पुरुष मित्र होने का मतलब यह नहीं कि किसी महिला का बलात्कार किया जा सकता है: उच्च न्यायालय

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग भतीजी का बार-बार बलात्कार करने का दोषी क़रार देते हुए ज़मानत देने से इनकार कर दिया.

(फोटोः पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग भतीजी का बार-बार बलात्कार करने का दोषी क़रार देते हुए ज़मानत देने से इनकार कर दिया.

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मुंबई: बलात्कार के एक मामले में दोषी क़रार दिए गए व्यक्ति द्वारा पीड़ित को शर्मसार करने की कोशिशों पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी महिला का पुरुष मित्र हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इससे किसी दूसरे व्यक्ति को उसका बलात्कार करने का अधिकार मिल जाए.

न्यायमूर्ति एएम बदर ने पिछले हफ्ते दिए गए आदेश में बाल यौन अपराध निरोधक अधिनियम (पॉक्सो) के तहत बलात्कार का दोषी क़रार दिए गए एक व्यक्ति को ज़मानत देने से इनकार कर दिया.

उसे अपनी नाबालिग भतीजी का बार-बार बलात्कार करने का दोषी क़रार दिया गया है. अदालत ने उसकी इस दलील को ख़ारिज कर दिया कि पीड़िता के दो पुरुष मित्र हैं, जिनके साथ उसके यौन संबंध थे.

न्यायमूर्ति बदर ने कहा, किसी महिला के कई पुरुषों से संबंध हो सकते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई भी इसका फायदा उठा सकता है. उसे ना कहने का अधिकार है.

उन्होंने कहा, अगर हम यह बात मान भी लें कि इस मामले की पीड़िता के दो पुरुष मित्र थे तो इससे याचिकाकर्ता को उसके साथ बलात्कार करने का अधिकार नहीं मिल जाता.

न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि घटना उस समय हुई जब पीड़ित लडकी नाबालिग थी.

उन्होंने कहा, उसने जिरह के दौरान साफ-साफ कहा है कि याचिकाकर्ता ने बार-बार उसके साथ बलात्कार किया.

महाराष्ट्र के नासिक के रहने वाले याचिकाकर्ता को पॉक्सो अदालत ने 2016 में दोषी क़रार देते हुए 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद उसने ज़मानत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और दावा किया कि उसने उक्त अपराध नहीं किया. दोषी व्यक्ति ने ज़मानत का अनुरोध करते हुए कहा कि वह अपने परिवार में कमाने वाला अकेला सदस्य है.

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