आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के बाद यूपी के आश्रम में साध्वियों से सामूहिक बलात्कार का आरोप

दिल्ली के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में महिलाओं को बंधक बनाकर रखने और उनके साथ बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया है.

crime against women
नागपुर शहर में एक दीवार पर बनी महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को रेखांकित करती पेंटिंग. (फोटो: द वायर)

दिल्ली के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में महिलाओं को बंधक बनाकर रखने और उनके साथ बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया है.

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नागपुर शहर में एक दीवार पर बनी महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को रेखांकित करती पेंटिंग. (फोटो: द वायर)

बस्ती (उत्तर प्रदेश): पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में स्थित संत कुटीर आश्रम के बाबा स्वामी सच्चिदानंद सहित चार महंतों द्वारा साध्वियों से कथित सामूहिक बलात्कार की शिकायत मिलने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

पुलिस ने गुरुवार को बताया कि छत्तीसगढ़ की दो लड़कियों और बस्ती की दो अन्य लड़कियों ने अपनी शिकायत में बाबा और महंतों के ख़िलाफ़ मारपीट, यौन शोषण और दुष्कर्म का आरोप लगाया है. संत कुटीर आश्रम बस्ती सदर कोतवाली क्षेत्र के अमहट घाट के पास है.

पुलिस के मुताबिक, पीड़ित साध्वियों का आरोप है कि आश्रम में उनके साथ दुष्कर्म किया जाता था, मना करने पर रस्सी से बांध कर यातनाएं दी जाती थीं.

किसी तरह आश्रम से जान बचा कर भागीं ये साध्वियां पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचीं और आपबीती सुना कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने मुक़दमा दर्ज कर जांच के आदेश दे दिए हैं.

पुलिस ने आश्रम पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है. आश्रम के संचालक धरम राज चौधरी ने लड़कियों के आरोप को निराधार बताते हुए दावा किया कि धन की हेरा-फेरी करने के कारण उन्हें आश्रम से निकाल दिया गया है.

पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने बताया कि मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है. जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी.

इससे पहले दिल्ली के रोहिणी इलाके के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम के आश्रम में महिलाओं का यौन शोषण और उनके साथ बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट नाम के एनजीओ की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम के आश्रम पर बीते मंगलवार को छापा मारने का आदेश दिया था.

जिसके बाद बीते गुरुवार को डीसीपी (रोहिणी) रजनीश गुप्ता, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त चार अधिवक्ताओं के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की टीम ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में छापा मारा.

छापेमारी के बाद यहां से तकरीबन 40 युवतियों को रिहा करवाया गया.

अपनी याचिका में एनजीओ ने आरोप लगाया था कि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में तमाम महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को बंधक बनाकर रखा गया है और उनका यौन शोषण किया जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, छापे में पता चला है कि वहां बंधक बनाकर रखी गईं महिलाओं को उनके परिवार और समाज से पूरी तरह काट दिया गया था. महिलाओं को पिछले 25 सालों से छोटे दड़बेनुमा जेल जैसी जगह में बांध कर रखा जाता था.

आश्रम की सुरक्षा किसी किले की तरह की गई थी. विजय विहार में यह आश्रम पिछले 25 वर्षों से चलाया जा रहा था. आरोप है कि यहां महिलाओं को नशे में रखा जाता था.

हाईकोर्ट ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के निर्माण को लेकर सीबीआई जांच के भी आदेश बीते बुधवार को दे दिए हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरिशंकर की पीठ ने सीबीआई के निदेशक से मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया है.

आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आश्रम में बंधक बनाई गईं अधिकांश महिलाएं उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के गांवों से लाई गई थीं.

छापे में शामिल हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त अधिवक्ता नंदिता राव ने कोर्ट को बताया, ‘आश्रम में 100 से ज़्यादा युवतियों को जानवरों जैसी स्थिति में बिना उनकी निजता का ख़्याल किए रखा गया था. युवतियों को अंधेरे में छोटे जेलनुमा बैरक में बंधक बनाकर रखा जाता था.’

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में 32 साल की एक महिला ने बताया, ‘आश्रम के लोगों द्वारा हमें बताया जाता था कि अगर हम बाहरी दुनिया से संपर्क करेंगे जो यह पाप होगा. बाबा हमें बताते थे मैं उनकी 16 हज़ार रानीयों में से एक हूं. उन्होंने कई बार मेरे साथ बलात्कार किया.’

इन दावों को ख़ारिज करते हुए आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के प्रवाचक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमारे पास महिलाओं की ओर से दिए गए लिखित दस्तावेज़ हैं जिन्हें उनके गांव के संबंधित थानों में भी भेजा गया है. ये महिलाएं अपनी इच्छा से आश्रम में रहना चाहती थीं. उनका पालन-पोषण अच्छी तरह से किया जाता था. उन्हें योग और अथर्व ज्ञान की शिक्षा दी जाती थी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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