जम्मू कश्मीर सरकार ने रियल एस्टेट निवेशकों के साथ 19,000 करोड़ रुपये निवेश के क़रार किए

जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने इस क़दम की आलोचना की है. पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने केंद्रशासित प्रदेश को रियल एस्टेट निवेशकों के लिए खोलने को लेकर प्रशासन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए ऐसा किया जा रहा है.

श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर सचिवालय. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने इस क़दम की आलोचना की है. पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने केंद्रशासित प्रदेश को रियल एस्टेट निवेशकों के लिए खोलने को लेकर प्रशासन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए ऐसा किया जा रहा है.

श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर सचिवालय. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू/नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर सरकार ने बीते सोमवार को जमीन जायदाद के क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों के साथ करीब 19,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले 39 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर देश के रियल एस्टेट निवेशकों के लिए केंद्र शासित प्रदेश में निवेश का रास्ता खोल दिया. ये समझौते आवास, होटल और वाणिज्यिक परियोजनाओं के विकास के लिए हैं.

शिखर सम्मेलन के दौरान संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही यहां रियल एस्टेट से जुड़े कानून रेरा [रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016] और आदर्श किराया कानून लागू कर चुकी है.

सिन्हा ने कहा कि सरकार अन्य राज्यों की तरह जमीन, मकान और दुकान के पंजीकरण पर स्टाम्प शुल्क में छूट देगी और परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन को लेकर एकल मंजूरी व्यवस्था स्थापित करेगी.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने आज 39 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. हमें 18,300 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं.’

उद्योग संगठन नारेडको ने कहा कि हीरानंदानी समूह, सिग्नेचर ग्लोबल, एनबीसीसी और रहेजा डेवनपर्स समेत कई कंपनियों ने 18,900 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए.

अन्य रियल एस्टेट कंपनियों में सम्यक ग्रुप, रौनक ग्रुप, गोयल गंगा, जीएचपी ग्रुप और श्री नमन ग्रुप ने आवासीय परियोजनाओं के लिए शुरुआती समझौतों पर हस्ताक्षर किए. वहीं होटल परियोजना के लिए शैले होटल्स ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.

उद्योग और वाणिज्य विभाग ने हल्दीराम समूह के साथ जम्मू कश्मीर में इकाई लगाने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए.

इस सम्मेलन का आयोजन जम्मू कश्मीर सरकार, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय तथा रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने किया था.

सिन्हा ने कहा कि इन समझौतों से जम्मू कश्मीर में रोजगार सृजन में मदद मिलेगी. उन्होंने घोषणा की कि इसी प्रकार का रियल एस्टेट सम्मेलन अगले साल 21-22 मई को श्रीनगर में होगा.

विपक्षी दलों के विकास के नाम पर स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि यह डर पैदा करने और लोगों को भड़काने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि इससे जनसंख्या संबंधी कोई परिवर्तन नहीं होगा.

इससे पहले, सिन्हा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ लोग नहीं चाहते कि जम्मू कश्मीर के लोगों को अन्य राज्यों की तरह सुविधाओं और विकास का लाभ मिले.

उन्होंने कहा कि लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है और बेरोजगारी तथा विकास न होने के पीछे अन्य कारणों के अलावा यह भी एक वजह है.

सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में प्रतिभा और क्षमता की कोई कमी नहीं है और वह दिन दूर नहीं जब केंद्रशासित प्रदेश अन्य राज्यों के बराबर होगा.

हालांकि, क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं ने इस कदम को क्षेत्र की जनसांख्यिकी के लिए खतरा बताते हुए आलोचना की.

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने केंद्र शासित प्रदेश को रियल एस्टेट निवेशकों के लिए खोलने को लेकर सोमवार को प्रशासन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए ऐसा किया जा रहा है.

अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘एक बार फिर सरकार की असली मंशा सामने आ गई है. लद्दाख के लोगों की जमीन, नौकरी, अधिवास कानून और पहचान को सुरक्षित रखते हुए जम्मू कश्मीर को बिक्री के लिए रखा जा रहा है. जम्मू के लोगों को सावधान रहना चाहिए. ‘निवेशक’ कश्मीर से बहुत पहले जम्मू में जमीन खरीदेंगे.’

वहीं, महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगया कि भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य को अमानवीय बनाने और अलग-थलग कर कमजोर करने के लिए जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को अवैध तरीके से रद्द कर दिया गया था.

महबूबा ने ट्वीट किया, ‘भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य को अमानवीय बनाने, अलग-थलग करने और कमजोर करने के लिए जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को अवैध रूप से रद्द कर दिया गया था. भारत सरकार की खुलेआम लूट और हमारे संसाधनों की बिक्री से पता चलता है कि इसका एकमात्र मकसद हमारी पहचान को खत्म करना और जनसांख्यिकी को बदलना है.’

जम्मू कश्मीर को 31,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले: केंद्र

इससे पहले सरकार ने बीते 22 दिसंबर को संसद में कहा था  कि जम्मू कश्मीर को 31,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं और 28,400 करोड़ रुपये की एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना को अधिसूचित किया गया है, जिससे 4.5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी थी.

उन्होंने कहा था कि अक्टूबर में जम्मू कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई प्रतिनिधिमंडलों, शहीदों के परिवारों, नागरिक संगठन (सिविल सोसायटी) और पंचायती राज संस्थानों के सदस्यों तथा आम लोगों से मुलाकात के अलावा 4,500 यूथ क्लबों के लगभग 50,000 सदस्यों के साथ बातचीत की.

राय ने कहा था कि सरकार ने 28,400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए नई केंद्रीय क्षेत्र योजना को अधिसूचित किया है. इससे जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलने के साथ ही 4.5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.

उन्होंने कहा कि सरकार को लगभग 31,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने 25 सितंबर, 2020 को 1,352.99 करोड़ रुपये के व्यापार पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी है.

राय ने कहा कि पिछड़ रही परियोजनाओं से जुड़े कार्यक्रम के तहत कुल 1,983.77 करोड़ रुपये की 1,192 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं, जिनमें पांच परियोजनाएं 20 साल से अधिक समय से अधूरी थीं, जबकि 15 परियोजनाएं 15 वर्षों से अधिक समय से अधूरी थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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