सरकार अपने उद्देश्यों के लिए क़ानून का दुरुपयोग तक कर सकती है: एस दुर्गा के निर्देशक

निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने कहा कि लोगों को ये पता चल गया कि उच्च पदों पर आसीन लोग कैसे न्यायपालिका की अवज्ञा करते हैं.

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फिल्म एस. दुर्गा के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन और फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: सनल कुमार शशिधरन/फेसबुक)

अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में फिल्म का प्रदर्शन न हो पाने के बाद निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने कहा कि लोगों को ये पता चल गया कि उच्च पदों पर आसीन लोग कैसे न्यायपालिका की अवज्ञा करते हैं.

फिल्म एस. दुर्गा के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन और फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: सनल कुमार शशिधरन/फेसबुक)
फिल्म एस. दुर्गा के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन और फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: सनल कुमार शशिधरन/फेसबुक)

पणजी: फिल्म एस दुर्गा के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता में मौजूद लोग अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इस मलयालम फिल्म की पुन: जांच का आदेश दिया. इस आदेश ने फिल्म का अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म उत्सव (आईएफएफआई) में स्क्रीनिंग के अदालती आदेश पर अमल नहीं होने दिया.

ज्ञात हो कि फिल्मोत्सव का समापन कल हो गया.

सनल ने आज एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि लोगों को यह देखने का एक मौका मिला कि उच्च पदों पर आसीन लोग किस तरह से न्यायपालिका की अवज्ञा करते हैं.

उन्होंने कहा कि वह जरा भी नाखुश नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर, वह बहुत खुश हैं कि उनकी फिल्म ने उन बहुत से लोगों को यह समझाने में मदद की है कि समस्या क्या है, जो यह पूछ रहे थे कि यदि संघ सत्ता में आता है तो क्या समस्या है.

सनल ने कहा कि यह साबित हो गया कि अभी जो लोग सत्ता में हैं, वे उस चीज को नष्ट करने में किसी हद तक जा सकते हैं जिसे वे नापसंद करते हैं.

वे लोग अपने उद्देश्य के लिए कानून का दुरूपयोग तक कर सकते हैं या न्यायपालिका की अवहेलना कर सकते हैं.

गौरतलब है कि कल सेंसर बोर्ड ने कहा कि फिल्म निर्माता इस फिल्म का तब तक प्रदर्शन नहीं कर सकते जब तक कि बोर्ड इसकी पुन: जांच नहीं कर लेता. इसने कहा कि निर्माताओं को जल्द ही एक उपयुक्त तारीख और समय से अवगत करा दिया जाएगा.

सेंसर बोर्ड के आदेश के फौरन बाद आईएफएफआई निदेशक सुनीत टंडन ने सनल को पत्र लिखकर बताया कि बोर्ड के हस्तक्षेप के चलते फिल्म का प्रदर्शन नहीं होगा.

ज्ञात हो कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्मोत्सव की अंतिम सूची से इस फिल्म को हटा दिया था जिसके बाद सनल केरल उच्च न्यायालय पहुंच गये थे.

केरल उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसे फिल्मोत्सव में दिखाया जाये. मंत्रालय ने एस दुर्गा को लेकर केरल उच्च न्यायालय के फैसले पर स्थगनादेश लेने का प्रयास किया, लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया.

इससे पहले सनल ने कहा, ‘मुझे पता चला है कि सात सदस्य एस दुर्गा को दिखाने के पक्ष में हैं, लेकिन पैनल के तीन नये सदस्य और एक पुराने सदस्य ने इसे दिखाये जाने का विरोध किया है.’

एस दुर्गा और न्यूड को महोत्सव से बाहर किये जाने के विरोध में ज्यूरी अध्यक्ष सुजॉय घोष और सदस्यों अपूर्व असरानी तथा ज्ञान कोरिया के इस्तीफे के बाद ज्यूरी में तीन नये सदस्यों सुधीर चौधरी, सतीश कौशिक और विवेक अग्निहोत्री को शामिल किया गया था.

साथ ही फिल्म निर्माता राहुल रवैल को इंडियन पैनोरमा श्रेणी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

केरल फिल्मोत्सव में होगी विशेष स्क्रीनिंग

ज्ञात हो कि अंतररष्ट्रीय फिल्मोत्सव में सोमवार रात ज्यूरी के लिए इस फिल्म के सेंसर बोर्ड से मंजूर संस्करण को दिखाया गया था.

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीएफबीसी) ने मंगलवार को निर्माताओं को एक पत्र लिखकर फिर से जांच के लिए फिल्म सौंपने के लिए कहा. पहले इस फिल्म को यू/ए प्रमाणपत्र दिया गया था.

इस बीच अगले महीने तिरुवनंतपुरम में केरल फिल्मोत्सव में एस दुर्गा की विशेष स्क्रीनिंग होगी.

केरल चलचित्र एकेडमी के अध्यक्ष निर्देशक कमल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि विशेषज्ञ ज्यूरी द्वारा चुने जाने के बावजूद आईएफएफआई से इस फिल्म को हटाने के खिलाफ विरोध के तौर पर और राजनीतिक विरोध के रूप में यह विशेष स्क्रीनिंग होगी.

विवाद का विषय हैशटैग है जो इस फिल्म के संशोधित शीर्षक में एस के बाद आया है. पहले इस फिल्म का नाम सेक्सी दुर्गा था.

सीबीएफसी द्वारा फिल्म के निर्माता शाजी मैथ्यू को भेजे गये पत्र में कहा गया है, ‘ऐसा जान पड़ता है कि प्रथम दृष्टया आपने जानबूझाकर सिनेमेटोग्राफ प्रमाणन नियमावली, 1983 के नियम 33 का उल्लंघन किया है ऐसे में सिनेमेटोग्राफ कानून, 1952 की धारा 5E1 ट लगाने पर विचार किया जा सकता है.’

पत्र में कहा गया है, ‘इस सिलसिले में मुझे आपको यह बताने का निर्देश प्राप्त हुआ है कि उपरोक्त फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कानून, 1952 के प्रावधान के तहत फिर से जांच होगी और उसके लिए तारीख एवं जगह की सूचना शीघ्र ही आपको दी जाएगी.’ पत्र के अनुसार बोर्ड को गोवा में फिल्मोत्सव ज्यूरी से इस फिल्म के शीर्षक को लेकर शिकायतें मिली हैं.

पत्र के मुताबिक निर्देशक ने ‘एस इइइ दुर्गा’ दिखायी थी जिसके बारे में बोर्ड का कहना है कि उसका बिल्कुल भिन्न असर होगा और यह शीर्षक पंजीकरण एवं तत्पश्चात किये गये बदलाव की बुनियाद को कम करने और उसे परास्त करने की कोशिश है.

सीबीएफसी ने कहा कि जबतक बोर्ड उसका पुन:परीक्षण करता है तब तक निर्माता उसे नहीं प्रदर्शित कर सकते. इस संबंध में उपयुक्त तारीख एवं जगह की सूचना दे जाएगी.

सीबीएफसी के आदेश के बाद फिल्मोत्सव के निदेशक सुनीत टंडन ने सनल को पत्र लिखकर उन्हें बताया कि बोर्ड के हस्तक्षेप के चलते यह फिल्म नहीं दिखायी जाएगी.

टंडन ने लिखा, ‘सीबीएफसी के आदेश के फलस्वरूप, जबतक मुद्दे हल नहीं कर लिये जाते, फिल्म नहीं दिखायी जा सकती है.’

इस पर सनल ने कहा, ‘यही असल खतरा है जिसका हम अब अपने समाज में सामना कर रहे हैं. अब आगे क्या होगा, का यह एक संकेत है. अब आगे से, यदि आप कोई फिल्म बनाते हैं और सरकार को वह पसंद नहीं है तो किसी भी कीमत पर वह आपको कहीं भी उसे प्रदर्शित नहीं करने देने जा रही है . यह तथ्य है. यही वह चाहती थी. सरकार नहीं चाहती है कि मैं राज्य में सिनेमाघरों में यह फिल्म रिलीज करुं.’

उन्होंने कहा, ‘एक मात्र रास्ता जो हमारे पास है वह न्यायपालिका है और सरकार इतनी बेशर्म है कि वह कह रही है कि यदि न्यायपालिका ने कोई आदेश जारी किया है तो भी हम उसे नहीं मानने जा रहे हैं. हम जो चाहते हैं हम वही करेंगे. आदेश कोई भी क्यों न हो, हम उसे खारिज कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कल रात क्या किया, उन्होंने बिना किसी सूचना के ज्यूरी में चार नये सदस्यों को डाल दिया. यह असामान्य प्रक्रिया है, पूर्णत: अवैध है. अब उस फैसले के आधार पर वे लोग कह रहे हैं कि फिल्म नहीं दिखायी जा सकती.’

सनल ने कहा कि यह अदालत की अवमानना है. यह कलात्मक आजादी की बहस का विषय बनेगा.

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