विपक्षी सांसदों का आरोप- सरकार संसद में जवाब नहीं देती, प्रश्नकाल का मज़ाक बना दिया है

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई विपक्षी नेताओं ने शिकायत की है कि केंद्र सरकार या तो संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी वजहों का हवाला देते हुए सवालों को ही हटा दिया जा रहा है.

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(फोटो: पीटीआई)

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई विपक्षी नेताओं ने शिकायत की है कि केंद्र सरकार या तो संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी वजहों का हवाला देते हुए सवालों को ही हटा दिया जा रहा है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सात दिसंबर को केंद्र सरकार से लिखित जवाब मांगा कि क्या वह साल भर के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देगी?

इसी प्रश्न के एक अन्य भाग में यह भी पूछा गया कि क्या सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर विचार कर रही है, जिसकी किसान मांग कर रहे हैं.

लेकिन सरकार ने संसद में इन दोनों सवालों का जवाब नहीं दिया और यह बताया कि किस तरह कृषि पर कोविड-19 का प्रभाव पड़ा है.

राहुल गांधी ने सरकार के जवाब को संलग्न करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘कृषि-अन्याय पर मैंने संसद में सवाल किए. 1. क्या शहीद किसानों को मुआवज़ा मिलेगा? 2. क्या सरकार एमएसपी पर विचार कर रही है? 3. कोविड से किसानी पर क्या असर पड़ा? पहले दो सवाल वे खा गए और तीसरे का ये जवाब दिया है- ‘महामारी में किसानी सुचारु रूप से चलती रही!’ क्या मजाक है!’

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं, कई विपक्षी नेताओं ने शिकायत की है कि सरकार या तो संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी वजहों का हवाला देते हुए सवालों को ही हटा दिया जा रहा है.

सीमा विवाद पर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्यसभा में और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और कार्ति चिदंबरम ने लोकसभा में सवाल किए थे, लेकिन इस विषय पर जवाब देने से इनकार कर दिया गया.

डीएमके नेता और लोकसभा सांसद के. कनिमोझी ने बताया कि महिला आरक्षण विधेयक को लेकर 17 मार्च, 2017 और इस साल 28 जुलाई तथा तीन दिसंबर को उनके द्वारा पूछे गए सवाल पर कानून मंत्रालय ने एक जैसा जवाब दिया है.

मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘लैंगिक न्याय सरकार की एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता है. संविधान में संशोधन के लिए एक विधेयक को संसद के सामने लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के आधार पर संबंधित मुद्दे पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है.’

कनिमोझी ने कहा कि सरकार मामले को हल्के में ले रही है और अपने जवाब आंख मूंदकर कॉपी-पेस्ट कर रही है.

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने द हिंदू को बताया, ‘पिछले कुछ दिनों में लोकसभा में विपक्षी दलों ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है कि प्रश्नकाल के दौरान सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर जवाब असंतोषजनक रहे हैं.’

गोगोई ने कहा कि ऐसे जवाब बयानबाजी से भरे हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ जैसे लगते हैं. कोई ठोस विवरण नहीं दिया गया है. सरकार प्रश्नकाल का मजाक बना रही है.

लोकसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर ओम बिड़ला ने इस मुद्दे को एक-दो बार उठाया था, खासकर जब मंत्रियों ने सदस्यों द्वारा पूछे गए पूरक सवालों के जवाब दिए.

उन्होंने कहा, ‘इस सत्र में ही माननीय अध्यक्ष ने सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर और निरंजन ज्योति को सदस्यों द्वारा उठाए गए विशिष्ट प्रश्नों का उत्तर देने का निर्देश दिया था.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘कई बार तो मंत्रियों ने भी प्रश्नकाल के दौरान मुद्दों को उठाया है. जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे प्रश्न शाखा को प्रश्नों की ठीक से जांच करने का निर्देश दें क्योंकि एक प्रश्न का प्रभावी अर्थ यह था कि मंत्री को अपने पूरे मंत्रालय के कामकाज की व्याख्या करनी थी.’