जम्मू कश्मीर: इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ संबंधी सामग्री वाली किताब वापस लेने का निर्देश

जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को दिल्ली के एक प्रकाशन हाउस द्वारा प्रकाशित एक किताब वापस लेने का निर्देश दिया, जिसमें इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ करने वाली सामग्री है. प्रकाशन हाउस ने सातवीं कक्षा के लिए ‘हिस्ट्री एंड सिविक्स’ नाम की इस किताब के 2020 के संस्करण में ग़लती के लिए खेद जताया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को दिल्ली के एक प्रकाशन हाउस द्वारा प्रकाशित एक किताब वापस लेने का निर्देश दिया, जिसमें इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ करने वाली सामग्री है. प्रकाशन हाउस ने सातवीं कक्षा के लिए ‘हिस्ट्री एंड सिविक्स’ नाम की इस किताब के 2020 के संस्करण में ग़लती के लिए खेद जताया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड (जेकेबीओएसई) ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को दिल्ली के एक प्रकाशन हाउस द्वारा प्रकाशित एक किताब वापस लेने का बीते पांच दिसंबर को निर्देश दिया. ऐसी खबरें हैं कि इस किताब में इस्लाम के खिलाफ ईशनिंदा करने वाली सामग्री है.

प्रकाशन हाउस जेसी (JAY CEE) पब्लिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड ने सातवीं कक्षा के लिए ‘हिस्ट्री एंड सिविक्स’ नाम की किताब के 2020 के संस्करण में ‘गलती’ के लिए खेद जताया है. किताब में इस्लाम के अंतिम दूत के चित्रण को लेकर प्रकाशक की निंदा की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, विवादास्पद चित्रण (Illustration) में महादूत गैब्रियल और पैगंबर मुहम्मद की एक पेंटिंग दिखाई गई थी. इसकी स्थानीय धार्मिक नेताओं और सोशल मीडिया पर आलोचना हुई. मुफ्ती नजीर अहमद कासमी ने बताया, ‘पैगंबर मुहम्मद का कोई चित्रण करने के लिए बिल्कुल कहीं कोई जगह नहीं है.’

शिक्षा बोर्ड के अकादमिक निदेशक ने एक आदेश में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को पाठ्यपुस्तक के 2020 संस्करण का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया है.

आदेश में कहा गया है, ‘यदि किसी स्कूल में इस किताब का उपयोग किया जा रहा है, तो इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, अन्यथा कानून के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी.’

लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली सामग्री के प्रकाशन की निंदा करते हुए जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड ने प्रकाशक को निर्देश दिया कि वह उन सभी स्कूलों से किताब को तुरंत वापस ले लें, जहां इसे बांटा गया है.

श्रीनगर जिला प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों से किताब के प्रकाशक और वितरक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है.

श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को लिखे पत्र में श्रीनगर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सैयद हनीफ बाल्खी ने कहा है कि किताब की सामग्री संवेदनशील है और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इस्लाम से संबंधित किताब में संवेदनशील चित्रण की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के ‘गैर-जिम्मेदार’ प्रकाशन ने मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और सहिष्णुता के प्रयासों के खिलाफ जाता है.

इस्लाम के संबंध में व्यंग्य की निंदा करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस तरह के गैर-जिम्मेदार प्रकाशन संवाद और सह-अस्तित्व के मूल्यों को संरक्षित करने में हानिकारक और कम से कम सहायक होते हैं.’

नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस तरह के संवेदनशील विषय से निपटने के दौरान सरकार ने सावधानी नहीं बरती.

जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘स्कूल की किताबें सम्मान, सहिष्णुता और शांति का प्रतीक होनी चाहिए जो सह-अस्तित्व के विपरीत प्रथाओं और कृत्यों को अस्वीकार करती हैं. इस मामले की गहन जांच का आदेश दिया जाना चाहिए और मुसलमानों के प्रति असंवेदनशील इस तरह के कैरिकेचर प्रकाशित करने वालों से देश के नियम के अनुसार निपटा जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए बनी किताबों की सामग्री की समीक्षा के लिए आदर्श रूप से एक समिति होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैं मांग करता हूं कि किताब को तत्काल वापस लिया जाए और इसके बाद संबंधित प्रकाशन गृह के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए.’

जम्मू कश्मीर में सभी पाठ्य पुस्तकों की जांच के लिए समिति गठित: निजी स्कूल संघ

यह मामला सामने आने के बाद प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ऑफ जम्मू कश्मीर (पीएसएजेके) ने केंद्र शासित प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों की सभी पाठ्य पुस्तकों की जांच के लिए सोमवार को एक उच्च स्तरीय समिति गठित की.

पीएसएजेके ने निजी विद्यालयों से कहा है कि वे कोई नई किताब विशेषज्ञ समिति से मंजूरी पाने के बाद ही पाठ्यक्रम में शामिल करें.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पीएसएजेके के अध्यक्ष जीएन वार ने बताया कि एसोसिएशन ने इस सिलसिले में सभी प्रमुख प्रकाशकों के साथ एक बैठक की. सभी को सलाह दी गई कि वे हर किताब को स्कूलों में जारी करने से पहले उसकी जांच कर लें. इसने नई दिल्ली स्थित प्रकाशक द्वारा प्रकाशित किताब की आपत्तिजनक सामग्री की निंदा की.

वार ने कहा कि एसोसिएशन ने खुर्शीद बिस्मिल की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय स्वायत्त अकादमिक समिति का गठन किया, जिसमें कश्मीर से तीन सदस्य, जम्मू से दो और पीर पंजाल और चिनाब घाटी से एक-एक सदस्य होंगे, जो किताबों की सामग्री और मानक की जांच करेंगे.

एसोसिएशन ने घोषणा की कि विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुमोदित किए जाने से पहले उसके किसी भी सदस्य निजी स्कूल में कोई नई किताब पेश नहीं की जाएगी.

समिति को सभी पुस्तकों की जांच करने और यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि किसी भी पुस्तक में कोई आपत्तिजनक मामला न हो. इसके अलावा सभी स्कूलों और प्रकाशकों को भी अपनी किताबों की जांच करने को कहा गया है.

वार ने कहा कि हम हर किताब के लिए एक बहुस्तरीय जांच व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना दोबारा न हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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