सेंट्रल विस्टा पर अब तक 1,200 करोड़ से अधिक खर्च, नए संसद भवन का निर्माण कार्य 35 फीसदी पूरा: सरकार

अनुमानित रूप से कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मौजूदा समय में सिर्फ़ चार परियोजनाएं नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास, तीन कॉमन केंद्रीय सचिवालय इमारतें और उपराष्ट्रपति का आवास ही निर्माणाधीन हैं.

(फोटो: पीटीआई)

अनुमानित रूप से कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मौजूदा समय में सिर्फ़ चार परियोजनाएं नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास, तीन कॉमन केंद्रीय सचिवालय इमारतें और उपराष्ट्रपति का आवास ही निर्माणाधीन हैं.

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नई दिल्लीः केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को संसद में बताया कि बहुचरणीय सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में अब तक 1,289 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च की जा चुकी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने बताया कि संसद की नई इमारत का निर्माण कार्य 35 फीसदी तक हुआ है और इसे अक्टूबर 2022 तक पूरा किया जाना है. इसके लिए आवंटित 971 करोड़ रुपये में से अब तक 340 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के सवाल पर गुरुवार को लोकसभा में आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री कौशल किशोर ने कहा, ‘सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास कार्य को इस महीने पूरा किया जाना था, लेकिन अभी तक यह 60 फीसदी ही पूरा हो पाया है. इसके 608 करोड़ रुपये के कुल बजट में से अब तक 190.76 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.’

तिवारी ने यह भी जानना चाहा कि क्या यह सच है कि बोली के लिए गुणवत्ता और लागत आधारित चुनाव प्रणाली का इस्तेमाल किया गया, बजाय इस तथ्य के कि यह विचारों और नवाचार को एक्सप्लोर करने के अवसरों को सीमित करता है, जो दरअसल संसद भवन जैसी इमारत के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं.

इसके जवाब में मंत्री ने कहा, ‘बोली के लिए गुणवत्ता के साथ लागत आधारित तरीके को नए संसद भवन की इमारत या सेंट्रल विस्टा में अन्य इमारतों के निर्माण के लिए नहीं अपनाया गया. यह तरीका सिर्फ सेंट्रल विस्टा के विकास या पुनर्विकास के लिए वास्तुकला और इंजीनियरिंग योजना हेतु सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए ही अपनाया गया.’

मालूम हो कि अनुमानित रूप से कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ मौजूदा समय में सिर्फ चार परियोजनाएं नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास, तीन कॉमन केंद्रीय सचिवालय इमारतें और उपराष्ट्रपति का आवास ही निर्माणाधीन हैं.

तिवारी ने यह भी पूछा था कि क्या महामारी के बावजूद सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास मास्टर प्लान के तहत काम फिर से शुरू किया गया था, जबकि एमपीएलएडीएस (MPLADS- सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना योजना), जिसके फंड को विशेष रूप से महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था, को निलंबित कर दिया गया था. यदि ऐसा है तो इसका ब्योरा क्या है और इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है?

इसके जवाब में मंत्री ने कहा, ‘सेंट्रल विस्टा में चल रहे निर्माण कार्य से 10,000 से अधिक कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल कामगारों को प्रत्यक्ष तौर पर आजीविका के अवसर मिले और इससे 24.12 लाख से अधिक दिन का लोगों को रोजगार मिला. इसके अलावा सीमेंट, स्टील और अन्य निर्माण सामग्री के मैन्युफैक्चरिंग और परिवहन संबंधी रोजगार भी मुहैया कराया गया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सेंट्रल विस्टा के विकास या पुनर्विकास के इन कार्यों से देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प को साकार करने में मदद मिलेगी. सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास और एमपीएलएडीएस योजना के कार्यों के बीच कोई संबंध नहीं है.’

मंत्री के जवाब के मुताबिक, तीन सचिवालय इमारतों के निर्माण को नवंबर 2023 तक पूरा किया जाना है और इसके लिए संसाधनों को जुटाने और स्थल की तैयारी संबंधी कार्य चल रहा है.

बता दें कि सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना की गति को तेज करने और इसकी निगरानी के लिए पिछले महीने उच्चस्तरीय सेंट्रल विस्टा ओवरसाइट मेटी का गठन किया था, ताकि सरकार निर्धारित समयसीमा पर इसे पूरा कर सके.

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