चुनावी बॉन्ड से लोग डर के मारे सिर्फ़ सत्तारूढ़ पार्टी को चंदा देंगे: विपक्ष

मोदी सरकार द्वारा चुनावी बांड की पहल पर कांग्रेस, माकपा और आप ने कहा यह दलों को चंदा देने वालों की जानकारी छुपाने में मददगार साबित होगा.

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(इलस्ट्रेशन: एलिज़ा बख़्त)

मोदी सरकार द्वारा चुनावी बॉन्ड की पहल पर कांग्रेस, माकपा और आप ने कहा यह दलों को चंदा देने वालों की जानकारी छुपाने में मददगार साबित होगा.

(इलस्ट्रेशन: एलिज़ा बख़्त)
(इलस्ट्रेशन: एलिज़ा बख़्त)

नई दिल्ली: चुनावी बॉन्ड से पारदर्शिता बढ़ने के वित्त मंत्री अरुण जेटली के दावे का विरोध करते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ने के बजाय कम होगी. साथ ही पार्टी ने दावा किया कि लोग डर से सारा चंदा केवल सत्तारूढ़ दल को ही देंगे.

जेटली ने गत सप्ताह संसद में कहा था कि चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक चंदे की वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा था कि ये बॉन्ड केवल पंजीकृत राजनीतिक दल को ही दिए जा सकते हैं.

इस बारे में प्रश्न किए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि चुनावी बॉन्ड एक प्रक्रिया है जिससे अपारदर्शिता, अस्पष्टता और चुनावी गड़बड़ियां निरतंर रूप से बनी रहेंगी. उन्होंने कहा कि इस बारे में पारदर्शिता लाने का वित्त मंत्री का दावा बिल्कुल बेबुनियाद है.

उन्होंने कहा कि इसका कारण बहुत सरल है. सरकार स्टेट बैंक से बहुत आसानी से पता लगा सकेगी कि किस व्यक्ति या संस्थान ने चुनावी बॉन्ड खरीदे तथा किस राजनीतिक दल या संगठन ने उनको भुनवाया. परिणामस्वरूप यदि आप पारदर्शिता लाने की बात करते हैं तो कोई भी व्यक्ति या निगमित संस्था विपक्षी दलों को धन नहीं दे पाएंगे. उन्हें यह डर रहेगा कि यदि उन्होंने पैसा दिया तो उनके व्यवसाय को निशाना बनाया जाएगा.

तिवारी ने कहा, आपने यह देखा कि एक राजनीतिक दल, जो हमारे विरोध में है, जब उसने अपने चंदे के ब्यौरों को वेबसाइट पर डाला तो सरकार चंदा देने वालों के पीछे पड़ गई. उन्होंने दावा किया यह भारी प्रक्रिया केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सारा चंदा सत्तारूढ़ दल के पास जाए.

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चुनावी बॉन्ड से पारदर्शिता बढ़ने वाली नहीं है बल्कि घटने वाली है. उन्होंने कहा, जिस तरह का सरकार का चाल-चलन और चरित्र रहा है, हर वो व्यक्ति जो उसके खिलाफ है उसके पीछे सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग लगा दो. कौन सी ऐसी संस्था है, जिसे अपनी खैर चाहिए तो वह बॉन्ड खरीद कर विपक्षी दल को देगा.

सिर्फ़ कुछ प्रभावशाली दानदाताओं को लाभ होगा

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता के नाम पर केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड का प्रभाव इसके उद्देश्य के प्रतिकूल होगा.

येचुरी ने मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली को इस विषय पर पत्र लिखकर कहा है कि चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा चुनावी बॉन्ड पेश करने की पहल राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की जानकारी छुपाने में मददगार साबित होगी. उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ कुछ प्रभावशाली दानदाताओं को लाभ होगा.

पत्र में येचुरी ने लिखा चुनावी बॉन्ड पेश करने की हाल ही में शुरू की गई पहल के बारे में मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इससे राजनीतिक चंदे को पारदर्शी और साफ सुथरा बनाने का मकसद न सिर्फ नाकाम होगा बल्कि इसका उल्टा परिणाम देखने को मिलेगा, क्योंकि इस पहल से दानदाता, दानग्राही और दान की राशि से जुड़ी जानकारियां सरकारी गोपनीयता के दायरे में आ जाएंगी.

येचुरी ने इस कवायद के जरिये कंपनियों के राजनीतिक चंदे की अधिकतम सीमा को खत्म करने से राजनीतिक दलों को चंदा देने के नाम पर मुखौटा कंपनियों के गठन को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि चुनावी बॉन्ड जारी करना लोकतंत्र के लिए बेहद घातक साबित होगा.

येचुरी ने सरकार से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए ऐसे सार्थक उपाय करने का अनुरोध किया जो लोकतंत्र के लिए लाभप्रद साबित हों. जिससे आम आदमी चुनाव के मैदान में धनाड्य वर्ग के लोगों के सामने उतरने में खुद को सहज महसूस कर सके और चुनाव प्रक्रिया विसनीय बने.

राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के लिए यह अब तक की सबसे घातक पहल: आप

आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता के लिये केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला कदम बताते हुए कहा है कि यह अब तक की सबसे घातक पहल साबित होगी.

आप के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य एनडी गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए चुनावी बॉन्ड के नाम पर दानदाताओं की जानकारी छुपाने को कानूनी मान्यता देने की कोशिश हो रही है.

वित्तीय मामलों के जानकार गुप्ता ने इसे घातक बताते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसे की जानकारी सिर्फ सरकारी बैंक, रिजर्व बैंक और सरकार के पास ही होगी. उन्होंने आशंका जतायी कि केंद्र में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल अन्य दलों के चंदे पर नजर रखते हुए उनके दानदाताओं को परेशान भी कर सकता है.

गुप्ता ने चुनावी बॉन्ड के फॉर्मूले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि राजनीतिक चंदे को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सरकार को व्यवहारिक प्रयास करना चाहिए. हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा आप के चंदे पर उठाए गए सवालों के जवाब में गुप्ता ने कहा कि पार्टी के बही-खातों में एक एक पैसे का हिसाब दर्ज है और इससे संबद्ध सरकारी एजेंसियों को भी अवगत कराया गया है. उन्होंने इस आशय की मीडिया रिपोर्टों को तथ्यात्मक तौर पर निराधार बताया.

गुप्ता ने आयकर कानून की धारा 138 के हवाले से कहा कि किसी भी पक्षकार की आयकर संबंधी जानकारियां संबद्ध सरकारी एजेंसी या उसका कोई भी अधिकारी किसी के साथ साझा नहीं कर सकता. ऐसे में सीबीडीटी के हवाले से मीडिया रिपोर्टों का प्रकाशित होने से साफ है कि कानून का उल्लंघन कर आप के चंदे से जुड़ी भ्रामक जानकारियां मीडिया में लीक की जा रही हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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