कृषि बजट में ‘तकनीक आधारित मॉडल’ को बढ़ावा, किसानों की मांगों की अनदेखी

बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.

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Jalandhar: Labourers cover sacks of paddy grain with a plastic sheet to protect from rain at grain market in Jalandhar, Sunday, Oct. 17, 2021. (PTI Photo)(PTI10 17 2021 000119B)

बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: ‘किसान ड्रोन’ से लेकर केन-बेतवा लिंक परियोजना तक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में कृषि के ‘तकनीकी-सक्षम मॉडल’ को बढ़ावा देने पर जोर दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, साथ ही, वार्षिक बजट 2022-23 में किसानों की निर्धारित आय सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मद में 2.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो सीधा उनके खातों में ट्रांसफर किया जाएगा. यह प्रावधान गेहूं और धान उत्पादक किसानों के लिए है.

सीतारमण ने घोषणा की, ‘समावेशी विकास सरकार की प्राथमिकता है जिसमें गेहूं, धान, खरीफ और रबी फसलों की खरीद शामिल है, जिससे 1 करोड़ से अधिक किसान लाभ उठाएंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘163 लाख किसानों से 1,208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाना है. 2.37 लाख करोड़ रुपये उनके खातों में एमएसपी भुगतान के तौर पर भेजे जाएंगे.’

हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजटीय अनुमान में पिछले वर्ष की तुलना में मामूली वृद्धि देखी गई. पिछले साल इस सेक्टर में 1,31,531.19 करोड़ रुपये का प्रावधान था, इस वर्ष बजटीय अनुमान को 1,32,513.62 किया गया है, यानी कि बीते वर्ष से महज 982.43 करोड़ रुपये अधिक आवंटित किए हैं.

बीते वित्तीय वर्ष का संशोधित बजटीय अनुमान दिखाता है कि पिछले वित्तीय वर्ष में कृषि और किसान कल्याण विभाग (118294.24 करोड़ रुपये) और कृषि अनुसंधान और शिक्षा (8513.62 करोड़ रुपये) पर 1,26,807.861 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.

92 मिनट लंबे अपने बजटीय भाषण में सीतारमण कृषि संबंधी घोषणाओं पर केवल ढाई मिनट बोलीं. उन्होंने कहा, ‘फसल आकलन, भूमि रिकॉर्ड, कीटनाशकों के छिड़काव में किसान ड्रोन के उपयोग से किसानी और कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी क्रांति होगी.’

उन्होंने रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने में केंद्र सरकार की रुचि पर भी जोर दिया और साथ ही देश भर में किसानों को डिजिटल और उच्च तकनीकी सेवाओं का वितरण करने के क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी भागीदारी पर भी जोर दिया.

अपने बजटीय भाषण में उन्होंने कहा कि पूरे देश में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसकी शुरुआत पहले चरण में गंगा किनारे से लगी जमीन से होगी.

सीतारमण ने घोषणा की कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जरिये, कृषि उपज मूल्य श्रृंखला के लिए प्रासंगिक कृषि और ग्रामीण उद्यमों को स्टार्ट-अप के लिए वित्त उपलब्ध कराने को बढ़ावा दिया जाएगा.

वित्त मंत्री ने 44,605 करोड़ रुपये की राशि से केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना लागू करने संबंधी घोषणा की. बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए बनी यह परियोजना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैली हई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस परियोजना से 9 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को लाभ होगा.

गौर करने वाली बात है कि यह परियोजना चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कवर करती है.

सीतारमण ने कहा कि इस परियोजना से 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा करने के अलावा लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल मिलने की उम्मीद है.

सीतारमण ने कहा, ‘44,605 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना से नौ लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई में फायदा होगा.’ उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए 2022-23 में 1,400 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है.

बहरहाल, साल 2021 किसानों और सरकार के बीच सीधे टकराव का साल रहा. हजारों किसानों के एक साल लंबे आंदोलन के बाद सरकार को पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. किसानों को उम्मीद थी कि बजट में उनकी मांगों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

किसान नेता और भारतीय किसान संघ (भाकियू) के महासचिव युद्धवीर सिंह ने एनडीटीवी को बताया, ‘कृषि देश में आधे से अधिक कामकाजी आबादी को रोजगार देती है, फिर भी केंद्र ने इसकी अनदेखी की और किसानों से किए अपने वादे पूरे नहीं किए, जिसमें उनकी आय दोगुनी करने का वादा शामिल है.’

सिंह ने कहा कि एक साल तक चले लंबे आंदोलन के बाद भी बजट ने निराश किया, क्योंकि एमएसपी जैसे उनके मुख्य मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं.