कोविड प्रभावित 2020-21 में रेलवे ने तत्काल, प्रीमियम तत्काल टिकटों से 500 करोड़ रुपये से अधिक कमाए

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण साल के अधिकांश समय सामान्य संचालन बंद रहने के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय रेलवे ने तत्काल, प्रीमियम तत्काल और डायनामिक टिकट श्रेणियों में कुल 1,033 करोड़ रुपये की आमदनी की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण साल के अधिकांश समय सामान्य संचालन बंद रहने के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय रेलवे ने तत्काल, प्रीमियम तत्काल और डायनामिक टिकट श्रेणियों में कुल 1,033 करोड़ रुपये की आमदनी की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: रेलवे ने 2020-21 के दौरान तत्काल टिकटों की बिक्री से 403 करोड़ रुपये, प्रीमियम तत्काल टिकटों से अतिरिक्त 119 करोड़ रुपये और ‘डायनामिक’ किराये से 511 करोड़ रुपये कमाए हैं.

इस प्रकार कोविड-19 महामारी के कारण साल के अधिकांश समय सामान्य संचालन बंद रहने के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय रेलवे ने इन तीनों श्रेणियों में कुल 1,033 करोड़ रुपये की आमदनी की है.

यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) जवाब से मिली है.

रेलवे में ‘डायनामिक’ किराया प्रणाली वह प्रणाली है, जिसमें किराया मांग के मुताबिक तय होता है. यह किराया प्रणाली ट्रेन, राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी ट्रेनों में लागू है.

इन तीनों श्रेणियों के यात्री आमतौर पर अंतिम समय में यात्रा करने वाले होते हैं जो प्रीमियम शुल्क का भुगतान करके इन सेवाओं का लाभ उठाते हैं.

मध्य प्रदेश के रहने वाले चंद्रशेखर गौर द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने कहा कि उसने वित्तीय वर्ष 2021-22 में सितंबर तक ‘डायनामिक’ किराये से 240 करोड़ रुपये, तत्काल टिकट से 353 करोड़ रुपये और प्रीमियम तत्काल शुल्क से 89 करोड़ रुपये कमाए.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में जब ट्रेन संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं था, रेलवे ने ‘डायनामिक’ किराये से 1,313 करोड़ रुपये, तत्काल टिकट से 1,669 करोड़ रुपये और प्रीमियम तत्काल टिकट से 603 करोड़ रुपये कमाए थे.

रेल मंत्रालय का यह आंकड़ा रेलवे संबंधी संसद की स्थायी समिति की टिप्पणी के एक महीने बाद आया है.

समिति ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि तत्काल टिकट पर लगाए गए शुल्क ‘कुछ अनुचित’ हैं और विशेष रूप से उन यात्रियों पर बड़ा बोझ डालते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपने परिजनों एवं रिश्तेदारों से मिलने के लिए तत्काल यात्रा करने के लिए मजबूर होते हैं.

समिति की इच्छा थी कि मंत्रालय यात्रा की गई दूरी के लिए आनुपातिक किराये के वास्ते उपाय करे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, तत्काल टिकट शुल्क, द्वितीय श्रेणी के लिए मूल किराये के 10 प्रतिशत की दर से और अन्य सभी वर्गों के लिए न्यूनतम और अधिकतम मूल किराये के 30 प्रतिशत की दर से निर्धारित किया गया है. वहीं, कुछ ट्रेनों में 2014 में शुरू की गई प्रीमियम योजना और डायनेमिक फेयर सिस्टम का उपयोग करके तत्काल कोटा के 50 प्रतिशत तक टिकट बेचे जाते हैं.

संसद की स्थायी समिति ने यह भी कहा था कि इस तथ्य को देखते हुए कि राजधानी, शताब्दी और दुरंतो का किराया अन्य मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में पहले से ही अधिक है, डायनामिक किराया ‘भेदभावपूर्ण’ प्रतीत होता है. समिति ने आगे कहा था कि कुछ मामलों में ये किराया बजट एयरलाइनों की तुलना में अधिक है या फिर लगभग बराबर है.

रेल मंत्रालय के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 52 लाख से अधिक यात्री जो सीट आरक्षण सूची को अंतिम रूप देने के बाद वेटिंग लिस्ट में थे, चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में ट्रेनों से यात्रा नहीं कर सके.

इसी तरह लगभग 32,50,039 पीएनआर नंबर में से 52,96,741 यात्रियों ने टिकट बुकिंग कराई थी. इन टिकटों को स्वत: रद्द कर दिया गया, क्योंकि वे इस वित्तीय वर्ष के सितंबर तक रिजर्वेशन चार्ट तैयार करने के बाद ये वेटिंग में थे.

इतना ही नहीं भारतीय रेलवे ने कोविड महामारी प्रभावित 2020-21 के दौरान कोई नई ट्रेन सेवा शुरू नहीं की. हालांकि इसने 2019-20 में 144 नई ट्रेनें, 2018-2019 में 266, 2017-2018 में 170 और 2016-2017 में 223 ट्रेन सेवाएं शुरू की थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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