कांग्रेस ने केंद्र पर स्पेक्ट्रम नीलामी की राशि बरामदगी में घोटाले का आरोप लगाया

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का दावा, इससे सरकारी खज़ाने को 23,821 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का दावा, इससे सरकारी खज़ाने को 23,821 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

Spectrum Telecom Reuters
प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स

नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र पर आरोप लगाया कि वह निजी दूरसंचार कंपनियों से स्पेक्ट्रम नीलामी की राशि की बरामदगी की कोशिश को छह साल तक गुपचुप प्रयासों से टालने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने दावा किया कि इससे सरकारी खजाने को 23,821 करोड़ रुपये का नुकसान होगा और इसे स्पेक्ट्रम घोटाला 2.0 करार दिया.

कांग्रेस ने केंद्र पर अपने क्रोनी कैपिटलिस्टों को फायदा पहुंचाने को सुनिश्चित करने के लिए जानबूझ कर बरामदगी टालने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा वित्त एवं संचार मंत्रालय को इस मुद्दे पर पाक साफ होना होगा.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि वित्त एवं संचार मंत्रालय ने इसे टाले जाने को मंजूरी दी है और आखिरी फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास लंबित है.

पिछले साल जुलाई में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार कुछ दूरसंचार कंपनियों को 45,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा कर स्पेक्ट्रम घोटाला 1.0 में शामिल रही है. इसके लिए इसने कैग की रिपोर्ट को धूल फांकने के लिए रख दिया था.

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार की सूची में ताजा मामला स्पेक्ट्रम घोटाला 2.0 है जिसके तहत भाजपा सरकार स्पेक्ट्रम आवंटन की बरामदगी टाल रही है, जिससे सरकारी खजाने को 23,821 करोड़ रुपये के ब्याज का नुकसान हो रहा है.

उन्होंने कहा, आश्चर्य नहीं है, मोदी सरकार की पहचान को क्रोनी कैपिटलिस्टों की सूट बूट सरकार के तौर पर हुई है. सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने पिछले साल आठ अगस्त को विभिन्न बैंड में स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए निविदा आमंत्रित की थी. नीलामी छह अक्तूबर 2016 को खत्म हुई. बोली लगाने वाले तीन सफल कंपनियां थीं.

उन्होंने आरोप लगाया कि बोली के बाद निजी कंपनियों ने सरकार का रुख कर कहा कि शर्तों के मुताबिक वे भुगतान नहीं कर पाएंगे और नीलामी की शर्तें कथित तौर पर उनकी माली हालत के प्रतिकूल हैं.

उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार ने मुद्दे पर गौर करने के लिए संचार एवं विा मंत्रालयों की एक अंतर मंत्रालयी कमेटी गठित की. उन्होंने आरोप लगाया कि 2जी मामला और नियम एवं शर्तों की अनदेखी करते हुए इसने यह फैसला किया कि कंपनियां 19 साल में भुगतान करेंगी ताकि कंपनियों को फायदा हो सके, जबकि मूल शर्त के मुताबिक यह अवधि 13 साल थी.

सुरजेवाला ने कहा कि नियम एवं शर्तों में एकपक्षीय तरीके से सरकार द्वारा बदलाव करना 2जी मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है.

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