल दिया गया था.

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘सभी बोर्ड परीक्षाएं निर्धारित समय पर जारी रहेंगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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