बीते पांच सालों में देश के ग़रीबों की आय 53 फीसदी घटी, अमीरों की आय में 39% इज़ाफ़ा: सर्वे

मुंबई के थिंक टैक पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज़ कंज्यूमर इकोनॉमी द्वारा किए गए एक सर्वे में पता चला है कि कोरोना महामारी ने शहरी ग़रीबों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया और उनकी घरेलू आय कम हुई.

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(फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई के थिंक टैक पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज़ कंज्यूमर इकोनॉमी द्वारा किए गए एक सर्वे में पता चला है कि कोरोना महामारी ने शहरी ग़रीबों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया और उनकी घरेलू आय कम हुई.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः आर्थिक उदारीकरण के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि देश के सबसे गरीब 20 फीसदी भारतीय परिवारों की वार्षिक आय में बीते पांच सालों में 53 फीसदी की गिरावट आई है.

वर्ष 2020-2021 में गरीब लोगों की आय 2015-2016 की तुलना में 53 फीसदी कम हो गई है. यह आय 1995 के बाद से लगातार बढ़ रही थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समान अवधि में देश के सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की वार्षिक आय में 39 फीसदी का इजाफा हुआ है. इससे समाज के सबसे निचले तबके और सबसे उच्च तबके के लोगों पर कोरोना के आर्थिक प्रभावों का पता चलता है.

मुंबई स्थित थिंक टैक पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (पीआरआईसीई) द्वारा किए गए आईसीई 360 सर्वे 2021 से इन आंकड़ों का पता चला है.

अप्रैल और अक्टूबर 2021 के बीच कराई गए इस सर्वे के पहले दौर में दो लाख घरों और दूसरे दौर में 42,000 घरों को कवर किया गया. यह 100 जिलों के 120 कस्बों और 800 गांवों में फैला हुआ है.

कोरोना महामारी की वजह से 2020-2021 की कम से कम दो तिमाहियों में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थी, जिसकी वजह से 2020-21 में जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट देखी गई थी.

इस सर्वे से पता चलता है कि कोरोना ने शहरी गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया और उनकी घरेलू आय कम हुई.

इस सर्वे से पता चलता है कि कोरोना ने शहरी गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया और उनकी घरेलू आय कम हुई.

आय के आधार पर आबादी को पांच श्रेणियों में विभाजित करते हुए इस सर्वे से पता चलता है कि सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों की आय में सबसे अधिक 53 फीसदी की गिरावट आई है. दूसरी श्रेणी में (निम्न मध्यम वर्ग) के लोगों की घरेलू आय 32 फीसदी घटी है जबकि मिडिल क्लास के लोगों की घरेलू आय नौ फीसदी घटी है.

शीर्ष स्तर पर ऊपरी मध्यम श्रेणी में 20 फीसदी और सबसे अमीर लोगों की घरेलू वार्षिक आय 20 फीसदी घटी है.

वहीं, सबसे ऊपरी की दो श्रेणियों में अपर मिडिल क्लास (20 फीसदी) की आय में सात फीसदी और सबसे अमीर लोगों (20 फीसदी) की आय में 39 फीसदी का इजाफा हुआ है.

इस सर्वे से पता चलता है कि उदारीकरण के बाद किसी भी पांच साल की अवधि की तुलना में बीते पांच साल में सबसे अमीर 20 फीसदी परिवारों की औसतन आय सबसे ज्यादा बढ़ी है.

वहीं, सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों के साथ ठीक इसका उलट हुआ है. उनकी घरेलू आय में 1995 के बाद से कभी कमी नहीं देखी गई थी लेकिन कोरोना के कारण 2021 में उनकी आय घटकर लगभग आधी रह गई.

समाज के सबसे निचले तबके पर कोरोना का कितना असर हुआ है, इसका पता 2005 और 2016 के बीच की इन 11 सालों की अवधि से लगाया जा सकता है कि इस दौरान सबसे अमीर 20 फीसदी की घरेलू आय में 34 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि इस दौरान सबसे गरीब 20 फीसदी की घरेलू आय में 183 फीसदी की वृद्धि देखी गई यानी इस दौरान गरीबों की घरेलू आय 9.9 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ी थी.

सर्वे से पता चला है कि सबसे अमीर 20 फीसदी परिवारों की 1995 में कुल घरेलू आयु में 50.2 फीसदी हिस्सेदारी थी. वहीं 2021 में यह हिस्सेदारी बढ़कर 56.3 फीसदी हो गई.

दूसरी ओर, सबसे गरीब 20 फीसदी की हिस्सेदारी 5.9 फीसदी से घटकर 3.3 फीसदी हो गई.

सबसे गरीब 20 फीसदी में से ग्रामीणों की तुलना में शहरी क्षेत्रों के लोग अधिक प्रभावित हुए क्योंकि कोविड-19 की पहली लहर और लॉकडाउन ने शहरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे, जिस वजह से दिहाड़ी मजदूरों, छोटे कारोबारियों और घरेलू कामगारों का रोजगार चला गया और उनकी आय में कमी आई.

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