वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का निधन

67 वर्षीय विनोद दुआ इस साल कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. वे अपने कार्यक्रमों में तत्कालीन सरकारों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते थे और हाल के सालों में भाजपा सरकार की आलोचना के बाद भाजपा शासित राज्यों की पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए थे.

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विनोद दुआ. (फोटो: द वायर)

67 वर्षीय विनोद दुआ इस साल कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. वे अपने कार्यक्रमों में तत्कालीन सरकारों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते थे और हाल के सालों में भाजपा सरकार की आलोचना के बाद भाजपा शासित राज्यों की पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए थे.

विनोद दुआ. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: देश के चर्चित और प्रभावशाली वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का शनिवार को निधन हो गया. वे 67 वर्ष के थे.

दुआ अपने कार्यक्रमों में तत्कालीन सरकारों पर सवाल उठाते रहने के लिए जाने जाते थे और हाल के सालों में भाजपा सरकार की आलोचना के बाद भाजपा शासित राज्यों की पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए थे.

इस साल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान दुआ अस्पताल में रहे थे और उसके बाद से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. इस सप्ताह की शुरुआत में उनकी बेटी और अभिनेत्री मल्लिका दुआ ने बताया था कि उनके पिता की हालत बेहद गंभीर है. शनिवार शाम मल्लिका ने उनके पिता के गुजरने की पुष्टि की.

इससे पहले जून महीने में दुआ की पत्नी और रेडियोलॉजिस्ट पद्मावती दुआ (चिन्ना दुआ) का कोविड-19 के चलते निधन हो गया था. मल्लिका ने इससे पहले बताया था कि उनके पिता इस त्रासदी को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे.

कई दशकों लंबे अपने करिअर में विनोद दुआ ने बतौर न्यूज़ एंकर और प्रस्तोता दूरदर्शन और एनडीटीवी सहित कई मीडिया संस्थानों में काम किया. साल 2016 से 2018 के बीच वे बतौर सलाहकार संपादक द वायर  से जुड़े थे और जन गण मन की बात नाम का कार्यक्रम प्रस्तुत किया करते थे.

साल 2019 की शुरुआत में वे स्वराज टीवी और एचडब्ल्यू न्यूज़ के साथ जुड़े.

साल 2018 में जब #मीटू आंदोलन अपने चरम पर था तब फिल्मकार निष्ठा जैन द्वारा 1989 में हुई एक घटना को लेकर दुआ पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था. दुआ ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया था और स्वैछिक तौर पर अपने कार्यक्रम को बंद करते हुए एक स्वतंत्र पैनल द्वारा इन आरोपों की जांच के लिए हामी भरी थी. तब द वायर  द्वारा सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक विशेष समिति बनाई गई थी, लेकिन यह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी थी.

जून 2020 में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दिल्ली भाजपा के एक प्रवक्ता की शिकायत पर दुआ के खिलाफ मामला दर्ज किया था. भाजपा नेता ने उन पर एचडब्ल्यू न्यूज़ के यूट्यूब चैनल के जरिये ‘फेक न्यूज़’ फैलाने का आरोप लगाया था. एक शिकायत में यह भी कहा गया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए ‘दहशत फैलाने’ वाला जैसा अपमानजनक शब्द इस्तेमाल किया था. दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी.

इसी महीने भाजपा नेता अजय श्याम की शिकायत के बाद हिमाचल प्रदेश पुलिस ने विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करते हुए उन्हें समन भेजा था. श्याम का कहना था कि 30 मार्च 202 को प्रसारित हुए 15 मिनट के यूट्यूब कार्यक्रम में दुआ ने केंद्र सरकार द्वारा अचानक घोषित लॉकडाउन के बाद दिल्ली से जा रहे प्रवासी मजदूरों को लेकर ‘अजीब आरोप’ लगाए थे.

इस साल की शुरुआत में इस मामले को ख़ारिज करते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘प्रत्येक पत्रकार केदार नाथ सिंह मामले (जिसने आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह के अपराध के दायरे को परिभाषित किया था) के तहत सुरक्षा का हकदार है.’

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