बच्चे के जीवन में मां की जगह जैविक पिता भी नहीं ले सकतेः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

मामला एक दंपति की चार साल की बेटी की कस्टडी से जुड़ा हुआ था, जहां निचली अदालत ने बच्ची को हर हफ्ते 19 घंटे के लिए उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया था. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द करने की मांग वाली पिता की याचिका को ख़ारिज करते हुए यह टिप्पणी की. 

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

मामला एक दंपति की चार साल की बेटी की कस्टडी से जुड़ा हुआ था, जहां निचली अदालत ने बच्ची को हर हफ्ते 19 घंटे के लिए उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया था. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द करने की मांग वाली पिता की याचिका को ख़ारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़ः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का कहना है कि एक बच्चे के जीवन में मां का स्थान बच्चे के जैविक पिता भी नहीं ले सकते.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने पठानकोट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा दिए गए आदेश को रद्द करने की मांग वाली एक पिता की याचिका को खारिज कर दिया.

दरअसल निचली अदालत ने चार साल की बच्ची को हर हफ्ते 19 घंटे के लिए उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया था.

याचिकाकर्ता पिता ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा था कि निचली अदालत ने यह आदेश देते हुए इस पर विचार नहीं किया कि हर सप्ताहांत कुछ निश्चित अवधि के लिए मां के साथ रहने के दौरान विभिन्न लोगों के साथ बातचीत के समय बच्ची को ट्रॉमा का सामना करना पड़ेगा.

याचिका में कहा गया कि बच्ची को अपनी मां से मिलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता क्योंकि वह भावनात्मक रूप से मां से जुड़ी हुई नहीं है. साथ में यह भी कहा गया कि 11 नवंबर 2020 को बच्ची कोरोना संक्रमित पाई गई थी, जिस वजह से उसका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक नहीं है.

वहीं, मां के वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता (पिता) 10 जून 2020 के अदालत के आदेश का पालन करने में असफल रहा है.

दरअसल निचली अदालत ने बच्ची की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये रोजाना मां से बातचीत कराने का निर्देश दिया था. रोजाना दिन में दो बार सुबह आठ बजे से लेकर शाम छह बजे तक कम से कम आधे घंटे के लिए मां से बच्ची की बातचीत कराने का निर्देश दिया गया था.

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