उत्तर प्रदेश में ख़त्म हो सकती है 2300 मदरसों की मान्यता, मदरसों में छुट्टियां भी घटीं

टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को रिश्वत ना दे पाने के कारण कुछ मदरसों का ब्योरा सरकारी पोर्टल पर नहीं आ पा रहा है.

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Children belonging to Rohingya Muslim community read Koran at a madrasa, or a religious school, at a makeshift settlement, on the outskirts of Jammu, May 6, 2017. Picture taken on May 6, 2017. REUTERS/Mukesh Gupta

टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को रिश्वत ना दे पाने के कारण कुछ मदरसों का ब्योरा सरकारी पोर्टल पर नहीं आ पा रहा है. छुट्टियां कम करने को लेकर मुख्यमंत्री से पुनर्विचार की मांग.

Children belonging to Rohingya Muslim community read Koran at a madrasa, or a religious school, at a makeshift settlement, on the outskirts of Jammu, May 6, 2017. Picture taken on May 6, 2017. REUTERS/Mukesh Gupta
(फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपना ब्योरा नहीं देने वाले करीब 2300 मदरसों की मान्यता ख़त्म होने की कगार पर है. राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ऐसे मदरसों को फ़र्ज़ी माना है.

प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया कि प्रदेश में 19 हज़ार 108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं. उनमें से 16 हज़ार 808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया है. वहीं, करीब 2300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया है. उन्हें हम फ़र्ज़ी मान रहे हैं.

चौधरी ने बताया कि मदरसा बोर्ड की परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तारीख़ 15 जनवरी है, लिहाज़ा इस माह के बाद इन मदरसों की मान्यता ख़त्म होने की संभावना है.

मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने भी बताया कि वेब पोर्टल पर जानकारी डालने की मीयाद गुज़र चुकी है, लिहाज़ा इन 2300 मदरसों की मान्यता ख़त्म की जाएगी.

उन्होंने बताया कि इस बार आलिया कक्षा आठ स्तर के 3691 मदरसे पंजीकृत हुए हैं. इनके छात्र-छात्राओं को बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल किया जाएगा. परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तारीख़ 15 जनवरी है. पिछली बार 2773 मदरसों के छात्रों ने परीक्षा दी थी.

मंत्री नारायण ने कहा कि सरकार अपनी जानकारी पोर्टल पर नहीं देने वाले मदरसों के प्रति अब भी नरम रुख़ अपनाए हुए है. ऐसे मान्यता प्राप्त मदरसे अब भी आकर अपनी समस्या से अवगत कराते हैं तो हम समाधान के लिए तैयार हैं. पोर्टल पर पंजीकृत मदरसों के किसी भी छात्र को परीक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा.

नारायण ने कहा कि सरकार मदरसों में पारदर्शिता लाने के लिए प्रयासरत है, जबकि विपक्ष इसे लेकर इल्ज़ाम लगाने का खेल खेल रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कोई नई व्यवस्था बनाएगी, जिससे मदरसों में शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति या बर्ख़ास्तगी सरकार की सहमति से हो.

इस बीच, टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया ने 2300 मदरसों की मान्यता ख़त्म किए जाने की तैयारियों के बारे में कहा कि वेब पोर्टल पर मदरसों का ब्योरा उपलब्ध नहीं होने में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए. उसके बाद ही मदरसों पर कोई कार्रवाई हो.

एसोसिएशन के महासचिव दीवान साहब ज़मां ने आरोप लगाया कि ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ही मदरसों की जानकारी को पोर्टल पर डालने की अहम औपचारिकताएं पूरी करते हैं. अनेक ऐसे मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिन्होंने पोर्टल पर अपनी जानकारी डालने के बाद उस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए अपना विवरण अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के यहां जमा किया है लेकिन रिश्वत ना दे पाने की वजह से उनका ब्योरा पोर्टल पर नहीं आ पा रहा है.

उन्होंने सरकार से मांग की कि वह ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों के कार्यालय से जानकारी मांगे कि उनके यहां कितने मदरसों ने अपना विवरण जमा कराया है और उनमें से कितने मदरसों का ब्योरा वेब पोर्टल पर आ चुका है. तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा.

ज़मां ने कहा कि उन्होंने ज़िलों में पोर्टल पर ब्योरा डालने के लिए ज़रूरी औपचारिकताएं पूरी करने के नाम पर हो रही लूट-खसोट के बारे में संबंधित प्रमुख सचिव से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को कई चिट्ठि्यां लिखीं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में अगर इन 2300 मदरसों की मान्यता ख़त्म की जाएगी तो यह अन्याय होगा.

मालूम हो कि प्रदेश की योगी सरकार ने पिछले साल जून में एक वेब पोर्टल जारी करते हुए प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त मदरसों से उस पर अपनी प्रबंध समिति, शिक्षकों, छात्रों तथा अन्य कर्मचारियों के बारे में 15 जुलाई तक जानकारी अपलोड करने को कहा था. उसके बाद समय-समय पर इस अवधि को बढ़ाया गया था.

सरकार का कहना है कि पोर्टल का उद्देश्य मदरसों के संचालन में पूर्ण पारदर्शिता लाना है.

मदरसों में घटीं छुट्टियां: टीचर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से की पुनर्विचार की मांग

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी मान्यता प्राप्त मदरसों के लिए छुट्टियों का नया कैलेंडर जारी करते हुए अवकाश की संख्या घटा दी है. मदरसों ने इसका विरोध करते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की है, वहीं सरकार ने इसे छात्रहित में उठाया गया क़दम बताया है.

मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता की ओर से जारी कैलेंडर में दीपावली, दशहरा, महानवमी, महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, रक्षाबंधन और क्रिसमस की छुट्टियां बढ़ाई गई हैं. वहीं, रमजान के दिनों में दी जाने वाली 46 दिन की छुट्टियों की संख्या घटाकर 42 कर दी गई है. इसके अलावा मदरसों के प्रबंधकों के विवेकाधीन 10 छुट्टियों को ख़त्म कर दिया गया है.

सरकार ने पिछले साल के मुकाबले मदरसों में छुट्टियों के अवसर 17 से बढ़ाकर 25 कर दिए हैं, लेकिन 10 दिन की विवेकाधीन छुट्टियां घटा दी हैं. पिछले साल जहां मदरसों में कुल 92 छुट्टियों की व्यवस्था थी, वहीं इस साल इनकी संख्या 86 ही रहेगी.

प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने मदरसों में छुट्टियां घटाए जाने के बारे में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि सभी शिक्षण संस्थाओं के छात्र अपने महापुरुषों के बारे में जानें, इसलिए सभी शिक्षा परिषदों और विश्वविद्यालयों में महान विभूतियों की जयंती अथवा पुण्यतिथि पर दी जाने वाली छुट्टियां रद्द की गई हैं. मदरसे भी इसकी परिधि में आते हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार ने यह क़दम छात्रहित को ध्यान में रखते हुए उठाया है.

इस बीच, टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुधवार को पत्र लिखकर छुट्टियों में कटौती पर पुनर्विचार की मांग की है.

एसोसिएशन के महामंत्री दीवान साहब ज़मां ने बताया कि संगठन ने पत्र में कहा है कि नए कैलेंडर में रमज़ान शुरू होने से दो दिन पहले ही छुट्टी की व्यवस्था की गई है. पहले 10 दिन पूर्व छुट्टी होती थी. नई व्यवस्था से मदरसा विद्यार्थियों और शिक्षकों को समय से अपने घर पहुंचने में असुविधा होगी. ज़्यादातर मदरसा शिक्षक तरावीह पढ़ाते हैं जो रमज़ान के एक दिन पहले शुरू होती है. ऐसे में नई व्यवस्था से परेशानी होगी.

उन्होंने कहा कि इसी तरह मुहर्रम का विशेष आयोजन उस इस्लामी महीने की एक से 10 तारीख़ तक होता है. कैलेंडर में मुहर्रम की तीन दिन की छुट्टी होती थी, 10 दिन के विवेकाधीन अवकाश को मुहर्रम के साथ जोड़ने से आयोजन बख़ूबी मनाए जाते थे, मगर अब यह छुट्टी ख़त्म करने से अनेक कठिनाइयां पैदा होंगी. अन्य धर्मों की छुट्टियां जोड़ना स्वागतयोग्य है मगर किसी विशेष आयोजन की छुट्टियां कम करना उचित नहीं है, इससे ग़लत संदेश जाएगा. सरकार इस पर पुनर्विचार करे.

एसोसिएशन की मांग है कि अवकाश तालिका में संशोधन करके 10 दिन का विशेष अवकाश और रमजान के लिए 47 दिनों का अवकाश किया जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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