नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी का विरोध: पुलिस कार्रवाई के बाद एम्स, एफएआईएमए के डॉक्टर भी धरने पर

फेडरेशन ऑफ रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन द्वारा नवंबर के अंत में ओपीडी सेवाओं को रोकने के साथ यह विरोध बीते 17 दिसंबर से लगातार जारी है. इससे दिल्ली में केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों- सफ़दरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीज़ों का इलाज प्रभावित हुआ है.

/
Bhopal: Junior doctors raise slogans during their protest over delay in NEET-PG counselling 2021, at Hamidia hospital in Bhopal, Wednesday, Dec. 22, 2021. (PTI Photo)(PTI12 22 2021 000064B)

फेडरेशन ऑफ रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन द्वारा नवंबर के अंत में ओपीडी सेवाओं को रोकने के साथ यह विरोध बीते 17 दिसंबर से लगातार जारी है. इससे दिल्ली में केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों- सफ़दरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीज़ों का इलाज प्रभावित हुआ है.

दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के बाहर डॉक्टरों ने बीते सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नीट-पीजी काउंसलिंग (NEET-PG Counselling- राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा की स्नातकोत्तर काउंसलिंग) में देरी का विरोध कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के पुलिस द्वारा हमला किए जाने का आरोप लगाए जाने के एक दिन आद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों के साथ फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए- FAIMA) से जुड़े डॉक्टरों ने भी उनके आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया है.

बीते 27 दिसंबर को एक विरोध मार्च के दौरान डॉक्टरों पर कथित पुलिस कार्रवाई के बाद मंगलवार को एम्स दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया.

एम्स के डॉक्टरों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे मंगलवार को सभी गैर-आपातकालीन कार्यों से हट जाएंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘सरकार के लिए यह उचित समय है कि एक रिपोर्ट जारी कर बताए कि नीट-पीजी काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए सरकार की क्या योजना है. यदि 24 घंटों के भीतर सरकार की ओर से कोई पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (AIIMS RDA) 29/12/21 से सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं को बंद करने के साथ सांकेतिक हड़ताल शुरू करेगा.’

एफएआईएमए की एक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘हम अधिकारियों को याद दिलाते हैं कि एफएआईएमए और उससे जुड़े रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अब तक बहुत संयम दिखाया है और आपातकालीन सेवाओं को नहीं रोका है. हालांकि सरकार और अधिकारियों ने हमारे लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं छोड़ा है.’

इसके मुताबिक, ‘यह सभी डॉक्टरों के लिए हमारे सहयोगियों के साथ एकता और एकजुटता दिखाने का समय है, जिन्हें बेरहमी से पीटा गया, घसीटा गया और हिरासत में लिया गया. इसलिए हम 29/12/21 को सुबह 8 बजे से देश भर में सभी स्वास्थ्य सेवाओं से पूरी तरह से बंद रखने का आह्वान करते हैं.’

मालूम हो कि इससे शहर में मरीजों के इलाज में और दिक्कत बढ़ सकती है क्योंकि सफदरजंग और लोक नायक जैसे बड़े अस्पतालों के आपातकालीन विभाग हड़ताल से प्रभावित होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए एम्स रेफर किया जा रहा था.

डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहने से केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों- सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है.

मंगलवार को दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती एक मरीज अनुराग मिश्रा ने बताया कि ओपीडी में डॉक्टर नहीं हैं. बड़ी संख्या में मरीज इलाज का इंतजार कर रहे हैं. विरोध से ओपीडी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.

दिल्ली के दिलशाद गार्डन स्थित स्वामी दयानंद अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी इस मांग को लेकर 29 दिसंबर से तत्काल प्रभाव से सभी गैर-आपातकालीन ओपीडी वार्ड, वैकल्पिक ओटी सेवाओं और आपातकालीन सेवाओं को बंद रखने का फैसला किया है.

इसके अलावा एफएआईएमए ने सोमवार की घटना (पुलिस द्वारा कथित हमले) के बाद अपने रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) को आपातकालीन सेवाओं सहित सभी कामों से हटने का आह्वान किया था.

रिपोर्ट के अनुसार, दो राष्ट्रीय संगठनों- फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए- FORDA) और एफएआईएमए द्वारा नवंबर के अंत में आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) सेवाओं को रोकने के साथ यह विरोध शुरू किया गया था.

डॉक्टरों द्वारा आपातकालीन कार्यों का भी बहिष्कार करने के साथ विरोध धीरे-धीरे तेज हो गया, जिसके बाद सरकार के आग्रह पर हड़ताल को एक सप्ताह के लिए रोक दिया गया था.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राजस्थान में भी नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी को लेकर डॉक्टरों ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में शामिल डॉ. अमित यादव ने कहा कि हम पिछले 1 महीने से मांग कर रहे हैं कि नीट 2021 की काउंसलिंग की जाए लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है. आज 2 घंटे सेवाओं का करेंगे बहिष्कार.

मालूम हो कि एफओआरडीए के सदस्यों के सभी सेवाओं से हटने के बाद 17 दिसंबर को हड़ताल फिर से शुरू हुई थी.

इससे पहले बीते सोमवार (27 दिसंबर) को रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना आंदोलन तेज करते हुए सांकेतिक रूप से ‘अपने लैब कोट लौटा दिए’ और सड़कों पर मार्च निकाला.

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है. एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष ने दावा किया कि बड़ी संख्या में प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को विरोध स्वरूप प्रतीकात्मक तौर पर अपना एप्रन (लैब कोट) वापस कर दिया.

(फोटो: पीटीआई)

उन्होंने कहा, ‘हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) परिसर से उच्चतम न्यायालय तक मार्च करने की भी कोशिश की, लेकिन जैसे ही इसे हमने शुरू किया, सुरक्षाकर्मियों ने हमें आगे बढ़ने से रोक दिया.’

मनीष ने यह भी आरोप लगाया कि कई डॉक्टरों को पुलिस ने ‘हिरासत में’ लिया और उन्हें थाने ले जाया गया. कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया, जिससे कुछ डॉक्टर घायल हो गए.

एसोसिएशन ने अपने ट्विटर हैंडल में पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई की तस्वीरें पोस्ट कीं.

फोर्डा की ओर से जारी बयान के अनुसार, मेडिकल पेशे के लोगों के इतिहास में यह काला दिन है. उसमें आरोप लगाया गया है, ‘रेजिडेंट डॉक्टर, तथा-कथित कोरोना योद्धा, नीट पीजी काउंसलिंग 2021 की प्रक्रिया तेज करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बुरी तरह पीटा गया, और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया.’

बयान में कहा गया है, ‘आज (27 दिसंबर) से सभी मेडिकल सुविधाएं पूरी तरह बंद रहेंगी.’

बाद में जारी आधिकारिक बयान में मध्य दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रोहित मीना ने सोमवार को कहा कि ‘बिना अनुमति के रेजिडेंट डॉक्टरों के एक समूह ने बीएसजेड मार्ग (आईटीओ से दिल्ली गेट तक का मुख्य रास्ता) को अवरूद्ध कर दिया और वहां छह घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जाम लगा रहा.’

बयान में उन्होंने दावा किया, ‘उन्होंने मुख्य सड़क पर जान-बूझकर हंगामा किया और दोनों लेन जाम कर दिए, जिससे आम जनता को परेशानी हुई.’

बयान के अनुसार, पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने उनसे बात की और उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया.

उन्होंने दावा किया कि उन्हें समझाने के बावजूद वे आक्रामक हो गए और सड़क को अवरूद्ध कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और डॉक्टरों के बीच झड़प में सात पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और पुलिस बस के शीशे टूट गए हैं.

दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में धारा 188 और अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

पुलिस ने बताया कि देर रात बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर सरोजनी नगर थाने के सामने जमा हो गए, लेकिन किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है.

वहीं डॉक्टरों का दावा है कि जब उन्होंने सफदरजंग अस्पताल से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के आधिकारिक आवास तक मार्च निकालने का प्रयास किया तो पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq