‘आडवाणी ने हमें कहा कि उन्हें 6 दिसंबर के बाद बाबरी मस्जिद नहीं चाहिए’

‘हम वहां राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने गये थे, मस्जिद गिराने नहीं’, बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल रहे कारसेवकों ने बताया उनका अनुभव.

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‘हम वहां राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने गये थे, मस्जिद गिराने नहीं’, बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल रहे कारसेवकों ने बताया उनका अनुभव.

Carsewak Ayodhya
(बाएं से) रामजी गुप्ता, संतोष दुबे, विजय तिवारी और प्रवीण शर्मा

अयोध्या: 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में हिंदू कारसेवकों की एक भीड़ ने 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद ध्वस्त कर दी. इस विध्वंस में शामिल रहे कुछ कारसेवकों में इस घटना के 25 साल बाद द वायर  से अपने अनुभव साझा किये.

सीबीआई की चार्जशीट में सबसे छोटे कारसेवक के बतौर संतोष दुबे का नाम दर्ज है. संतोष बताते हैं, ‘हम वहां लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और आरएसएस के अन्य नेताओं के निर्देश पर इकट्ठा हुए थे, जिन्होंने हमें कहा था कि हमें ‘500 साल की ग़ुलामी के निशान’ मिटाने हैं. उन्होंने कहा कि हमें बाबरी मस्जिद गिरानी है और हमने सफलतापूर्वक ये किया.’

सीबीआई की चार्जशीट में संतोष के अलावा आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, अशोक सिंघल, विनय कटियार, कल्याण सिंह, बाल ठाकरे समेत विहिप और भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के नाम हैं.

द वायर  से बात करते हुए संतोष ने बताया कि कैसे भाजपा और विहिप नेताओं द्वारा पूरी योजना बनायी गयी थी.

संतोष ने बताया कि उस समय उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार में राजस्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी फैज़ाबाद में उनके घर 3 दिसंबर 1992 की शाम आये और कहा कि आडवाणी उनसे मिलना चाहते हैं.

संतोष बताते हैं, ‘वे मुझे अयोध्या के हनुमान बाग मंदिर ले गए, जहां भाजपा और विहिप के वरिष्ठ नेताओं की बैठक चल रही थी. मैं वहां कारसेवक प्रवीण शर्मा और विजय तिवारी के साथ पहुंचा. हमें आडवाणी से मिलवाया गया, जिन्होंने चुनौती देने वाले स्वर में हमसे कहा- राम मंदिर निर्माण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बाबरी मस्जिद है. मुझे 300 ऐसे युवा चाहिए जो राम के लिए अपनी जान दे सकें और मुझे 6 दिसंबर के बाद बाबरी का यह ढांचा नहीं चाहिए. तुम्हें मस्जिद गिराने के लिए जो चाहिए वो मिलेगा; राज्य में हमारी सरकार है.’

फाइल फोटो: रॉयटर्स
फाइल फोटो: रॉयटर्स

वे आगे कहते हैं, ‘आडवाणी के कहने पर हथौड़े, गैंती, बेलचा, लोहे की नुकीली रॉड, रस्सियां, ड्रिल मशीन जैसे औजार और कुछ हल्के विस्फोटक हमें दे दिए गए. प्लान के मुताबिक आडवाणी द्वारा दिए गये इन औजारों की मदद से हमने 5 घंटे से भी कम समय में मस्जिद गिरा दी.’

कारसेवक प्रवीण शर्मा, जो उस समय 20 साल के थे और उस भीड़ का हिस्सा थे, ने द वायर  को बताया, ‘हमें भाजपा और विहिप नेताओं द्वारा बताया गया कि हमें राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करनी होगी. इसका उद्देश्य पवित्र था लेकिन आडवाणी, भारती और भाजपा-विहिप के अन्य नेताओं द्वारा दिए नारों और भाषणों से भीड़ गलत दिशा में मुड़ गयी.’

वे आगे बताते हैं, ‘इसके बाद हम कुल्हाड़ी और हथौड़े लिए बाबरी मस्जिद की तरफ बढ़े और सुरक्षा घेरा तोड़ दिया. लेकिन आज करीब ढाई दशक बाद, उस दिन जो भी अयोध्या में हुआ, उस पर मुझे दुख होता है. हम वहां राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने गये थे, मस्जिद गिराने नहीं. ’

रामजी गुप्ता तब करीब 40 साल के थे और विध्वंस के लिए बनी लक्ष्मण सेना के नेता थे. वे बताते हैं, ‘मैं विहिप का नेता था और राम जन्मभूमि का इंचार्ज था. भाजपा और विहिप के वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सेना का हिस्सा थे. हमें तरह-तरह के औजार दिए गये और योजना के मुताबिक हमने छोटे-छोटे समूहों में सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए बाबरी मस्जिद में प्रवेश किया. इसके बाद भीड़ हिंसक हो गयी और ढांचे पर हमला कर दिया.’

रामजी गुप्ता का नाम भी सीबीआई की चार्जशीट में था, साथ ही लखनऊ के विशेष सीबीआई कोर्ट द्वारा उन्हें आरोपी बताया गया था.

विजय तिवारी, जो उस वक़्त 18 साल के थे, बताते हैं, ‘भाजपा और विहिप नेताओं द्वारा एक दिन पहले जो औजार दिए गये थे, उनके साथ हम विवादित स्थल पर इकट्ठे हुए. फिर विहिप और भाजपा नेताओं द्वारा हमें गुलामी के निशान मिटाने और राम जन्मभूमि के निर्माण के लिए उकसाया गया. जब हम मस्जिद की तरफ बढ़े, तब सुरक्षा बलों ने हमें रास्ता दिया और आरएसएस कार्यकर्ताओं ने हमें ढांचे की और धकेला.’

वे आगे जोड़ते हैं, ‘हम उस वक़्त जवान थे और बिना कुछ सोचे हमने ढांचे पर हमला कर दिया.’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और फैज़ाबाद में रहते हैं.)

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