हरियाणा: नमाज़ विरोधी संगठन ने गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले कालीचरण की रिहाई की मांग की

महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी कालीचरण महाराज के समर्थन में गुड़गांव में संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति की ओर से एक मार्च निकाला गया. इस मार्च में अधिकतर वही कट्टरपंथी हिंदुत्व नेता शामिल थे, जो सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ अदा करने का विरोध कर रहे हैं. इस दौरान ‘नाथूराम गोडसे अमर रहें’ और ‘गोडसे ने देश बचाया’ के नारे लगाए गए और हिंसा का आह्वान किया गया.

कालीचरण महाराज. (फोटो साभार: फेसबुक)

महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी कालीचरण महाराज के समर्थन में गुड़गांव में संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति की ओर से एक मार्च निकाला गया. इस मार्च में अधिकतर वही कट्टरपंथी हिंदुत्व नेता शामिल थे, जो सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ अदा करने का विरोध कर रहे हैं. इस दौरान ‘नाथूराम गोडसे अमर रहें’ और ‘गोडसे ने देश बचाया’ के नारे लगाए गए और हिंसा का आह्वान किया गया.

कालीचरण महाराज. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुड़गांवः महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार कालीचरण महाराज की रिहाई की मांग के लिए हरियाणा के गुड़गांव में शुक्रवार को विरोध मार्च निकाला गया.

इस विरोध मार्च में अधिकतर वही कट्टरपंथी हिंदुत्व नेता शामिल थे, जो सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने का विरोध कर रहे हैं.

बता दें कि कालीचरण को बीते 26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम में महात्मा गांधी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस विरोध मार्च की अगुवाई कुलभूषण भारद्वाज ने की, जो संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के कानूनी सलाहकार भी हैं.

दरअसल यह उन 22 स्थानीय समूहों का संगठन है, जो गुड़गांव में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने के लिए हर शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहा है.

शुक्रवार के इस मार्च में आरएसएस और भाजपा के पूर्व नेता नरेंद्र सिंह पहाड़ी भी शामिल हैं, जिन्होंने धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए पिछले हफ्ते पटौदी में एक स्कूल में क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर आयोजित कार्यक्रम को बाधित करने वाले समूह की अगुवाई की थी.

संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति-हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष महावीर भारद्वाज ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. भारद्वाज ने कुछ दिन पहले ही हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भी हिस्सा लिया था.

मार्च के दौरान ‘नाथूराम गोडसे अमर रहें’ और ‘गोडसे ने देश बचाया’ के नारे लगाए गए और हिंसा का आह्वान किया गया.

इस दौरान भारी पुलिसबलों की मौजूदगी के बीच उपायुक्त (डीसी) कार्यालय कूच करने से पहले सिविल लाइंस पर उपायुक्त के आवास के पास इकट्ठा प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की.

इस समूह में मानसेर से गो-रक्षक दल, बजरंग दल और हिंदू सेना के सदस्य शामिल थे.

गुड़गांव जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने कालीचरण की तुरंत रिहाई की मांग करते हुए उपायुक्त कार्यालय में राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन सौंपा.

बता दें कि भारद्वाज वही शख्स हैं, जिन्होंने 2019 में जामिया मिलिया के पास सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी को गोली मारने वाले 19 साल के युवक का बचाव किया था.

उन्होंने कहा, ‘हम गांधी के खिलाफ संत कालीचरण की टिप्पणी का समर्थन करते हैं और जिस तरह से छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया, उसकी निंदा करते हैं. जब धर्म के आधार पर देश का बंटवारा किया गया तो गांधी ने इसका विरोध क्यों नहीं किया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘देश के विभाजन को स्वीकार करने के लिए देश कभी गांधी को माफ नहीं करेगा. हिंदू समाज अब जाग गया है और अब हम हमारे संतों का अपमान स्वीकार नहीं करेंगे.’

भारद्वाज को 2020 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए भाजपा से निलंबित किया गया था. वह गुड़गांव के सेक्टर-47 और सेक्टर-12 में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने के विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे हैं.

वह उन 26 लोगों में भी शामिल थे, जिन्हें सेक्टर 12ए में नमाज को बाधित करने का प्रयास करने के लिए बीते 29 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी.

पटौदी से 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके नरेंद्र सिंह पहाड़ी ने कहा, ‘जब कोई हिंदू राष्ट्र और हिंदू हितों की बात करता है तो तुरंत एफआईआर दर्ज कर दी जाती है, जबकि अन्य के साथ कुछ नहीं होता.’

हरिद्वार में धर्म संसद का हिस्सा रह चुके भारद्वाज ने कहा, ‘कालीचरण की गिरफ्तारी का अपमान हिंदू समाज के लिए चुनौती है. उन्होंने (कालीचरण) ऐसा कुछ नहीं कहा, जो कानून के अनुरूप दंडनीय हो. कुछ देशद्रोहियों के दबाव में उन्हें गिरफ्तार किया गया. हिंदू समाज को ऐसी स्थिति में भड़काना नहीं चाहिए, जहां कानून एवं व्यवस्था का सवाल खड़ा हो जाए.’

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने उन्हें गिरफ्तार करने वाले देश के किसी भी पुलिस अधिकारी को 22 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा की.

हाल के हफ्तों में गुड़गांव में नमाज बाधित करने वालों में शामिल प्रवीण यादव ने कहा, ‘प्रशासन ने ओवैसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जो अपने भाषणों में हिंदुओं को धमका रहे हैं.’

मिनी सचिवालय में तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, ‘हम गुड़गांव के निवासी संत कालीचरण की गिरफ्तारी का विरोध करते हैं. इस मामले में जांच एकतरफा है.’

ज्ञापन के अनुसार, ‘ओवैसी हिंदुओं के खिलाफ लगातार अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. इस ज्ञापन के जरिये हम राष्ट्रपति से कालीचरण के खिलाफ मामले को तुरंत खारिज करने की अपील करते हैं.’

गुड़गांव के उपायुक्त यश गर्ग ने इस संबंध में पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.

सिविल लाइंस के एसएचओ वेद प्रकाश ने कहा, ‘लोगों के एक समूह ने उपायुक्त ऑफिस की तरफ मार्च किया और ज्ञापन सौंपा. स्थिति शांतिपूर्ण थी. हमें विरोध मार्च के दौरान किसी तरह के कथित नारेबाजी की कोई शिकायत नहीं मिली और मामले में स्वत: संज्ञान लिया गया है.’

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