जाति और धर्म आधारित भड़काऊ बयानों से बचें नेता: चुनाव आयोग

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कई नेताओं के धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले बयानों पर संज्ञान लेते हुए चुुनाव आयोग ने आत्मसंयम बरतने की नसीहत दी है.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कई नेताओं के धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले बयानों पर संज्ञान लेते हुए चुुनाव आयोग ने आत्मसंयम बरतने की नसीहत दी है.

 

Election Commission
फोटो: पीटीआई

उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग ने भड़काऊ बयान देने से बचने की एडवाइजरी जारी की है. सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने कहा है कि यह सही तरीका नहीं है और इससे बचा जाना चाहिए. आयोग ने सभी दलों को और उनके नेताओं को मॉडल कोड आॅफ कंडक्ट और आईपीसी का ध्यान रखने को कहा है.

पत्र में चुनाव आयोग ने लिखा, ‘आयोग ने यह पाया है कि पिछले दिनों जारी की गई कई एडवाइजरी का पालन नहीं किया गया है. अब भी नेताओं की ओर से चुनाव और धर्म का घालमेल कर भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं.’

आयोग ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी जिक्र किया है जिसमें शीर्ष अदालत ने धार्मिक आधार पर वोट मांगने, धर्म और जात-पात के आधार पर चुनाव प्रचार पर चिंता जताई थी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की ये नई एडवाइजरी उस वक्त आई है जब चुनाव में प्रचार के दौरान धार्मिक बयानबाजियों को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी की फतेहपुर रैली में दिए शमशान और कब्रिस्तान वाले बयान या फिर रमजान और दीवाली में बिजली वाले बयान को लेकर पहले से ही विपक्षी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे.

इससे पहले यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी टी. वेंकटेशन ने प्रदेश सरकार को चिट्ठी लिखकर एंबुलेंस सेवा में ‘समाजवादी’ शब्द ढकने का निर्देश दिया था. जिसके बाद एंबुलेंस पर लिखे समाजवादी शब्द पर पट्टी लगा दी गई है.

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