सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात और राजस्थान सरकार से आसाराम के ख़िलाफ़ केस की प्रगति रिपोर्ट मांगी

सूरत की रहने वाली दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर बलात्कार करने और ग़ैरक़ानूनी तरीके से उन्हें बंधक बनाने के आरोप लगाए हैं.

आसाराम. ​​(फोटो: पीटीआई)

सूरत की रहने वाली दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर बलात्कार करने और ग़ैरक़ानूनी तरीके से उन्हें बंधक बनाने के आरोप लगाए हैं.

आसाराम. (फोटो: पीटीआई)
आसाराम. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने स्वयंभू बाबा आसाराम की कथित संलिप्तता वाले बलात्कार मामले में चल रही सुनवाई की स्थिति रिपोर्ट सोमवार को राज्य सरकारों से तलब की.

शीर्ष अदालत आसाराम की एक नई ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि इस संबंध में 22 जनवरी तक स्थिति रिपोर्ट पेश की जाए. न्यायालय पहले आसाराम की कई ज़मानत याचिका ख़ारिज कर चुका है.

न्यायमूर्ति एनवी रमण और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने कहा, ‘हमें उनके ख़िलाफ़ लंबित मुक़दमों की स्थिति से अवगत कराया जाए. राज्य सरकार को 22 जनवरी तक अपनी स्थिति रिपोर्ट पेश करनी चाहिए.’

आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और वकील सौरभ अजय गुप्ता ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ गुजरात और राजस्थान में एक-एक मामला लंबित है.

उन्होंने कहा कि गुजरात मामले में 92 में से 22 महत्वपूर्ण गवाहों का परीक्षण हो चुका है. इनमें से 14 के नाम हटा दिए गए हैं और शेष से पूछताछ की आवश्यकता है.

गुजरात सरकार की वकील ने कहा कि उसे स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए कुछ समय चाहिए.

गुजरात के मामले में सूरत की रहने वाली दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर उनका बलात्कार करने और ग़ैरक़ानूनी तरीके से बंधक बनाने के आरोप लगाए थे.

दूसरी ओर, राजस्थान के मामले में एक किशोरी ने आसाराम पर जोधपुर के निकट मनाई गांव में स्थित आश्रम में उसका यौन शोषण करने का आरोप लगाया था. इस मामले में आसाराम को 31 अगस्त, 2013 को गिरफ़्तार किया था और तभी से वह जेल में बंद हैं.

पीठ ने इस मामले को 22 जनवरी को आगे सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया.

ग़ौरतलब है कि बीते दिसंबर महीने में आसाराम के समर्थन में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर शहर में अख़बार के साथ एक पत्रिका बांटी गई थी.

इस पत्रिका में एक मेडिकल रिपोर्ट दिखाते हुए यह लिखा गया था कि यह पीड़ित लड़की की मेडिकल रिपोर्ट है, इसमें दावा किया गया था कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ ही नहीं था.

इस पत्रिका दावा किया गया था कि आसाराम पर दुष्कर्म के सभी आरोप ग़लत हैं और उनके ख़िलाफ़ साज़िश की जा रही है. यह भी कहा गया था कि जेल में बंद आसाराम के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था.

पत्रिका के वितरण के बाद पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता के पिता की ओर से आसाराम और उनकी पुत्री समेत 12 लोगों पर मुक़दमा दर्ज कराया गया है.

पीड़िता के पिता ने कहा था, ‘आसाराम जेल में बंद हैं लेकिन इसके बाद भी वह अपने गुर्गों के ज़रिये उनके परिवार को ख़त्म कराना चाहते हैं. जो पत्रिका बांटी गई, उसमें किए गए दावे पूरी तरह ग़लत हैं. यह उनके परिवार के ख़िलाफ़ भड़काऊ गतिविधि है. आसाराम के गुर्गों की इस हरकत के बाद उनका परिवार बेहद डरा हुआ है.’

उसके बाद पीड़िता के पिता की तहरीर पर आसाराम सहित उनकी बेटी भगवान भारती समेत 12 आरोपियों पर आईपीसी की धारा 147 (बलवा) और 506 (धमकाना) के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है.

पिछले साल अगस्त महीने में उच्चतम न्यायालय ने आसाराम के ख़िलाफ़ बलात्कार मामले की धीमी जांच को लेकर गुजरात सरकार पर सवाल उठाए थे. न्यायालय ने पिछले साल 12 अप्रैल को गुजरात में निचली अदालत को निर्देश दिया था कि यौन हिंसा के मामले में सूरत की दो बहनों द्वारा आसाराम के ख़िलाफ़ दर्ज कराए गए मामले में अभियोजन के गवाहों के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया तेज़ की जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)