मद्रास हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों के तहत दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई

मीडिया कंपनियों के एक 13-सदस्यीय समूह डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन की याचिका पर कोर्ट का ये आदेश आया है. इससे पहले सितंबर महीने में हाईकोर्ट ने आईटी नियम, 2021 के एक प्रमुख प्रावधान के पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए केंद्र द्वारा एक निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रावधान किया गया है.

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मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

मीडिया कंपनियों के एक 13-सदस्यीय समूह डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन की याचिका पर कोर्ट का ये आदेश आया है. इससे पहले सितंबर महीने में हाईकोर्ट ने आईटी नियम, 2021 के एक प्रमुख प्रावधान के पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए केंद्र द्वारा एक निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रावधान किया गया है.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को केंद्र सरकार को नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत डिजिटल मीडिया कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस पीडी ऑडिकेसावालु की पीठ ने ‘इंडियन ब्रॉडकास्टर एंड डिजिटल मीडिया फाउंडेशन’ की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त निर्देश दिया है.

पीठ ने कहा, ‘प्रतिवादियों (केंद्र) को न्यायालय की अनुमति के बिना कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोका जाता है.’

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी के लिए तय की है.

याचिका में इस साल फरवरी में लागू किए गए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों, 2021 के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी.

इसे लेकर जून महीने में देश की सबसे बड़ी समाचार मीडिया कंपनियों के एक 13-सदस्यीय समूह- डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था.

साल 2018 में गठित डीएनपीए में इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की आईई ऑनलाइन मीडिया सर्विसेज, एबीपी नेटवर्क, अमर उजाला, दैनिक भास्कर कॉर्प, एक्सप्रेस नेटवर्क, एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स, जागरण प्रकाशन, लोकमत मीडिया, एनडीटीवी कन्वर्जेंस, टीवी टुडे नेटवर्क, द मलयाला मनोरमा, टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड और उशोदया एंटरप्राइजेज शामिल हैं.

डीएनपीए की याचिका में कहा गया है कि ये नियम संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 19 (1)(ए) और 19(1)(जी) का उल्लंघन करते हैं, जो बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है.

मामले की पहली सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार रामामूर्ति की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलील को दर्ज किया था कि ‘इस आशंका के पर्याप्त प्रमाण हैं कि घुमा-फिराकर कार्रवाई की जा सकती है.’

इससे पहले सितंबर महीने में एक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आईटी नियम, 2021 के एक प्रमुख प्रावधान के पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए केंद्र द्वारा एक निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रावधान किया गया है.

पीठ ने कहा था, ‘प्रथमदृष्टया, याचिकाकर्ता की शिकायत में दम है कि सरकार द्वारा मीडिया को नियंत्रित करने के लिए निगरानी तंत्र का गठन मीडिया को उसकी स्वतंत्रता से वंचित कर सकता है.’

यह चौथा मौका है जब हाईकोर्ट ने इस तरह आदेश जारी कर आईटी नियमों के प्रावधानों पर रोक लगाई है.

इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसके नियम 9(1) और 9(3) पर रोक लगा दी थी और कहा था कि ‘ये स्पष्ट रूप से अनुचित हैं और आईटी अधिनियम से परे हैं’.

मद्रास हाईकोर्ट के अलावा केरल हाईकोर्ट ने भी इन नियमों के तहत कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक लगाई थी.

बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं.

याचिकाएं आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं, जिसमें विशेष रूप से नियमों के भाग III को चुनौती दी गई है, जो डिजिटल मीडिया प्रकाशनों को विनियमित करना चाहता है.

याचिकाओं का तर्क है, नियमों का भाग III आईटी नियम (जिसके तहत नियमों को फ्रेम किया गया है) द्वारा निर्धारित अधिकार क्षेत्र से परे है और यह संविधान के विपरीत भी है.

आईटी नियम के खिलाफ कई व्यक्ति और संगठन- जिनमें द वायर, द न्यूज मिनट की धन्या राजेंद्रन, द वायर के एमके वेणु, द क्विंट, प्रतिध्वनि और लाइव लॉ अपने-अपने राज्यों में विशेष रूप से महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और तमिलनाडु के उच्च न्यायालयों का रुख कर चुके हैं.

पत्रकार निखिल वागले और वेबसाइट ‘द लीफलेट’ ने नियमों को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. कन्नड समाचार आउटलेट प्रतिध्वनि ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने भी नियमों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.

बीते 9 जुलाई को लाइव लॉ को दी गई इसी तरह की सुरक्षा का हवाला देते हुए केरल उच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि सरकार द्वारा आईटी नियमों के तहत न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है. एनबीए कई समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करता है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आईटी नियमों को चुनौती देने वाले मामलों की विभिन्न उच्च न्यायालयों में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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