संसद ने ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने वाले विधेयक को मंज़ूरी दी

संसद ने बीते मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को मंज़ूरी दे दी. इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को वर्तमान दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष तक किए जाने का प्रस्ताव है. चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

संसद ने बीते मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को मंज़ूरी दे दी. इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को वर्तमान दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष तक किए जाने का प्रस्ताव है. चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संसद ने मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी. इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को वर्तमान दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष तक किए जाने का प्रस्ताव है.

राज्यसभा में ध्वनिमत से इस विधेयक के पारित होने के साथ ही इसे संसद की मंजूरी मिल गई. लोकसभा में यह विधेयक नौ दिसंबर को पारित हुआ था.

राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कार्मिक, लोक शिकायत, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस विधेयक को पारित करने का फैसला कर उच्च सदन ने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्ध कोशिशों का साथ दिया है.

उन्होंने कहा कि 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में नरेंद्र मोदी ने काले धन के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया था.

उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि आज उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित करने का फैसला किया है और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्ध कोशिशों का साथ दिया है.’

सिंह ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद तो सदन ने इसे पारित करके पूरा कर दिया, लेकिन जिन लोगों ने इस पर चर्चा से दूरी बनाई, उनके इस फैसले के बारे में इतिहास तय करेगा.

ज्ञात हो कि चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. उन्होंने निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था.

विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेने के लिए सिंह ने इस विधेयक पर चर्चा में भाजपा के सुरेश प्रभु द्वारा कही गई उस बात का सहारा लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आजकल कुछ लोग ईडी के नाम से डर जाते हैं.

सिंह ने कहा कि जब प्रभु ने यह कहा तो, ‘तत्काल मेरे मन में विचार आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जो डर जाते हैं वही इसका विरोध भी करते हैं.’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ईडी संस्था का बहुत सम्मान करते हैं, क्योंकि उनके पास छुपाने को कुछ नहीं है और उन्हें किसी बात का डर नहीं है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विरोध के कारण विपक्ष ने एक ऐसी प्रतिष्ठित संस्था के विरोध का फैसला किया, जिसके ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी है और देश की वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने की भी जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के जिन मामलों की जांच हो रही है, उनमें से अधिकांश संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल के दौरान के 10 वर्षों के हैं और इनमें उस समय के कुछ प्रभावी लोग भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं इतना कहा सकता हूं कि संसदीय इतिहास के लिए आज का दिन दुखद है प्रमुख विपक्षी दल ने काले धन के खिलाफ काम करने वालों का साथ नहीं दिया है, लेकिन उनका पक्ष लिया है, जो काले धन के लाभार्थी रहे हैं.’

विधेयक को पेश करने के बाद अपने संक्षिप्त संबोधन में सिंह ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में प्रवर्तन निदेशक की भूमिका बहुत अहम है और संभवत: देश में इस प्रकार की यह एकमात्र एजेंसी है.

उन्होंने कहा कि भारत के मुकाबले अन्य देशों में ऐसे पदों के लिए लंबा कार्यकाल है.

इससे पहले संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक 2021’ तथा ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021’ पर एक साथ चर्चा कराए जाने का प्रस्ताव रखा.

उन्होंने कहा, ‘हम दोनों विधेयकों को साथ साथ ले सकते हैं और इन पर एक साथ चर्चा की जा सकती है.’

कुछ सदस्यों ने इस पर विरोध जताया. इस पर उप-सभापति हरिवंश ने दोनों विधेयकों पर अलग-अलग चर्चा कराने का फैसला किया.

विधेयक पेश करने के दौरान सिंह ने कहा कि विदेशी मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्त पोषण जैसे मामलों की जांच जितनी महत्वपूर्ण होती है, उतना ही इन मुद्दों का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी होता है. यह देखते हुए ही इस विधेयक को लाया गया है.

संसद के शीतकालीन सत्र से कुछ दिन पहले, सरकार ने पिछले माह सीबीआई के निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के लिए दो अध्यादेश जारी किए थे.

‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक 2021’ तथा ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021’ इन दोनों अध्यादेशों के स्थान पर ही लाए गए हैं.

विधेयक पर सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सुरेश प्रभु ने कहा कि देश में काला धन एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान जरूरी है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के अलावा कई अन्य जटिल मुद्दे भी हैं, जिनका समाधान देश के विकास के लिए जरूरी है.

उन्होंने कहा कि विशेष जांच दल भी जांच करते हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जितने जटिल मुद्दे होंगे, उनकी जांच में अधिक समय लगेगा. यह देखते हुए केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना महत्वपूर्ण है.

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम नेता एम. थंबीदुरै ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले बताते हैं कि इसका किस तरह गलत इस्तेमाल किया जाता है और देश के विकास को बाधित करने का प्रयास किया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सतत जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना बेहतर होगा.

तेदेपा के कनकमेदला रविंद्र कुमार ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा, ‘तय अवधि के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना ठीक नहीं होगा.’

भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी गुजरात के 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे और आज वे देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन उन पर या उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा. सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर काम कर रही है.’

उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन को वापस लाने के लिए कई कदम उठाए और बेनामी लेनदेन को रोकने के लिए कानून बनाया. देश को मजबूत बनाने की दिशा में केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021 एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके सकारात्मक परिणाम जल्द ही सामने आएंगे.

भाजपा सदस्य ने कहा, ‘सरकार की सख्ती का ही नतीजा है कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये दो लाख 67 हजार करोड़ रुपये बचाए गए, जो बिचौलियों की जेब में चले जाते थे. न केवल यह बचत हुई, बल्कि 19 लाख 75 हजार करोड़ रुपये गरीबों के खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये दिए गए.’

वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के सुभाषचंद्र बोस पिल्ली ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि प्रर्वतन निदेशालय के अधिकारियों को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने का, जो अधिकार दिया गया है, उस पर पुन:विचार किया जाना चाहिए.

सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री एवं आरपीआई नेता रामदास आठवले ने भ्रष्टाचार और काले धन को एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि इसके हल के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी है.

भाजपा के जीवीएन नरसिंहा राव ने कहा कि आर्थिक अपराध अलग-अलग तरीके से सामने आते हैं. उन्होंने कहा कि बैंकों से बड़ी रकम कर्ज में लेने के बाद लोग देश छोड़ कर भाग जाते हैं, वहीं हवाला के जरिये लेन-देन और आतंकवाद का वित्त पोषण भी होता है.

केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक के प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में समिति की सिफारिश पर एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा.

मालूम हो कि बीते तीन दिसंबर को विपक्षी दलों के विरोध के बीच लोकसभा में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक 2021 पारित गया था, जिसमें सार्वजनिक हित में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष बढ़ाया जा सकता है और पांच वर्ष की अवधि तक उसे विस्तार दिया जा सकता है.

इससे पहले बीते 15 नवंबर को सरकार ने सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष की जगह अधिकतम पांच साल करने संबंधी दो अध्यादेश जारी किए थे.

अध्यादेशों के मुताबिक, दोनों ही मामलों में निदेशकों को उनकी नियुक्तियों के लिए गठित समितियों द्वारा मंजूरी के बाद तीन साल के लिए एक-एक साल का विस्तार दिया जा सकता है.

यह भी उल्लेखनीय है कि विवादित अध्यादेश लाने के बाद केंद्र ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक साल और बढ़ा दिया है.

आयकर विभाग के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) कैडर के 1984 बैच के अधिकारी मिश्रा का पहले से विस्तारित कार्यकाल 17 नवंबर 2021 को समाप्त होना था.

61 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था. बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.

केंद्र के 2020 के इस आदेश को उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

हालांकि, इसे दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने उक्त दो अध्यादेश जारी किए, जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि संजय कुमार मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी देख रहे हैं. 2020 में उनके सेवा विस्तार के समय द वायर  ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कम से कम ऐसे 16 मामले, जो विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं से जुड़े हुए हैं, मिश्रा की अगुवाई में ईडी उनकी जांच कर रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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