भाजपा नेताओं की मिलीभगत से चल रहा था महिलाओं का शोषण करने वाला आध्यात्मिक विश्वविद्यालय: आप

राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर छापा मारा गया तो महिलाओं को बंधक बनाकर रखने और उनसे बलात्कार का मामला सामने आया था.

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New Delhi: Police personnel near the Spiritual University at Rohini in New Delhi on Wednesday. The Delhi High Court directed the city police to immediately inspect the institute, where girls and women were allegedly kept in illegal confinement in the name of preaching. PTI Photo (PTI12_20_2017_000220B)

आम आदमी पार्टी ने पुलिस का संरक्षण मिलने का भी आरोप लगाया. बीते दिनों राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में छापा मारने पर महिलाओं को बंधक बनाकर रखने और उनसे बलात्कार का मामला सामने आया था.

New Delhi: Police personnel near the Spiritual University at Rohini in New Delhi on Wednesday. The Delhi High Court directed the city police to immediately inspect the institute, where girls and women were allegedly kept in illegal confinement in the name of preaching. PTI Photo (PTI12_20_2017_000220B)
राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में रोहिणी के विजय विहार इलाके में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में महिलाओं के शोषण का मामला सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी ने इस आश्रम को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने और पुलिस की मिलीभगत के साथ चलने का आरोप लगाया है.

रविवार शाम की गयी एक प्रेस कांफ्रेंस में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह ने सवाल किया, ‘एक व्यक्ति आध्यात्मिक विश्वविद्यालय खोलता है, उसे विश्वविद्यालय खोलने की मान्यता कहां से मिली, ये नहीं पता?’

उन्होंने कहा, ‘स्थानीय लोगों ने बार-बार शिकायत की कि वहां महिलाओं-बच्चियों का शोषण होता है. जिनकी बच्चियां वहां थीं, उन अभिभावकों को उनकी बच्चियों से मिलने नहीं दिया जाता. इन सब शिकायतों के बाद स्थानीय डीसीपी जांच करते हैं और क्लीन चिट दे देते हैं कि यहां कुछ भी गड़बड़ नहीं है.’

ये कोई सामान्य मामला नहीं है. ये राजनीतिक संरक्षण और पुलिस के मिले-जुले खेल का मामला है. इसमें भाजपा के लोग सीधे तौर पर शामिल हैं.’ संजय सिंह ने यह भी कहा कि उनको मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के नेताओं को नियमित रूप से हफ्ता और महीना पहुंचता है.

मामला तब प्रकाश में आया था जब एक ग़ैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर सूचित किया कि वहां कई महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को अवैध रूप से बंद कर रखा गया है.

जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने आश्रम के निरीक्षण के लिए वकीलों और दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल की एक समिति गठित की थी. उच्च न्यायालय ने समिति से वीरेंद्र देव दीक्षित द्वारा दिल्ली में चलाए जा रहे ऐसे अन्य केंद्रों का निरीक्षण करने को भी कहा था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम के आश्रम पर छापा मारने का आदेश दिया था.

जिसके बाद बीते गुरुवार को डीसीपी (रोहिणी) रजनीश गुप्ता, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त चार अधिवक्ताओं के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की टीम ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में छापा मारा. उस दिन यहां से तकरीबन 40 युवतियों को रिहा करवाया गया था.

छापेमारी में पता चला कि रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में महिलाओं और लड़कियों को जानवरों की तरह पिंजरे में बंद कर रखा गया था. महिलाओं को उनके परिवार और समाज से पूरी तरह काट दिया गया था. महिलाओं को पिछले 20-25 सालों से छोटे दड़बेनुमा जेल जैसी जगह में बांध कर रखा जाता था.

आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आश्रम में बंधक बनाई गईं अधिकांश महिलाएं उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के गांवों से लाई गई थीं.

छापे में शामिल हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त अधिवक्ता नंदिता राव ने कोर्ट को बताया, ‘आश्रम में 100 से ज़्यादा युवतियों को जानवरों जैसी स्थिति में बिना उनकी निजता का ख़्याल किए रखा गया था. युवतियों को अंधेरे में छोटे जेलनुमा बैरक में बंधक बनाकर रखा जाता था.’

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में 32 साल की एक महिला ने बताया, ‘आश्रम के लोगों द्वारा हमें बताया जाता था कि अगर हम बाहरी दुनिया से संपर्क करेंगे जो यह पाप होगा. बाबा हमें बताते थे मैं उनकी 16 हज़ार रानीयों में से एक हूं. उन्होंने कई बार मेरे साथ बलात्कार किया.’

आप के आरोपों पर दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि भाजपा भारतीय संस्कृति का पालन करती है, सभी धर्मों और आध्यात्मिक गुरुओं का सम्मान करती है. हालांकि भाजपा का नाम आश्रम के हालिया भंडाफोड़ से जोड़ा जाना निंदनीय है. पार्टी का आश्रम की गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है.

गौरतलब है कि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय संस्था का संस्थापक बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित गायब हो गया है. बीते एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कई इलाकों में इस बाबा के आश्रमों पर छापा मारकर 125 के करीब महिलाओं को छुड़वाया गया है.

स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि लड़कियों को वहां वर्षों से रखा गया था. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया तथा वह अदालत के आदेश के बाद ही हरकत में आई.

समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में स्थानीय निवासी मीना सिंह ने कहा था, ‘रात लगभग दो बजे से सुबह पांच बजे तक हम लड़कियों के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनते थे. लेकिन हमने कभी उन्हें दिन में नहीं देखा. हर रात कारें आती थीं और जाती थीं. यह कई साल से चल रहा था.’

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने भी दिल्ली पुलिस कि भूमिका पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा, ‘पहले नरेला की घटना हो या फिर अब रोहिणी समेत दिल्ली के दूसरे इलाकों में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय जैसे गोरखधंधे का मामला हो, दोनों ही मामलों में दिल्ली पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत की बू आती है. चाहे नरेला का अवैध शराब और नशा बेचने का मामला हो या फिर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर चल रहे बच्चियों और लड़कियों का शोषण का मामला, दोनों ही जगह पुलिस की मिलीभगत से ही ये सब कुछ चल रहा था.’

आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा कि जब हर जगह दिल्ली महिला आयोग ही हस्तक्षेप कर रहा है तो बात सामने आ रही है और एक्शन हो रहा है, दिल्ली हाईकोर्ट कह रहा है तो जांच शुरू हो रही है, ऐसे में 20 सालों से दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी.

उच्च न्यायालय ने सीबीआई को संस्थापक का पता लगाने का दिया आदेश

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वह आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित का पता लगाए.

बीते शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने आदेश दिया कि उत्तरी दिल्ली के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित को चार जनवरी से पहले उसके सामने पेश किया जाए.

पीठ ने यह भी पूछा था कि यदि आश्रम के संस्थापक और आध्यात्मिक प्रमुख सच्चे और ईमानदार हैं तो वह पेश क्यों नहीं हो रहे. साथ ही पीठ ने आश्रम की वित्तीय जानकारी भी मांगी और पूछा कि संस्थान के संचालन के लिए पैसा कहां से प्राप्त होता है?

इससे पहले अदालत ने आश्रम में बच्चियों और महिलाओं को कथित रूप से बंधक बनाकर रखे जाने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था. पीठ ने मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सीबीआई निदेशक से कहा कि वह विशेष जांच दल का गठन करे जो मामले संबंधी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज़ का प्रभार संभाले.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)