नागपुर जेल में जीएन साईबाबा कोरोना संक्रमित हुए, पत्नी ने अस्पताल भेजने की गुहार लगाई

माओवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के चलते नागपुर जेल में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा दूसरी बार कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं.

/
GN Saibaba PTI
जीएन साईबाबा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

माओवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के चलते नागपुर जेल में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा दूसरी बार कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं.

GN Saibaba PTI
जीएन साईबाबा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: माओवादियों से कथित जुड़ाव रखने के मामले में नागपुर केंद्रीय जेल में उम्र क़ैद की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीेएन साईबाबा कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं. महामारी के दौरान वे दूसरी बार कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए हैं.

साईबाबा 90 फीसदी से अधिक शारीरिक तौर पर अक्षम हैं और व्हीलचेयर पर रहते हैं. उन्हें 2017 में माओवादियों से संपर्क रखने और माओवादी गतिविधियों में संलिप्ता के आरोप में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

उन पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप थे. अदालत ने साईबाबा और अन्य को गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत सजा सुनाई थी.

उनकी पत्नी वसंता ने सोमवार 10 जनवरी को एक बयान जारी करके अधिकारियों से साईबाबा को जेल से स्थानांतरित करने की गुहार लगाई. उन्होंने बताया कि जेल ने अभी साईबाबा के परिवार को उनकी कोविड-19 संबंधी स्थिति की जानकारी नहीं दी है.

उन्होंने अपने कथन में लिखा है, ‘उन्होंने (साईबाबा) पहले हमें लिखा था कि वह बहुत कमजोर महसूस कर रहे हैं और लगातार हो रहे पीठ व कूल्हे के दर्द के चलते रात को सो भी नहीं पा रहे हैं. मैं बहुत चिंतित हूं कि वे कैसे कोविड-19 के इस हमले को सहेंगे, क्योंकि वे पिछली बार के संक्रमण से ही अब तक नहीं उबर पाए हैं. उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम हो गई है और उनका शरीर धीरे-धीरे जवाब देता जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं नागपुर जेल प्रशासन और अदालत से अपील करती हूं के वे उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करें, जहां उनकी देख-रेख हो सके क्योंकि उनकी दिल की समस्या कोविड-19 के साथ मिलकर गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है. ‘

बता दें कि अक्टूबर 2020 में साईबाबा ने जेल में भूख हड़ताल की थी, जब कथित तौर पर जेल प्रबंधन ने उन्हें महीने भर तक किताबें, कपड़े और दवाएं देने से इनकार कर दिया था.