झारखंड: स्कूलों को बंद करने के विरोध में रैली, बच्चों और परिजनों ने ब्लॉक ऑफिस का घेराव किया

झारखंड के लातेहार ज़िले के मनिका क्षेत्र का मामला. बीते दो सालों से बंद पड़े स्कूलों के विरोध में निकली रैली में शामिल अभिभावकों ने कहा कि अगर भीड़ को बाज़ारों, शादी और क्रिकेट स्टेडियम में जाने की अनुमति है तो स्कूलों को क्यों बंद रखा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा पर ज़ोर दे रही है, लेकिन मनिका जैसे इलाकों में कुछ ही बच्चे ऑनलाइन पढ़ पाते हैं. 

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झारखंड के लातेहर में स्कूल खोलने की मांग पर निकाली गई रैली. (फोटो: Special Arrangement)

झारखंड के लातेहार ज़िले के मनिका क्षेत्र का मामला. बीते दो सालों से बंद पड़े स्कूलों के विरोध में निकली रैली में शामिल अभिभावकों ने कहा कि अगर भीड़ को बाज़ारों, शादी और क्रिकेट स्टेडियम में जाने की अनुमति है तो स्कूलों को क्यों बंद रखा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा पर ज़ोर दे रही है, लेकिन मनिका जैसे इलाकों में कुछ ही बच्चे ऑनलाइन पढ़ पाते हैं.

झारखंड के लातेहर में स्कूल खोलने की मांग पर निकाली गई रैली. (फोटो: Special Arrangement)

रांचीः झारखंड के प्राथमिक स्कूलों को कोरोना वायरस लॉकडाउन लगातार बंद रखने के विरोध में 10 दिसंबर को लातेहार जिले के ब्लॉक ऑफिस का बड़ी संख्या में बच्चों और उनके अभिभावकों ने घेराव किया.

10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के मौके पर लातेहार के मनिका में हुई रैली के बाद यह कदम उठाया गया. यह रैली ग्रामीण मजदूरों के स्थानीय संगठन ग्राम स्वराज मजदूर संघ (जीएसएमएस) ने आयोजित की थी.

झारखंड में लगभग दो सालों से प्राथमिक स्कूल बंद हैं. इस दौरान सरकार ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दे रही है, लेकिन मनिका जैसे इलाकों में कुछ ही बच्चे ऑनलाइन पढ़ पाते हैं.

रैली से पहले गांव-गांव चले अभियान के दौरान मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने पाया कि प्राथमिक स्तर के ज्यादातर बच्चे साधारण वाक्य तक नहीं पढ़ पाते हैं.

इस साल की शुरुआत में देश के पंद्रह राज्यों में किए गए स्कूली बच्चों के ऑनलाइन और ऑफलाइन लर्निंग (स्कूल) सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला है कि गरीब ग्रामीण परिवारों में से कक्षा तीसरी में नामांकित सिर्फ 25 फीसदी बच्चे ही साधारण वाक्य पढ़ने में समर्थ हैं.

इनमे से अधिकतर के परिजन अपने बच्चों के निजी ट्यूशन के लिए फीस का भीं बंदोबस्त नहीं कर सकते, इसलिए वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द दोबारा स्कूल खुल जाएं.

कुछ परिजन तर्क देते हैं कि अगर भीड़ को बाजारों, शादी समारोह और क्रिकेट स्टेडियम में जाने की अनुमति है तो स्कूलों को क्यों बंद रखा गया है.

बता दें कि 10 दिसंबर को ही डाल्टनगंज में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जनसभा में बड़ी संख्या में भीड़ को जाने की अनुमति दी गई थी. इससे कुछ हफ्ते पहले ही रांची में भारत-न्यूजीलैंड क्रिकेट मैच के लिए स्टेडियम में 40,000 लोगों को जाने की अनुमति दी गई थी.

बहरहाल अभिभावकों और बच्चों ने इस दौरान मनिका क्षेत्र में मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों का भी उल्लेख किया गया. जैसे- बिशुनबांध गांव में नाबालिग लड़कियों के बलात्कार सहित रेप की दो हालिया घटनाएं हुई हैं.

वहीं, सधवाडीह गांव में ग्रामीण एक अवैध पत्थर खदान का विरोध कर रहे हैं, जिससे उनके घरों को नुकसान पहुंच रहा है, जो बच्चों के जीवन को खतरे में डाल रही है.

कई लोगों ने इतने लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने के अन्याय के बारे में कहा, ‘हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है. अगर हमारे बच्चे अशिक्षित रहेंगे तो उनके पास  ईंट भट्ठों में कड़ी मेहनत से जीवनयापन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.’

इस दौरान सधवाडीह गांव की एक महिला सोमवती देवी ने कहा, ‘यह गरीब लोगों के खिलाफ साजिश है. बड़े लोग चाहते हैं कि हम अनपढ़ रहें, ताकि हम उनके खेतों और घरों में कम पैसों में काम करते रहें.’

कई प्रतिभागियों ने इतने लंबे समय तक बंद रहने वाले स्कूलों के अन्याय के बारे में बात रखी.

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