नोटबंदी पर जश्न का दिन भी किसानों के लिए मौत का दिन था

मध्य प्रदेश में दो, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब में एक-एक किसानों ने की आत्महत्या, महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 2,414 किसानों ने आत्महत्या की.

///
A farmer throws water after making a canal to irrigate his field in Kolkata, India, May 12, 2016. REUTERS/Rupak De Chowdhuri####################RUPAK DE CHOWDHURI

मध्य प्रदेश में दो, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब में एक-एक किसानों ने की आत्महत्या, महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 2,414 किसानों ने आत्महत्या की.

A farmer throws water after making a canal to irrigate his field in Kolkata, India, May 12, 2016. REUTERS/Rupak De Chowdhuri####################RUPAK DE CHOWDHURI
फोटो: रॉयटर्स

नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधारों के बीच ‘नये भारत’ यानी ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण का दावा किया जा रहा है. सत्ता में आने पर किसानों की आय दोगुनी करने वाली पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ है और दावा कर रही है कि भारत अभूतपूर्व विकास की ओर है. केंद्र सरकार बुधवार आठ नवंबर को नोटबंदी की सालगिरह का जश्न मना रही थी, भारत के किसानों के लिए यह कतई जश्न का दिन नहीं था. इस दिन भी उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में किसानों के आत्महत्या करने की खबरें आईं.

नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर विपक्ष ने काला दिवस मनाया, जबकि सत्ता पक्ष ने कालाधन विरोध दिवस मनाया. पक्ष-विपक्ष के बीच दिन भर चली जुबानी जंग में नोटबंदी के दौरान मारे गए करीब 150 लोगों का जिक्र बमुश्किल किसी ने किया. इसी जश्न और विरोध के दिन आत्महत्या करने वाले किसानों का जिक्र किसी ने नहीं किया.

नोटबंदी की सालगिरह पर जश्न के दौरान केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने दावा किया कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था से व्यापक फायदे होंगे. केंद्रीय मंत्रियों में अरुण जेटली, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, सुरेश प्रभु, स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह आदि कई बड़े मंत्रियों को लगाया गया था कि वे देश को नोटबंदी के फायदे गिनाएं.

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नोटबंदी देश के सवा सौ करोड़ लोगों द्वारा कालाधन के खिलाफ लड़ी गई निर्णयक लड़ाई थी जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई. क्या सच में यह जनता की लड़ाई थी?

पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि नोटबंदी ने भारत विरोधी बलों को झटका दिया है और वित्तीय समावेशिता एवं हमारी अर्थव्यवस्था के संगठित विकास के जरिये नोटबंदी ने गरीब से गरीब को सशक्त बनाया है.

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सरकार अपने तमाम प्रयासों से नया भारत बनाने के काम में लगी है. नोटबंदी से आम लोगों को इसका फायदा मिला है. नोटबंदी से आने वाले समय में आर्थिक ढाचे में मजबूती आएगी जिसका फायदा आम लोगों, किसानों, महिलाओं को मिलेगा.

क्या सच में केंद्र सरकार के इन दावों का जमीनी सच्चाई से कोई वास्ता है? आठ नवबंर को आत्महत्या करने वाले किसानों को तो किसी ने संबोधित नहीं किया. पिछले 21 बरस में करीब सवा तीन लाख किसानों की तरह इस नोटबंदी दिवस पर भी कुछ कर्जग्रस्त, बैंक अधिकारियों से प्रताड़ित, भूख और गरीबी से तंग, फसल खराब होने से क्षुब्ध किसानों ने आत्महत्या की.

कर्ज से परेशान था, फांसी लगा ली

मध्य प्रदेश में रायसेन जिले के गोपालपुर गांव में कर्ज से परेशान होकर 42 वर्षीय एक किसान ने अपने ही खेत के पास पेड़ से लटककर कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

समाचार एजेंसी भाषा ने खबर दी है कि गैरतगंज थाना प्रभारी रूपेश दुबे ने बताया, ‘किसान हमीर सिंह लोधी का शव बुधवार सुबह उसके परिजनों ने पेड़ पर लटकता हुआ पाया. वह मंगलवार शाम से लापता था.’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है.

इसी बीच, मृतक किसान के भतीजे संतोष सिंह ने बताया कि उसके चाचा ने सहकारी बैंक से कर्ज लिया था. वह बिजली के बिल का भी भुगतान नहीं कर पा रहा थे. उसकी फसलें बरबाद हो गई थीं. इन सभी कारणों से वे मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशान चल रहे थे, जिसके चलते उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

संतोष ने बताया कि बिजली कंपनी एवं सहकारी बैंक की ओर से उस पर राशि अदा करने के लिए दबाव डाला जा रहा था. उन्होंने कहा कि उनके चाचा की पांच बेटियां एवं एक बेटा है.

दैनिक भास्कर ने लिखा है कि किसान पर कर्ज था, फसल भी खराब हो गई थी, उनके खेत के पास से बिजली कंपनी का लाइनमैन बिजली का तार काट ले गया था. इस वजह से हमीर सिंह परेशान थे.

पूर्व सरपंच ने लगाई फांसी

एक अन्य मामले में मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में ईसागढ़ ब्लॉक के मानकचौक ग्राम पंचायत में एक पूर्व सरपंच ने फांसी लगा ली. पत्रिका की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, पूर्व सरपंच जीवन लाल साहू ने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अपना घर बनवाया था. उन्होंने इसके लिए बैंक से कर्ज लिया था लेकिन कर्ज की किस्त जमा नहीं कर पा रहे थे. कर्ज की किस्त न पाने के कारण बैंक उनके घर में ताला लगा देने या फिर उन्हें जेल भेजने की धमकी दे रहे थे.

पत्रिका की खबर में कहा गया है कि बैंक के अधिकारी रविवार को भी आए थे और धमकी देकर गए थे. इस कारण से परेशान जीवन लाल ने फांसी लगा ली. बैंक अधिकारियों ने आरोप से इनकार करते हुए कहा है कि जीवन लाल पर बहुत कम कर्ज था.

रिपोर्ट के अनुसार, जीवन लाल की पत्नी भूरिया ने बताया कि कुछ महीने पहले अधिकारियों के धमकाने पर उन्होंने अपनी बहू के गहने बेचकर पांच हजार रुपये जमा किए थे. रविवार को फिर अधिकारियों ने आकर धमकाया तो उन्होंने एक हजार रुपये की व्यवस्था की, लेकिन वे बहुत चिंतित रह रहे थे और किसी से बात नहीं कर रहे थे. परिजनों के मुताबिक बीते सीजन में जीवन लाल ने दस बीघा उड़द बोया था, लेकिन मात्र तीन क्विंटल की उपज हुई.

क्षेत्र के विधायक गोपाल सिंह चौहान ने अखबार को बयान दिया कि जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, लेकिन बैंक अधिकारी फिर भी वसूली में लगे हैं. यह जनता के अन्याय है.

कर्ज और फसल खराब होने के चलते बांदा में किसान ने की खुदकुशी

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में आर्थिक तंगी, कर्ज और फसल की बर्बादी के चलते एक किसान ने आत्महत्या कर ली. पंजाब केसरी की एक खबर के मुताबिक, बबेरू कोतवाली क्षेत्र के पतवन गांव के किसान दयाराम (45) ने अपने खेत में लगे बबूल के पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. दयाराम के पिता ने बैंक से खाद और बीज के लिए 40 हजार लोन लिया था जो दोगुना हो गया था.

परिजनों के हवाले से खबर में कहा गया है कि दयाराम पर साहूकारों का भी कुछ कर्ज़ था. उनकी 3 बेटियां हैं जिनमें दो शादी के लायक हैं. दयाराम की फसल भी खराब हो गई थी. इन सबके चलते वे बहुत परेशान चल रहे थे.

पंजाब: कर्ज और खेती में घाटा बने किसान की खुदकुशी की वजह

आठ नवंबर को ही पंजाब के जीरा फिरोजपुर क्षेत्र के गांव अवान के एक किसान ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली. पंजाब केसरी की खबर के अनुसार, कर्ज से पीड़ित किसान कश्मीर सिंह (50) पुत्र गुरदित्त सिंह निवासी गांव अवान (जीरा) फिरोजपुर पर करीब 10 लाख रुपये का कर्ज था. कर्ज वापस न कर पाने से परेशान कश्मीर सिंह ने आत्महत्या कर ली.

अखबार के मुताबिक, कश्मीर सिंह की तीन बेटियां हैं. वे अपनी एक बेटी की शादी करने वाले थे, लेकिन कर्ज के बोझ से पहले से ही परेशान थे. कश्मीर सिंह करीब साढ़े तीन एकड़ बटाई की जमीन पर खेती करते थे, जिसमें उन्हें घाटा हुआ. खबर के मुताबिक, कर्ज, बेटी की शादी और खेती में नुकसान कश्मीर सिंह की मौत का कारण बना.

ओडिशा में छह किसानों ने आत्महत्या कर ली

इसी हफ्ते ओडिशा के बरगढ़ में छह किसानों ने आत्महत्या कर ली. न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक, उनकी फसलें खराब हो गई थीं जिससे परेशान होकर इन छह किसानों ने आत्महत्या कर ली. प्रशासन ने फसल के मुआवजे की घोषणा करते हुए जांच का आदेश दिया है.

एएनआई के मुताबिक, बरगढ़ के डीएम ने कहा कि जिन किसानों ने फसल खराब होने से नुकसान उठाया है उन्हें मुआवजा दिया जाएगा, मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.

महाराष्ट्र में जनवरी से अक्टूबर तक 2,414 किसान आत्महत्याएं

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही ने कर्ज माफी का ऐलान किया था. उसके बाद पिछले पांच महीने में कर्ज से परेशान 1,254 किसानों ने आत्महत्या की है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 2,414 किसानों ने आत्महत्या की है.

टाइम्स आॅफ इंडिया अखबार ने नौ नवंबर को एक खबर प्रकाशित की है कि महाराष्ट्र में पिछले पांच महीने में कर्ज से परेशान 1,254 किेसानों ने आत्महत्या की है. यह आंकड़े जून 2017 से अक्टूबर तक के हैं जिसे राज्य सरकार ने जारी किए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, इन पांच महीनों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के क्षेत्र विदर्भ से 691 किसानों ने आत्महत्या की है. इस इलाके में पेस्टिसाइड के छिड़काव की चपेट में आने से भी तमाम किसानों की मौत हुई है.

सरकारी आंकड़ों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 2,414 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आ चुके हैं. विदर्भ क्षेत्र में जनवरी से अब तक 1133 किसान खुदकुशी कर चुके हैं.

महाराष्ट्र के किसान 10 नवंबर से फिर से आंदोलन करने जा रहे हैं. इस दौरान किसान कृषि उत्पादों की आपूर्ति रोकेंगे. बीते जून में एक से दस जून तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों ने सड़क पर उतर कर फल, सब्जी और दूध की आपूर्ति रोक दी थी. इस दौरान मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस ने गोली चला दी थी, जिसमें छह किसान मारे गए थे.

महाराष्ट्र के आंकड़े से मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के आंकड़े कम खतरनाक नहीं होंगे.

किसान ने आत्महत्या की, बीजेपी बोली- सरकार जिम्मेदार नहीं है

नोटबंदी का जश्न मना लेने की अगली सुबह नौ जून को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में एक किसान ने आत्महत्या कर ली. न्यूज18 की खबर में कहा गया है कि ‘बेमेतरा के ग्राम घोरेघाट के किसान भगवती प्रसाद ने जैसे ही आत्महत्या की, उसके तुरंत बाद राजनीतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया. किसान के पास एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने की बात लिखी है.’

खबर के मुताबिक, ‘छत्तीसगढ़ के बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने दो टूक कह दिया है कि किसानों के व्यक्तिगत ऋण के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है. इस पर कांग्रेस ने बीजेपी से माफी मांगने को कहा है.’

यह आंकड़े सिर्फ स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए सैंपल हैं. वास्तविक स्थिति इससे कहीं ज्यादा भयावह है. न्यू इंडिया में भी किसान वैसे ही मरने को मजबूर हैं, जैसे ‘करप्ट इंडिया’ में मर रहे थे. इस दौरान वह सियासत मौन है जिसने वादा किया था कि हम किसानों की आय दोगुनी करेंगे.