बंगाल: कोर्ट ने 41 साल जेल में रहे नेपाली शख़्स को पांच लाख रुपये का मुआवज़ा देने को कहा

कलकत्ता हाईकोर्ट ने ने छह हफ़्ते के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार को इस निर्धारित राशि का भुगतान पीड़ित पक्ष को करने का निर्देश दिया है. नेपाली शख़्स दीपक जैशी को हत्या के आरोप में साल 1980 में दार्जिलिंग से गिरफ़्तार किया गया था. जैशी को दमदम केंद्रीय सुधारगृह में रखा गया था, क्योंकि उन्हें सुनवाई के लिए अयोग्य पाया गया था और उनकी मानसिक स्थिति को लेकर रिपोर्ट आनी बाकी थी, जो कभी पेश नहीं की गई.

दीपक जैशी. (फोटो साभारः शंकर गिरि)

कलकत्ता हाईकोर्ट ने ने छह हफ़्ते के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार को इस निर्धारित राशि का भुगतान पीड़ित पक्ष को करने का निर्देश दिया है. नेपाली शख़्स दीपक जैशी को हत्या के आरोप में साल 1980 में दार्जिलिंग से गिरफ़्तार किया गया था. जैशी को दमदम केंद्रीय सुधारगृह में रखा गया था, क्योंकि उन्हें सुनवाई के लिए अयोग्य पाया गया था और उनकी मानसिक स्थिति को लेकर रिपोर्ट आनी बाकी थी, जो कभी पेश नहीं की गई.

दीपक जैशी (फोटो साभारः शंकर गिरी)

नई दिल्लीः कलकत्ता हाईकोर्ट ने 41 साल से अधिक समय भारत की जेल में सजा काट चुके नेपाल के एक शख्स को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाली शख्स को अदालत के हस्तक्षेप के बाद इस साल मार्च महीने में रिहा किया गया था.

बीते सात दिसंबर को चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने नेपाली शख्स दीपक जैशी के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी. दीपक को हत्या के आरोप में 12 मई 1980 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से गिरफ्तार किया गया था.

गिरफ्तारी के बाद जैशी को विचाराधीन कैदी के रूप में दमदम केंद्रीय सुधारगृह में रखा गया था, क्योंकि उन्हें सुनवाई के लिए अयोग्य पाया गया था और उनकी मानसिक स्थिति को लेकर रिपोर्ट आनी बाकी थी.

हालांकि, इस संबंध में आज तक कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई और जैशी की स्थिति की खबर हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस के संज्ञान में आने तक वह जेल में ही रहे.

इसके बाद अदालत ने वकील को उनकी रिहाई के लिए याचिका दायर करने को कहा.

मामले की सुनवाई के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस टीबीएन राधाकृष्णन और जस्टिस अनिरुद्ध रॉय की पीठ ने इस साल 17 मार्च को उनकी रिहाई के आदेश देने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अनुरूप हाईकोर्ट के अधिकार का इस्तेमाल किया.

जैशी की जिस समय रिहा किया गया, उस समय उनकी उम्र 70 साल थी. उन्हें उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया.

उनकी रिहाई के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने उन्हें मुआवजा दिए जाने को लेकर 22 मार्च को राज्य सरकार से जवाब मांगा था.

द वायर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि किस तरह जैशी की रिहाई हुई और किस तरह वे अपने परिवार से मिल पाए. उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था और नेपाल सरकार एवं भारत सरकार से आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद कर रहा था.

अदालत की सात दिसंबर की सुनवाई में हाईकोर्ट के वकील ने पश्चिम बंगाल करेक्शन सर्विसेज प्रिजनर्स (अप्राकृतिक मृत्यु मुआवजा) योजना 2019 का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना के तहत अधिकतम पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जा सकता है.

राज्य सरकार की ओर से पेश वकील इसको स्वीकार करने को तैयार हो गए और यह राशि नेपाल के वाणिज्य दूतावास के जरिए जैशी के बैंक खाते में जमा की जा सकती है.

अदालत ने छह हफ्ते के भीतर राज्य सरकार को इस निर्धारित राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है. इस संबंध में अदालत ने 17 फरवरी 2022 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

मालूम हो कि जैशी स्वदेश लौट गए हैं और अपने परिवार के साथ रह रहे हैं.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq