दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में ‘गोशाला’ बनाए जाने का छात्र-छात्राओं ने किया विरोध

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की हंसराज कॉलेज इकाई ने आरोप लगाया कि छात्राओं के छात्रावास के लिए तय स्थान पर ‘गोशाला’- स्वामी दयानंद गो-संरक्षण और अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है. प्रदर्शनकारी छात्रों ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन के दौरान जन शिक्षा की रक्षा करने, छात्र कल्याण को प्राथमिकता देने और शिक्षा का भगवाकरण न करने की मांग की.

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New Delhi: Members of the SFI (Hansraj unit) chant slogans during a protest against Hansraj's adminstration over a cow protection and research centre set up at a site reserved for women's hostel, in New Delhi, Monday, Jan. 31, 2022. (PTI Photo)(PTI01_31_2022_000084B)

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की हंसराज कॉलेज इकाई ने आरोप लगाया कि छात्राओं के छात्रावास के लिए तय स्थान पर ‘गोशाला’- स्वामी दयानंद गो-संरक्षण और अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है. प्रदर्शनकारी छात्रों ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन के दौरान जन शिक्षा की रक्षा करने, छात्र कल्याण को प्राथमिकता देने और शिक्षा का भगवाकरण न करने की मांग की.

दिल्ली में हंसराज कॉलेज की एसएफआई इकाई ने बीते सोमवार को गो-संरक्षण केंद्र के विरोध में प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज परिसर में गो-संरक्षण और अनुसंधान केंद्र की स्थापना का छात्रों ने विरोध किया और वहां छात्राओं के लिए छात्रावास बनाने की मांग की.

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की हंसराज कॉलेज इकाई ने आरोप लगाया कि छात्राओं के छात्रावास के लिए तय स्थान पर ‘गोशाला’- स्वामी दयानंद गो-संरक्षण और अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है.

कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रमा शर्मा का कहना है कि केंद्र में उन्होंने सिर्फ एक गाय रखी है और उसे अनुसंधान के लिए रखा गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र जहां बनाया गया है वह खाली पड़ा हुआ था, वहां छात्रावास बनाना संभव नहीं है.

प्रदर्शन का आयोजन एसएफआई ने किया था. इस प्रदर्शन में आइसा, क्रांतिकारी युवा संगठन, डीवाईएफआई, डीटीएफ समेत कई स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन भी शामिल हुए.

छात्रों ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया. उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था… ‘जन शिक्षा की रक्षा करें’, ‘छात्र कल्याण को प्राथमिकता दें’, ‘शिक्षा का भगवाकरण न करें’ और ‘हमारे कैंपस पर हमारा अधिकार है.’

छात्रों ने कहा कि ‘गोशाला’ के निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने छात्राओं के लिए छात्रावास बनाने की मांग की.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन कैंपस का ‘भगवाकरण’ कर रहा है. कॉलेज प्रशासन छात्राओं के हॉस्टल पाने के संघर्ष पर गौर करने के बजाय गायों के बचाव और प्रचार को प्राथमिकता देने में लगा है.

एसएफआई हिंदू कॉलेज की यूनिट प्रेसिडेंट ने कहा, ‘डीयू में महिलाओं के लिए कुछ ही हॉस्टल हैं. इस स्थिति में हॉस्टल की जगह गोशाला बनाना शर्मनाक है.’

एसएफआई दिल्ली स्टेट कमेटी की सदस्य एलिजाबेथ एलेक्ज़ेंडर ने कहा, ‘अपनी जिंदगी बेहतर करने के लिए जब लड़कियां अपने घरों से बाहर निकल रही हैं, तब हंसराज कॉलेज जैसे प्रशासन उन्हें हॉस्टल नहीं दे रहे हैं.’

आइसा दिल्ली अध्यक्ष अभिज्ञान ने कहा, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के सभी दावे फेल होते हैं, जब हंसराज कॉलेज लड़कियों के हॉस्टल की बजाय गोशाला खोलने को प्राथमिकता देता है.’

एसएफआई हंसराज कॉलेज के यूनिट सेक्रेटरी मुशफीन ने कहा, ‘लड़कियों के किए सस्ते और सुरक्षित हॉस्टल न होना स्टूडेंट्स को अपने घरों से निकलकर पढ़ने से हतोत्साहित करता है. यह हमारी हमेशा से मांग रही है कि सबके लिए हॉस्टल हो.’

इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रमा ने कहा था, ‘हमारा कॉलेज डीएवी ट्रस्ट कॉलेज है, जिसका आधार आर्य समाज है. उसी परंपरा के अनुरूप हम हर महीने के पहले दिन हवन करते हैं, जिसमें सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्र शामिल हो सकते हैं.’

उन्होंने आगे कहा था, ‘उस हवन के दौरान हम उन सभी लोगों का अभिनंदन करते हैं, जिनका उस महीने जन्मदिन होता है. इसके लिए हमें हर महीने आग में चढ़ाने के लिए जरूरी चीजें, जैसे- शुद्ध घी, बाजार से खरीदकर लाना पड़ता है. अब हम इस मामले में आत्मनिर्भर बन सकते हैं.

प्रिंसिपल का यह भी कहना था कि कॉलेज एक गोबर गैस प्लांट पर भी काम कर रहा है. उनका कहना था कि एक विचार यह भी है कि जब हॉस्टल खुलें तो हम छात्रों को शुद्ध दूध और दही उपलब्ध करा सकें.

एसएफआई ने एक बयान जारी करके कहा था, ‘कॉलेज में केवल एक पुरुष छात्रावास है और महिला छात्रावास का निर्माण कई वर्षों से उसी जमीन पर रुका हुआ है, जिस पर गोशाला का निर्माण किया जा रहा है. हम इस गोशाला के निर्माण की निंदा और इसका विरोध करते हैं.’

हालांकि प्रिंसिपल डॉ. रमा ने एसएफआई के आरोपों से इनकार किया था.

उन्होंने कहा था, ‘हॉस्टल के लिए वह जगह बेहद छोटी है, जिसमें करीब 100 छात्र रह सकें. उसे हॉस्टल के लिए आरक्षित नहीं किया गया था. हम छात्रावास के निर्माण के लिए कई औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं और कॉलेज के मास्टरप्लान पर फिर से काम कर रहे हैं, जिसके लिए नगर निगम की अनुमति लेने की जरूरत होगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)