सम्राट अशोक नहीं, चंद्रगुप्त मौर्य महान थे: भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी

लखनऊ साहित्य महोत्सव में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, त्रिवेदी ने आगे कहा, 'अशोक के तलवार छोड़ने के बाद से ही भारत में विदेशी आक्रमण शुरू हुआ, तो अशोक महान कैसे?'

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सम्राट अशोक का चित्र, बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, चन्द्रगुप्त मौर्या की मूर्ति बिहार

लखनऊ साहित्य महोत्सव में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘अशोक के तलवार छोड़ने के बाद से ही भारत में विदेशी आक्रमण शुरू हुआ, तो अशोक महान कैसे?’

सम्राट अशोक का चित्र, बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और बिहार में लगी चंद्रगुप्त मौर्य की प्रतिमा.
सम्राट अशोक का चित्र, बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और बिहार में लगी चंद्रगुप्त मौर्य की प्रतिमा.

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सम्राट अशोक को लेकर विवादित बयान दिया है. शनिवार को लखनऊ साहित्य महोत्सव में त्रिवेदी ने कहा कि चंद्रगुप्त मौर्य महान थे और अशोक की महानता केवल ब्रिटिश इतिहास के आधार पर हमने पढ़ी है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के अनुसार, त्रिवेदी ने कहा कि राजा चंद्रगुप्त मौर्य पिछड़ी जाति से आते थे और ब्राह्मणों की सलाह पर उन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों को रोका और एक महान राष्ट्र की स्थापना की.

त्रिवेदी ने आगे कहा, ‘अशोक के तलवार छोड़ने के बाद से ही भारत में विदेशी आक्रमण शुरू हुआ था. तो अशोक महान कैसे?

लखनऊ साहित्य महोत्सव में हो रही बहस के दौरान त्रिवेदी ने कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत के बयान पर अशोक और चंद्रगुप्त मौर्य के विषय पर टिप्पणी की थी.

राजपूत ने कहा, ‘बीजेपी टीपू सुल्तान पर यह कह कर निशाना साध रही है कि उन्होंने हिंदुओं की हत्या की थी. सम्राट अशोक भी एक महान राजा थे और कलिंग युद्ध में उन्होंने लाखों हिंदुओं की हत्या की थी, उसके बावजूद वो महान राजा हैं. टीपू सुल्तान ने भी अपने राज्य को बचाने के लिए बहुत सारे मुसलमान और ईसाईयों की हत्या की थी.’

राजपूत ने आगे कहा, ‘भाजपा के आक्रामक राष्ट्रवाद ने अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा और भय पैदा कर दिया है. भारत भूमि का एक टुकड़ा नहीं है बल्कि एक परंपरा का हिस्सा है. यह जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल की देन है कि उन्होंने प्रयास कर 500 राजघरानों का भारत में विलय करवाया.’

त्रिवेदी ने अपने जवाब में कहा कि कांग्रेस ने 1916 के अधिवेशन में धार्मिक प्रतिनिधित्व की पेशकश कर विभाजन का बीज बोया था.

राम मंदिर का मुद्दा सिर्फ चुनावों से पहले ही क्यों उठाया गया था इस प्रश्न पर त्रिवेदी ने कहा, ‘1949 से सब कुछ अदालत के आदेशों के तहत किया गया.’

उन्होंने शाहबानो मामले को उठाते हुए कहा, ‘कांग्रेस उस मामले में एक अध्यादेश लाई लेकिन जब लोग राम मंदिर के बारे में बात करते हैं, तब वे अदालत को बीच में ले आते हैं.