बांग्लादेश से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने की योजना का विरोध

बांग्लादेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों ने नागरिकता और सुरक्षा की गारंटी की मांग वाले नारे लगाए.

Rohingya refugees line up for daily essentials distribution at Balukhali camp, near Cox's Bazar, Bangladesh January 15, 2018. REUTERS/Tyrone Siu

बांग्लादेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों ने नागरिकता और सुरक्षा की गारंटी की मांग वाले नारे लगाए.

Rohingya refugees line up for daily essentials distribution at Balukhali camp, near Cox's Bazar, Bangladesh January 15, 2018. REUTERS/Tyrone Siu
बीते 15 जनवरी को बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार के नज़दीक बालुखली कैंप में आवश्यक सामान लेने के लिए लाइन में लगे रोहिंग्या शरणार्थी. (फोटो: रॉयटर्स)

ढाका: बांग्लादेश में शरण लिए सैकड़ों रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार भेजे जाने की योजना के ख़िलाफ़ विरोध शुरू हो गया है. शुक्रवार को रोहिंग्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन भी किया.

शरणार्थी म्यांमार के रखाइन प्रांत लौटने से पहले नागरिकता और सुरक्षा की गारंटी की मांग वाले नारे लगा रहे थे और हाथों में बैनर लिए हुए थे.

यह प्रदर्शन संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक यांगी ली की दक्षिणपूर्वी बांग्लादेश के शिविरों की यात्रा से पूर्व हुआ जहां वर्तमान में 10 लाख मुस्लिम अल्पसंख्यक रह रहे हैं.

गौरतलब है कि बांग्लादेश का म्यांमार के साथ समझौता हुआ है जिसके तहत अक्टूबर 2016 से आए कम से कम से 7,50,000 शरणार्थियों को अगले दो वर्ष में स्वदेश भेजा जाना है. यह प्रक्रिया अगले सप्ताह से शुरू की जानी है.

लेकिन बेहद कठिन परिस्थितियों में रह रहे रोहिग्यांओं ने कहा है कि घरों पर हमले, हत्या और बलात्कार जैसे अत्याचारों के बाद घर छोडकर भागने के बाद वह रखाइन लौटना नहीं चाहते.

बता दें कि बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की है, जो पिछले अनुमान से कहीं ज़्यादा है. रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की तैयारियों के बीच बांग्लादेश की पंजीकरण परियोजना के प्रमुख ने बीते बुधवार को यह जानकारी दी.

बांग्लादेश की थलसेना ने पिछले साल म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के देश में दाख़िल होने के बाद इन शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया था.

म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.

इस संबंध में बांग्लादेशी थलसेना में ब्रिगेडियर जनरल और रोहिंग्या पंजीकरण परियोजना के प्रमुख सईदुर रहमान ने कहा था, ‘अब तक हमने 1,004,742 रोहिंग्या शरणार्थियों का पंजीकरण किया है. उन्हें बायोमेट्रिक पंजीकरण कार्ड दिए गए हैं.’

उन्होंने कहा था कि अभी हज़ारों रोहिंग्या शरणार्थियों का पंजीकरण बाकी है. रहमान ने कहा कि ताज़ा आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों से ज़्यादा हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में म्यांमार सीमा के पास 9,62,000 रोहिंग्या रह रहे हैं.

इससे पहले बांग्लादेश सरकार ने एक बयान में बताया था कि क़रार का लक्ष्य ‘स्वदेश वापसी की शुरुआत के दो साल के अंदर’ रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार लौटाने पर लक्षित है. बयान में यह नहीं बताया गया है कि कब रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत होगी.

धर, म्यांमार सरकार ने कहा था है कि वह 23 जनवरी से रोहिंग्या मुसलमानों के स्वागत करने के कार्यक्रम पर अमल कर रही है.

इस क़रार के दायरे में तकरीबन दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है जो अक्टूबर 2016 से पहले से बांग्लादेश में रह रहे हैं. इन्हें सांप्रदायिक हिंसा और सैन्य कार्रवाइयों के चलते म्यांमार से भागना और बांग्लादेश में शरण लेना पड़ा था.

म्यांमार में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद सफीउर रहमान ने बताया था, ‘हम आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम होंगे.’ उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत के लिए म्यांमार की तरफ से तय अगले हफ़्ते की समयसीमा पर कहा कि यह ‘संभव नहीं’ है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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