केंद्र सरकार 50 व 200 रुपये के नोटों की समीक्षा करे: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र व भारतीय रिज़र्व बैंक से कहा कि वह नए नोटों व सिक्कों के स्वरूप की समीक्षा करें, क्योंकि दृष्टिबाधित लोगों को इनकी पहचान व इस्तेमाल में परेशानी हो रही है.

New Delhi: A man shows new currency notes of Rs 200 and Rs 50 outside the Reserve Bank of India in New Delhi on Friday.This is the first time that Rs 200 banknotes were introduced in India. PTI Photo(PTI8_25_2017_000039B)
New Delhi: A man shows new currency notes of Rs 200 and Rs 50 outside the Reserve Bank of India in New Delhi on Friday.This is the first time that Rs 200 banknotes were introduced in India. PTI Photo(PTI8_25_2017_000039B)

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र व भारतीय रिज़र्व बैंक से कहा कि वह नए नोटों व सिक्कों के स्वरूप की समीक्षा करें, क्योंकि दृष्टिबाधित लोगों को इनकी पहचान व इस्तेमाल में परेशानी हो रही है.

New Delhi: A man shows new currency notes of Rs 200 and Rs 50 outside the Reserve Bank of India in New Delhi on Friday.This is the first time that Rs 200 banknotes were introduced in India. PTI Photo(PTI8_25_2017_000039B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र व भारतीय रिज़र्व बैंक से कहा कि वह नए नोटों व सिक्कों के स्वरूप की समीक्षा करें क्योंकि दृष्टिबाधित लोगों को इनकी पहचान व इस्तेमाल में परेशानी हो रही है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायाधीश सी. हरिशंकर की पीठ ने केंद्र व भारतीय रिज़र्व बैंक से कहा है कि उसे 50 रुपये व 200 रुपये के नए नोटों की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि दृष्टिबाधित लोगों को उनकी पहचान व इस्तेमाल में दिक्कत हो रही है.

यह दिक्कत इन नोटों के आकार व छपाई के कारण है.

अदालत ने कहा, ‘यह मुद्दा ऐसा है जिसके आपको खुद ही सुलझाना होगा. आप (सरकार, आरबीआई व याचिकाकर्ता) साथ बैठें और इसे सुलझाएं.’

पीठ ने कहा कि अधिकारियों को इस बारे में जानकार दृष्टिबाधित विशेषज्ञों व अन्य लोगों से विचार विमर्श करना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल संजय जैन से भी पूछा कि नोटों का आकार पहले की तरह ही क्यों नहीं रखा गया.

इस मामले में अब 16 फरवरी को सुनवाई होगी.

पिछले साल मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि दृष्टिबाधितों को सरकार द्वारा चलाए गए नए मुद्रा नोटों व सिक्कों के इस्तेमाल में दिक्कत हो रही है. अदालत ने इस बारे में केंद्र सरकार व भारतीय रिज़र्व बैंक को नोटिस भी जारी किया था. इसके साथ ही अदालत ने कहा था कि यह बहुत ही गंभीर लोकहित वाला मामला है और इस पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है.

आॅल इंडिया कनफेडरेशन आॅफ ब्लाइंड नाम के एनजीओ की ओर से दाख़िल की गई याचिका में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद जारी किए गए दो हज़ार, पांच सौ, 200 और 50 के नए नोटों की पहचान, इस्तेमाल और लेन-देन में दृष्टिबाधित लोगों को गंभीर रूप से दिक्कत आ रही है.

याचिका में यह भी दर्शाया गया है नए और पुराने नोटों के आकार में भिन्नता है. याचिकाकर्ता ने दस, पांच, दो और एक रुपये के सिक्कों में यह कहते हुए बदलाव की मांग की है कि ये सिक्के संरचना में लगभग एक समान हैं.

याचिका में कहा गया है नए नोट अक्षम लोगों लिए उपयुक्त होंगे या नहीं इसकी जांच किए बिना ही इन्हें जारी कर दिया गया है. इसके अलावा कुछ नोट पर बने स्पर्श योग्य चिह्न भी मुश्किल से किसी के द्वारा पहचान में आ रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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