पेगासस प्रोजेक्ट: पोलैंड ने स्वीकार किया कि देश ने इज़रायली स्पायवेयर ख़रीदा था

सरकार के विरोधियों पर पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में पोलैंड के सत्ताधारी कंज़र्वेटिव पार्टी ‘लॉ एंड जस्टिस’ के नेता और उप-प्रधानमंत्री जारोस्लाव कैकजिंस्की कहा कि इसका इस्तेमाल कई देशों का खुफ़िया विभाग अपराध और भ्रष्टाचार से निपटने में कर रहा है. उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि इसका इस्तेमाल उनके राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में किया जा रहा है.

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(फोटो: द वायर)

सरकार के विरोधियों पर पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में पोलैंड के सत्ताधारी कंज़र्वेटिव पार्टी ‘लॉ एंड जस्टिस’ के नेता और उप-प्रधानमंत्री जारोस्लाव कैकजिंस्की कहा कि इसका इस्तेमाल कई देशों का खुफ़िया विभाग अपराध और भ्रष्टाचार से निपटने में कर रहा है. उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि इसका इस्तेमाल उनके राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में किया जा रहा है.

(फोटो: द वायर)

वारसा: पोलैंड के सबसे शक्तिशाली नेता ने कहा है कि देश ने इजरायली निगरानी सॉफ्टवेयर निर्माता एनएसओ ग्रुप से, जासूसी करने वाले उन्नत स्पायवेयर की खरीद की है, लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इसका इस्तेमाल उनके राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में किया जा रहा है.

इन दावों के बारे में पूछे जाने पर कि पोलैंड ने सरकार के विरोधियों पर पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया था, पोलैंड के सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी ‘लॉ एंड जस्टिस’ के नेता और उप-प्रधानमंत्री जारोस्लाव कैकजिंस्की (Jaroslaw Kaczynski) ने एक साक्षात्कार में कहा कि पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल कई देशों का खुफिया विभाग अपराध और भ्रष्टाचार से निपटने में कर रहा है.

उन्होंने विपक्ष के आरोपों (निगरानी) को खारिज कर दिया.

इस चुनाव में सत्तारूढ़ लॉ एंड जस्टिस पार्टी ने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की थी. इन चुनावों के तीन साल बाद पोलैंड की संसद के निचले सदन के सदस्य करजिस्तोफ ब्रेजा (Krzysztof Brejza) ने दावा किया था कि इजरायली कंपनी एनएसओ के स्पायवेयर पेगासस के जरिये उनके फोन को 33 बार हैक किया गया था.

जारोस्लाव ने कहा कि पेगासस पहले की निगरानी प्रणाली से ज्यादा उन्नत है, जिसमें खुफिया विभाग को कूट संकेतों में रचित खुफिया संदेशों की निगरानी की अनुमति नहीं थी.

कैकजिंस्की ने साप्ताहिक पत्रिका ‘सिसी’ (Sieci weekly) में आगामी 10 जनवरी को पूर्ण रूप से प्रकाशित होने वाले एक साक्षात्कार में कहा, ‘अगर पोलैंड के पास इस तरह के उपकरण नहीं होते तो यह अच्छी बात नहीं थी.’

इस साक्षात्कार के कुछ अंश बीते सात जनवरी को एक समाचार पोर्टल पर प्रकाशित किए गए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के तरीकों का कोई भी उपयोग हमेशा ‘अदालत और अभियोजक के कार्यालय’ के नियंत्रण में था.

अपनी बात को समझाते हुए उन्होंने कहा, ‘ऐसी गतिविधियों के लिए निगरानी प्रणाली यूरोप में किसी भी अन्य देश के मुकाबले पोलैंड में सबसे सख्त है.’

समाचार एजेंसी द एसोसिएटेड प्रेस (एएफपी) के मुताबिक, पेगासस स्पायवेयर के उपयोग के आरोपों ने पोलैंड को हाल के हफ्तों में हिलाकर रख दिया है. इस मामले की ‘वाटरगेट जांच’ की तुलना की जा रही है, जिसके कारण 1974 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

इससे पहले ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ ने विशेष खबर प्रकाशित की थी कि टोरंटो विश्वविद्यालय के साइबर निगरानी समूह ‘सिटीजन लैब’ ने पाया कि पोलैंड सरकार के तीन आलोचकों पर एनएसओ के पेगासस स्पायवेयर से नजर रखी जा रही थी. इसके बाद यह साक्षात्कार प्रकाशित हुआ है.

सिटीजन लैब’ ने कहा था कि पेगासस का इस्तेमाल तीन विपक्षी हस्तियों के खिलाफ किया गया था, जिसमें सिविक प्लेटफॉर्म पार्टी के सीनेटर और विपक्षी गठबंधन के प्रचार नेता करजिस्तोफ ब्रेजा भी शामिल थे. यह तब हुआ था जब ब्रेजा 2019 के चुनाव अभियान का समन्वय कर रहे थे.

ब्रेजा ने कहा था कि पेगासस के इस्तेमाल ने चुनाव परिणामों को प्रभावित किया हो सकता है, जिसे लोकलुभावन लॉ एंड जस्टिस पार्टी ने जीता था.

हालांकि उप-प्रधानमंत्री जारोस्लाव कैकजिंस्की ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि विपक्ष को ‘हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि वे वाकई चुनाव हारे थे’.

उन्होंने कहा था, ‘कोई पेगासस नहीं, कोई सेवा नहीं और किसी भी तरह की गुप्त रूप से प्राप्त जानकारी ने 2019 के चुनाव अभियान में कोई भूमिका नहीं निभाई है.’

सिटीजन लैब के एक वरिष्ठ शोधकर्ता जॉन स्कॉट-रेल्टन ने इससे पहले एएफपी को बताया था कि पेगासस के खोजे गए उपयोग निगरानी किए जाने की सूचना का एक छोटा सा सिरा भर है. उन्होंने कहा था कि इसका उपयोग पोलैंड के एक ‘तानाशाही चेहरे’ की ओर इशारा करता है.

पेगासस स्पायवेयर किसी भी स्मार्टफोन को पॉकेट जासूसी उपकरणों में बदल सकता है, जिससे इस स्पायवेयर का उपयोगकर्ता निशाना बनाए गए स्मार्टफोन के संदेशों को पढ़ सकता है, उनके स्थान को ट्रैक कर सकता है और यहां तक कि उनकी जानकारी के बिना अपने कैमरे और माइक्रोफोन को भी चालू कर सकता है.

मालूम हो कि पिछले साल एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर  भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

इस कड़ी में 18 जुलाई 2021 से द वायर  सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.

इस एक पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.

एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.

यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनिया भर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजरायल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति 27 अक्टूबर 2021 को गठित की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)