राजस्थान के किसान भूमि को कब्ज़ामुक्त कराने के लिए कर रहे हैं ‘ज़मीन समाधि सत्याग्रह’

जयपुर विकास प्राधिकरण के नींदड़ आवासीय योजना के विरोध में पिछले दो दिनों से चल रहा है आंदोलन.

जयपुर विकास प्राधिकरण के नींदड़ आवासीय योजना के विरोध में पिछले दो दिनों से चल रहा है आंदोलन.

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जयपुर के नींदड़ क्षेत्र में चल रहे ज़मीन समाधि सत्याग्रह में मंगलवार को महिलाएं भी शामिल हुईं. (फोटो साभार: दैनिक भास्कर)

जयपुर: जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा नींदड आवासीय क्षेत्र की भूमि को अधिग्रहण से मुक्त करवाने की मांग को लेकर प्रभावितों ने मंगलवार को अधिग्रहीत भूमि में गहरे गड्ढे कर उसमें बैठकर बेमियादी धरना देकर विरोध दर्ज करवाया.

प्रभावित लोगों ने बताया कि जयपुर विकास प्राधिकरण गरीब लोगों की अपने पूर्वजों की भूमि को जबरदस्ती अधिगृहीत कर रही है. सरकार हमारी जायज़ मांगों पर बात करने को तैयार तक नहीं है. प्राधिकरण के विरोध में पुरुष और महिलाएं करीब पांच से छह फुट गहरे गड्ढे खोदकर उसमें धरना दे रहे हैं. प्रभावित लोग किसान हैं.

जयपुर में ज़मीन समाधि सत्याग्रह दो अक्टूबर से चल रहा है और मंगलवार को इस सत्याग्रह में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए.

राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को 22 पुरुषों के साथ 32 महिलाएं भी सत्याग्रह में शामिल हुईं. इसके बाद ख़ुफिया विभाग के अफ़सरों ने मामले की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजा जिसके बाद राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार हरकत में आई.

नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने प्रभावित लोगों के प्रतिनिधिमंडल से मंगलवार को मुलाकात की. स्वायत्त शासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने नींदड की भूमि को अधिगृहित नहीं करने की मांग की है.

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राजस्थान पत्रिका में बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट.

पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि ठोस नतीजा मिलने तक ज़मीन समाधि सत्याग्रह जारी रहेगा. योजना के अनुसार, तकरीबन 372 हेक्टेयर ज़मीन पर नींदड़ आवासीय योजना बसाई जानी है.

वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि प्रभावित लोगों से सरकार बातचीत कर रहीं है. सरकार की मंशा एकपक्षीय नहीं है. बातचीत से समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा.

पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित लोगों का कहना है कि उनकी ज़मीन पर आवासीय योजना बसाने की स्थिति नहीं है. सरकार ने गलत सर्वे किया है. इनका कहना है कि यहां के लोगों का रोज़गार खेती है और ज़मीन अधिग्रहण से ये लोग बेरोज़गार हो जाएंगे. सर्वे दोबारा होगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)