आरके नगर सीट पर दिनाकरण की जीत, भाजपा को नोटा से भी कम वोट

उपचुनाव परिणाम: जयललिता के निधन से चेन्नई की आरके नगर सीट खाली हो गई थी. अरुणाचल में दोनों सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा.

दिनाकरण. ​​(फोटो: पीटीआई)

उपचुनाव परिणाम: जयललिता के निधन से चेन्नई की आरके नगर सीट खाली हो गई थी. अरुणाचल में दोनों सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा. पश्चिम बंगाल की सबंग सीट पर तृणमूल और यूपी की सिकंदरा सीट पर भाजपा की जीत.

दिनाकरण. (फोटो: पीटीआई)
दिनाकरण. (फोटो: पीटीआई)

चेन्नई: तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के सत्तारूढ़ धड़े को रविवार को झटका लगा जब दरकिनार किए गए नेता टीटीवी दिनाकरण ने प्रतिष्ठित आरके नगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में 40 हज़ार से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की.

जेल में बंद वीके शशिकला के भतीजे दिनाकरण ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक के ई. मधुसूदनन को 40 हज़ार 707 मतों के अंतर से हराया. इस सीट पर 21 दिसंबर को मतदान हुआ था.

वहीं इस सीट पर भाजपा को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. उपचुनाव में भाजपा की ओर से मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार कारू नटराजन से नोटा (नन आॅफ द अबव) को अधिक वोट मिला. नागराजन को महज़ 1,417 वोट मिले, जबकि करीब 2,373 मतदाताओं ने नोटा को प्राथमिकता दी.

इस सीट पर उपचुनाव की ज़रूरत पिछले साल दिसंबर में जयललिता की मौत की वजह से हुई. तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता उत्तर चेन्नई में आरके नगर सीट से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं.

दिनाकरण की जीत का अंतर जयललिता से भी बेहतर रहा. जयललिता ने इस विधानसभा सीट पर 2016 में 39 हज़ार 545 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

दिनाकरण को 89 हज़ार 13 मत मिले जबकि मधुसूदनन को 48 हज़ार 306 वोट मिले. द्रमुक के एन. मरुथु गणेश 24 हज़ार 651 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे. उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई. उनके अतिरिक्त भाजपा प्रत्याशी समेत 57 अन्य की भी ज़मानत ज़ब्त हो गई.

दिनाकरण निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े. उनका चुनाव चिह्न प्रेशर कुकर था क्योंकि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और उप मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले धड़े को दो पत्तियां चुनाव चिह्न आवंटित की थी.

दिनाकरण और शशिकला को पद से हटाने के बाद इस साल अगस्त में पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक के धड़ों का विलय हो गया था. शशिकला भ्रष्टाचार के एक मामले में बेंगलुरु की एक जेल में चार साल के कारावास की सज़ा काट रही हैं.

उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार से ज़्यादा वोट नोटा को मिला

विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार से ज़्यादा वोट नोटा को मिला है. मुख्य मुकाबला टीटीवी दिनाकरण और अन्नाद्रमुक के दिग्गज नेता ई. मधुसूदनन के बीच था.

नोटा को भाजपा उम्मीदवार कारू नागराजन से अधिक वोट मिला. नागराजन को महज 1,417 वोट मिले. करीब 2,373 मतदाताओं ने ईवीएम पर नोटा (इनमें से कोई नहीं) का बटन दबाया.

गौरतलब है कि नागरजन तमिल टीवी चैनलों पर नियमित रूप से नज़र आते हैं. वह विभिन्न मुद्दों पर भाजपा के विचार रखते हैं. इससे पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में मयलापुर सीट पर भी उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

अरुणाचल प्रदेश: उपचुनाव में भाजपा की दोनों सीटों पर जीत

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश की पाक्के कसांग और लिकाबली विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने रविवार को जीत दर्ज करके दोनों सीटें कांग्रेस से हथिया ली है. इस तरह 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में अब भाजपा के 49 विधायक हो गये हैं. पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) के नौ, कांग्रेस का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक है.

पाक्के कसांग सीट पर भाजपा के बीआर वाघे ने 475 वोटों के कम अंतर से जीत दर्ज करके कांग्रेस के अपने एकमात्र प्रतिद्वंद्वी और पूर्व उपमुख्यमंत्री कामेंग डोलो को पराजित किया. संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डीजे भट्टाचार्य ने बताया कि वाघे को 3,517 मत मिले जबकि डोलो को 3,042 वोट प्राप्त हुए.

लिकाबली सीट पर भाजपा के कार्दो नेयिगयोर ने पीपीए के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी गुमके रिबा को 305 मतों से हराकर जीत दर्ज की. भाजपा उम्मीदवार को 3,461 मत मिले जबकि पीपीए उम्मीदवार को 3,156 वोट मिले.

कांग्रेस उम्मीदवार मोदाम दिनी को केवल 362 मत मिले. इस सीट पर एकमात्र निर्दलीय उम्मीदवार सेंगो तेइपोडिया को 675 वोट हासिल हुए.

इन सीटों पर 21 दिसम्बर को हुए उपचुनाव में 68.5 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जोमदे केना का चार सितंबर को निधन हो गया था जिसके बाद लिकाबली सीट रिक्त हो गई थी.

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 15 मार्च, 2014 को कामेंग डोलो के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था, जिसके बाद पाक्के-केसांग सीट खाली हो गई थी.

पश्चिम बंगाल में तृणमूल ने कांग्रेस से सबंग सीट छीनी

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस से सबंग सीट छीन ली है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी की उम्मीदवार गीता रानी भूइयां ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी माकपा की रीता मंडल को 64 हज़ार से भी अधिक मतों से हराया. तृणमूल उम्मीदवार को 1,06,179 जबकि रीता को 41,987 वोट हासिल हुए.

उल्लेखनीय है कि भाजपा उम्मीदवार ने कांग्रेस प्रत्याशी से अधिक वोट हासिल किए. भगवा पार्टी की अंतरा भट्टाचार्य को 37,476 मत प्राप्त हुए. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव भौमिक को 18,060 मतों से संतोष करना पड़ा.

पश्चिम मिदनापुर ज़िले के ज़िलाधिकारी जगदीश प्रसाद मीणा ने इस बात की जानकारी दी.

पूर्व कांग्रेस विधायक मानस भूइयां के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था. वह अब तृणमूल की तरफ से राज्यसभा सदस्य हैं. तृणमूल कांग्रेस ने भूइयां की पत्नी गीता को उम्मीदवार बनाया था, जिन्होंने अपने पति से भी अधिक अंतर पर जीत दर्ज की.

कानपुर की सिकंदरा सीट पर भाजपा का कब्ज़ा बरक़रार

कानपुर देहात: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने सिकंदरा विधानसभा सीट पर अपना कब्ज़ा बरक़रार रखा है. इस सीट के उपचुनाव में रविवार को भाजपा ने 11 हज़ार से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से प्राप्त सूचना के मुताबिक भाजपा के अजीत सिंह पाल ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा की सीमा सचान को 11 हज़ार 861 मतों से पराजित किया.

पाल को 73 हज़ार 284 जबकि सीमा को 61 हज़ार 423 मत मिले. कांग्रेस प्रत्याशी प्रभाकर पांडेय को 19 हज़ार 84 वोट ही प्राप्त हुए.

यह सीट भाजपा विधायक मथुरा प्रसाद पाल के निधन की वजह से रिक्त हुई थी. उनका पिछली 22 जुलाई को बीमारी के बाद देहांत हो गया था.

मतगणना के दौरान सपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की सील टूटी होने का आरोप लगाते हुए मतगणना में गड़बड़ी का आरोप लगाया. उनका इल्जाम था कि ज़िला प्रशासन ने जान बूझकर सील तोड़ी ताकि भाजपा प्रत्याशी को जिताया जा सके.

हालांकि पुलिस अधीक्षक रतन कांत पांडेय ने मतगणना के दौरान वोटिंग मशीन की सील टूटे होने के आरोपों को गलत बताया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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