मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब में क़र्ज़ में डूबे चार किसानों ने आत्महत्या की

राष्ट्रीय किसान मंच ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार किसान विरोधी है, किसानों के मुद्दे उठाने से रोक रही है. पंजाब में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं पूर्व मुख्यमंत्री बादल के गृह ज़िले में.

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फोटो: रॉयटर्स

राष्ट्रीय किसान मंच ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार किसान विरोधी है, किसानों के मुद्दे उठाने से रोक रही है. पंजाब में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं पूर्व मुख्यमंत्री बादल के गृह ज़िले में.

फोटो: रॉयटर्स
फोटो: रॉयटर्स

नई दिल्ली: देश भर में बढ़ते कृषि संकट के चलते किसान आत्महत्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में कर्ज से परेशान एक किसान ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली. वहीं पंजाब में कर्जमाफी की लिस्ट में नाम न आने से एक किसान को हार्ट अटैक आ गया तो एक किसान ने जहरीला पदार्थ पीकर खुदकुशी कर ली. उत्तर प्रदेश के शामली में कर्ज से मानसिक तनाव में आए एक किसान ने आत्महत्या कर ली.

मध्य प्रदेश में बुरहानपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र में कर्ज से परेशान 43 वर्षीय एक किसान ने शुक्रवार को अपने खेत में कथित तौर पर कीटनाशक दवा पीकर आत्महत्या कर ली. मृतक किसान के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुराने ऋण को अदा न कर पाने के कारण किसान तनाव में था.

शाहपुर पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र भास्कर ने कहा कि जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर चौंडी गांव के किसान गोकुल सिंह चौहान ने अपने खेत में कीटनाशक दवा पीकर खुदकुशी कर ली. उन्होंने बताया कि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है. जांच के बाद खुदकुशी के सही कारण पता चल सकेगा.

वहीं, दूसरी ओर मृतक किसान के बड़े भाई दानलू चौहान ने कहा कि पुराने ऋण को चुका नहीं पाने के कारण गोकुल परेशान था. इसके साथ ही उसकी जमीन डूब क्षेत्र में आने से भी वह तनाव में था.

मोहद की सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि मृतक की मां ने वर्ष 1999 में समिति से 53,000 रुपये का कर्ज लिया था जो अब बढ़कर लगभग 2,10,000 रुपये हो गया है. कुछ वर्ष पहले उसकी मां की मौत के बाद कर्ज देयता की जिम्मेदारी मृतक किसान पर आ गई थी.

जिला कलेक्टर दीपक सिंह का ने कहा कि इतने पुराने कर्ज का बकाया रहना जांच का विषय है जबकि भूमि डूब क्षेत्र को लेकर उन्होंने कहा कि अभी जिले में कहीं भी भूअर्जन की कार्रवाई नहीं चल रही है.

कर्जमाफी की लिस्ट में नाम नहीं आने से दो किसानों की जान गई

पंजाब में कर्जमाफी की लिस्ट में नाम नहीं आने से एक किसान की हार्ट अटैक से जान चली गई तो एक किसान ने खुदकुशी कर ली. दैनिक जागरण अखबार की खबर के मुताबिक, ‘सरकार की तरफ से जारी कर्ज माफी की सूची में नाम न होने से परेशान संगरूर के किसान ने खुदकशी कर ली, जबकि अमृतसर जिले के झब्बाल हलके के किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई.’

खबर के मुताबिक, संगरूर जिले के गांव रोड़ेवाला निवासी किसान सिकंदर सिंह (43) का कर्जमाफी की लिस्ट में नाम नहीं था. इससे दुखी सिकंदर सिंह ने गुरुवार को ने जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली. सरपंच परमजीत कौर के पति जसपाल सिंह ने बताया कि सिकंदर के पास 2 एकड़ जमीन थी और उस पर आढ़ती व बैंक का करीब पांच लाख रुपये का कर्ज था, जिस कारण वह परेशान रहता था. कर्जमाफी की जारी लिस्ट में नाम न होने से वह परेशान था.’

हालांकि, पंजाब केसरी की खबर में कहा गया है कि ‘गांव के सरपंच जसपाल सिंह ने बताया कि सिकंदर सिंह पर करीब 7-8 लाख रुपये का कर्ज था. कर्ज के कारण परेशान सिकंदर सिंह को उम्मीद थी कि सरकार उनका कर्ज काफ कर देगी लेकिन कर्जमाफी वाली लिस्ट मे नाम न आने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली.

दूसरी घटना अमृतसर जिले की है. यहां के झब्बाल इलाके में सूची में नाम नहीं आने से 45 वर्षीय किसान जसवंत सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई. दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, ‘जसवंत सिंह पर सहकारी सभा का 35 हजार और आढ़ती का ढाई लाख रुपये का कर्ज था. सरकार की तरफ से जारी कर्जमाफी की सूची में जसवंत सिंह का नाम नहीं था. जसवंत के बेटे भुपिंदर सिंह ने बताया कि इसी वजह से उसके पिता काफी परेशान थे. बुधवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई.’

शामली में कर्ज से परेशान किसान ने जान दी

उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला में एक किसान ने आत्महत्या कर ली. न्यूज18 की खबर के मुताबिक, ‘कांधला थाना क्षेत्र के गांव एलम में कर्ज में डूबे किसान हरेंद्र ने आत्महत्या कर ली. किसान पर लाखों का कर्ज बताया जा रहा है. कर्ज चुकाने और बेटी की शादी न कर पाने में नाकाम किसान ने फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया.’

खबर के मुताबिक, ‘मृतक के परिजन जहां कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या की बात कह रहे हैं वहीं शामली पुलिस की अलग ही दलील है. एलम चौकी प्रभारी मौत को स्वभाविक बताकर टालने में जुटे हैं, जबकि ईटीवी/न्यूज 18 के पास मृतक किसान का फांसी पर लटके हुए शव का वीडियो है.’

उक्त खबर में कहा गया है कि ‘किसान ने गांव के ही साहूकारों और बैंक से जमीन पर लोन लिया हुआ था लेकिन इस बार किसान की खेती भी ठीक तरीके से नहीं हो पाई. हरेंद्र पर गांव के ही साहूकारों और बैंक दोनो का लगभग 10 लाख रुपए कर्ज था. जिसके चलते किसान ने खुद को मौत के हवाले कर दिया. किसान का शव गुरुवार को पेड़ से लटका मिला.’

हालांकि, दैनिक जागरण की खबर में कहा गया है कि ‘हरेंद्र ने कई वर्ष पूर्व पंजाब नेशनल बैंक से दो लाख रुपये और जिला सहकारी बैंक से एक लाख रुपये का कर्ज लिया था. उन्होंने जिला सहकारी बैंक में 28 हजार रुपये जमा कर दिए थे, जबकि पंजाब नेशनल बैंक से लिए गए कर्ज को जमा नहीं कर पा रहे थे. बैंकों द्वारा किसान को नोटिस भेजे गए, जिससे वे मानसिक तनाव में थे.’

समाचार पोर्टल पत्रिका के मुताबिक, पंजाब में सन 2000 से 2016 के बीच 16,500 किसानों ने आत्महत्या की है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है कि सर्वाधिक आत्महत्याएं पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जिले मुक्तसर में हुई हैं. दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का जिला पटियाला है.

किसान विरोधी है भाजपा सरकार: किसान मंच

राष्ट्रीय किसान मंच ने उत्तर प्रदेश सरकार पर शुक्रवार को आरोप लगाया कि वह किसान विरोधी है और किसानों तथा उनके संगठनों को राज्य के किसानों के मुद्दे उठाने से रोक रही है.

मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने संवाददाताओं से कहा कि सीतापुर के जिला प्रशासन ने संगठन को एक निजी चीनी मिल के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी.

उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति नहीं देना उत्तर प्रदेश सरकार का दोहरा चेहरा दिखाता है. एक ओर राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है लेकिन दूसरी ओर किसानों और उनके संगठनों को किसानों से जुडे़ मुद्दे उठाने से रोकती है.

दीक्षित ने चेतावनी दी कि अगर प्रदेश सरकार किसानों को लेकर अपना रवैया नहीं बदलती तो वे विधानभवन का घेराव करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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