देश में आर्थिक नरमी के कारण विलय और अधिग्रहण बाज़ार में भारी गिरावट: रिपोर्ट

वैश्विक फर्म मर्जरमार्केट ने कहा, भारत में विलय और अधिग्रहण सौदों में 63.4 प्रतिशत की गिरावट आई. एयरटेल के सुनील मित्तल बोले, देश में कारोबार आसान करना अब भी मुख्य चुनौती.

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(फोटो: रॉयटर्स)

वैश्विक फर्म मर्जरमार्केट ने कहा, भारत में विलय और अधिग्रहण सौदों में 63.4 प्रतिशत की गिरावट आई. एयरटेल के सुनील मित्तल बोले, देश में कारोबार आसान करना अब भी मुख्य चुनौती.

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नई दिल्ली/मुंबई: चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सिंतबर तिमाई में देश के विलय और अधिग्रहण सौदों में 63.4 प्रतिशत की गिरावट रही. विलय और अधिग्रहण सौदों में गिरावट का कारण अर्थव्यवस्था में आर्थिक नरमी को बताया गया है. सौदों पर नजर रखने वाली एक कंपनी मर्जर मार्केट ने यह बात कही.

दूसरी ओर, देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल ने देश में कारोबार आसान किए जाने को अब भी मुख्य चुनौती बताते हुए सरकार से इस दिशा में और प्रयास करने का अनुरोध किया.

वैश्विक सौदों पर निगरानी करने वाली फर्म के मुताबिक, वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में भारतीय विलय और अधिग्रहण को मंदी का सामना करना पड़ा है. इस तिमाही में सौदा मूल्य 63.4 प्रतिशत घटकर 6.8 अरब डॉलर रह गया जबकि पिछले साल इसी तिमाही में सौदा मूल्य 15.8 अरब डॉलर रहा था. इसके अलावा, सौदों की संख्या 2009 के बाद निचले स्तर पर आ गई है.

मर्जर मार्केट ने रिपोर्ट में कहा, जीडीपी की वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है, जिसके कारण आर्थिक नरमी आई है. आर्थिक नरमी के कारण विलय और अधिग्रहण बाजार में गिरावट देखने को मिली है.

वर्ष 2017 की पहली छमाही में 1 अरब डॉलर से अधिक के दो बड़े सौदों के कारण दूरसंचार सौदा मूल्य के लिहाज से सबसे सक्रिय क्षेत्र रहा. 2017 की तीसरी तिमाही के दौरान, प्रौद्योगिकी क्षेत्र का सौदा मूल्य चार गुना बढ़कर 2.9 अरब डॉलर हो गया है, पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 57.7 करोड़ डॉलर रहा था.

रिपोर्ट में कहा गया, प्रौद्योगिकी क्षेत्र का शीर्ष सौदा सिंतबर में सॉफ्टबैंक और फ्लिपकार्ट के बीच रहा. सॉफ्टबैंक ने 2.6 अरब डॉलर से फ्लिपकार्ट में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी, जो कि इस साल देश का दूसरा सबसे बड़ा सौदा है.

जुलाई-सिंतबर तिमाही में भारत की भीतरी गतिविधियां 20.5 प्रतिशत बढ़कर 16.8 अरब डॉलर हो गया है.

वर्ष 2017 में भारतीय विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में धीमा रुख दिखाई दे रहा है जबकि निजी इक्विटी खरीदारी में 7.4 अरब डॉलर के कुल 66 सौदे किए गए. जो कि 2001 के बाद सबसे अधिक है.

मूल्य के लिहाज से रीयल एस्टेट क्षेत्र में सबसे ज्यादा सक्रियता रही. जुलाई-सितंबर के दौरान इस क्षेत्र में 1.8 अरब डॉलर के 4 सौदे हुए. इन सौदों में जीआईसी और डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स के बीच अगस्त में हुआ 1.34 अरब डॉलर का अधिग्रहण सौदा भी शामिल है.

घाना में 3 दिन में मिली विलय को मंजूरी, भारत में लगते हैं पांच महीने

देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल ने देश में कारोबार आसान किए जाने को अब भी मुख्य चुनौती बताते हुए सरकार से इस दिशा में और प्रयास करने का अनुरोध किया.

मित्तल इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा आयोजित एक अवार्ड कार्यक्रम में सामूहिक परिचर्चा को शनिवार रात संबोधित कर रहे थे. समारोह में वित्त मंत्री अरुण जेटली भी उपस्थित थे और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे.

मित्तल ने कहा, ‘कारोबार आसान किया जाना अब भी मुख्य चुनौती बना हुआ है. मैं जानता हूं कि सरकार इसपर ध्यान दे रही है. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि हमारा रैंक सुधरे.’

घाना में एक विलय की मंजूरी महज तीन दिन में मिल जाने की बात का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि वह कैसे हैरान हो गए थे. उन्होंने आगे कहा, ‘हम तीन दिन नहीं कर सकते, लेकिन 30 दिन या 60 दिन तो कर ही सकते हैं. हमें सच में ऐसी रूपरेखा की जरूरत है.’

मित्तल ने किसी पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी का अपनी प्रवर्तक कंपनी में विलय के बारे में कहा कि देश में आवश्यक मंजूरियां मिलने में पांच महीने तक लग जाते हैं.

समाधान सुझाते हुए उन्होंने कहा कि एक मंत्रिस्तरीय समिति होनी चाहिए जो उद्योग जगत के सुझावों पर ध्यान दे और उन्हें अमल में लाए.

उन्होंने बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की सरकार की योजना की सराहना की. उहोंने कहा कि इससे बैंकों को राहत मिलेगी.

उन्होंने चालू वित्त वर्ष में निवेश दो गुना करने का हवाला देते हुए संकेत दिया कि अगले तीन साल की अवधि में कंपनी 75 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी.

उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक द्वारा कारोबार की आसानी के आधार पर तैयार रिपोर्ट में 190 देशों में भारत को 130वें स्थान पर रखा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)