जेटली का यशवंत सिन्हा पर तंज, कहा- 80 साल की उम्र में ढूंढ़ रहे हैं नौकरी

अरुण जेटली ने सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है.

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New Delhi: Finance Minister Arun Jaitley at the release of the book "India @ 70 Modi @ 3.5" in New Delhi on Thursday. PTI Photo by Kamal Singh (PTI9_28_2017_000183A)

अरुण जेटली ने सीधे-सीधे सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है.

New Delhi : File photo of senior BJP leaders Yashwant Sinha and Arun Jaitley after a BJP Parliamentary Party meeting in New Delhi on Dec 04, 2012. Sinha on Wednesday delivered a blistering criticism of Finance Minister Arun Jaitley over the state of the economy. PTI Photo by Subhav Shukla (PTI9_28_2017_000161B)
वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की फाइल फोटो. (पीटीआई)

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने में उनकी कड़ी आलोचना का सरकार द्वारा जोरदार खंडन किए जाने के बावजूद भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा गुरुवार को भी अपनी बात पर कायम रहे और उम्मीद जताई कि केंद्र अपनी आर्थिक नीतियों की दिशा में बदलाव करेगा.

उधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जवाबी हमला बोला. जेटली ने सिन्हा को 80 साल की उम्र में नौकरी चाहने वाला करार देते हुए कहा कि वह वित्त मंत्री के रूप में अपने रिकॉर्ड को भूल गए हैं.

इस मामले में सिन्हा के पुत्र और केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा भी कूद पड़े और सरकार की आर्थिक नीतियों का जोरदार बचाव किया.

एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि सिन्हा नीतियों की बजाय व्यक्तियों पर टिप्पणी कर रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि सिन्हा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पीछे-पीछे चल रहे हैं. वह भूल चुके हैं कि कैसे कभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ कड़वे बोल का इस्तेमाल करते थे.

हालांकि, जेटली ने सीधे-सीधे सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है. इसमें जेटली का पहला उल्लेख सिन्हा के लिए और दूसरा चिदंबरम के लिए था.

उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री होने पर मैं आसानी से संप्रग-दो में नीतिगत शिथिलता को भूल जाता. मैं आसानी से 1998 से 2002 के एनपीए को भूल जाता. उस समय सिन्हा वित्त मंत्री थे. मैं आसानी से 1991 में बचे चार अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को भूल जाता. मैं पाला बदलकर इसकी व्याख्या बदल देता.

New Delhi: Finance Minister Arun Jaitley at the release of the book "India @ 70 Modi @ 3.5" in New Delhi on Thursday. PTI Photo by Kamal Singh (PTI9_28_2017_000183A)
गुरुवार को नई दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फोटो: पीटीआई)

जेटली ने सिन्हा पर तंज कसते हुए कहा कि वह इस तरह की टिप्पणियों के जरिये नौकरी ढूंढ रहे हैं. सिर्फ पीछे-पीछे चलने से तथ्य नहीं बदल जाएंगे.

इससे पहले, अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमला करके राजनैतिक तूफान खड़ा कर चुके सिन्हा ने कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत पर चर्चा के लिए उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा था लेकिन उन्हें समय नहीं मिला.

उन्होंने राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों से कहा, ‘मैंने पाया कि मेरे लिए दरवाजे बंद थे. इसलिए, मेरे पास मीडिया में बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. मुझे विश्वास है कि मेरे पास (प्रधानमंत्री को देने के लिए) उपयुक्त सुझाव हैं.’

सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम जैसे लोग जिन्हें वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञ माना जाता है अगर बोलें तो उस समय की सरकार को उसे ‘सुनना चाहिए.’ उन्होंने उन लोगों की राय को ‘राजनैतिक शब्दाडंबर’ के तौर पर खारिज किए जाने के खिलाफ सलाह दी.

भाजपा नेता ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार का नाम लिए बिना कहा कि केंद्रीय परियोजनाओं के लचर कार्यान्वयन के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि राजग पिछले 40 महीने से सत्ता में है.

अर्थव्यवस्था की बहस में जयंत भी कूदे

केंद्र की आर्थिक नीतियों पर सिन्हा के करारे हमले का उनके पुत्र और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने भी एक अग्रणी अंग्रेजी अखबार में लेख के जरिये जवाब दिया.

सिन्हा ने अपने पिता के लेख का वस्तुत: उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियों पर कई लेख लिखे जा चुके है. उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्यवश ये लेख कुछ सीमित तथ्यों से व्यापक निष्कर्षों को रेखांकित करते है.’

उन्होंने कहा, ‘एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यवस्था का आकलन करना ठीक नहीं है और चल रहे संरचनात्मक सुधारों के लंबे समय तक के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए यह आकड़े अपर्याप्त है.’

जयंत ने कहा कि ये संरचनात्मक सुधार केवल वांछनीय नहीं है बल्कि इनकी जरूरत एक ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण और बेहतर नौकरियां उपलब्ध कराने के लिए है.

उन्होंने कहा, ‘नई अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी, वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी और इन्नोवेशन आधारित होगी तथा नई अर्थव्यवस्था और भी अधिक न्यायोचित होगी जिससे सभी भारतीयों को बेहतर जीवन मिलेगा.’

जयंत ने दावा किया कि वर्ष 2014 से मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए संरचनात्मक सुधारों से, सुधारों का तीसरा चरण शुरू हुआ. इससे पहले वर्ष 1991 में और दूसरा चरण 1999-2004 राजग सरकार में हुआ था.

उन्होंने कहा, ‘हम मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे हैं जिससे ‘न्यू इंडिया’ के लिए लंबी अवधि के लिए फायदा होगा और रोजगार के अवसरों का सृजन होगा.’

सिन्हा के बचाव में सिन्हा

इस बीच, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के समर्थन में गुरुवार को उनकी पार्टी के एक अन्य नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी उतर आए. उन्होंने कहा कि यशवंत सच्चे अर्थों में राजनेता हैं और उन्होंने सरकार को आईना दिखाया है.

पूर्व वित्त मंत्री के विचारों को खारिज करने वाले, पार्टी के नेताओं पर शत्रुघ्न ने निशाना साधा और कहा कि ऐसा करना ‘बचकाना’ होगा क्योंकि उनके (सिन्हा के) विचार पूरी तरह से ‘पार्टी और राष्ट्र के हित में हैं.’

कई ट्वीट कर सरकार पर कटाक्ष करते हुए शत्रुघ्न ने यशवंत सिन्हा की टिप्पणियों को लेकर कही जा रही बातों के संदर्भ में दावा किया कि हम सब जानते हैं कि किस तरह की ताकतें उनके पीछे पड़ी हैं.

उन्होंने नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्र किसी भी दल से बड़ा है और राष्ट्र हित सबसे पहले आता है.