चुनावी बॉन्ड के ख़िलाफ़ माकपा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

चुनावी बॉन्ड जारी करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए माकपा ने याचिका में कहा है कि यह क़दम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है. इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जाएगा.

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(फोटो: पीटीआई)

चुनावी बॉन्ड जारी करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए माकपा ने याचिका में कहा है कि यह क़दम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है. इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जाएगा.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड जारी करने के केंद्र की मोदी सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली माकपा की याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने माकपा और इसके महासचिव सीताराम येचुरी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करने के साथ इसे पहले से लंबित मामले के साथ संलग्न कर दिया.

केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए माकपा ने याचिका में कहा है कि यह कदम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है और इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जाएगा.

येचुरी ने कहा कि उन्होंने संसद में भी यह मामला उठाया था और इस बारे में सरकार द्वारा प्रस्ताव पेश किए जाने पर इसमें संशोधन का अनुरोध किया था. लेकिन सरकार ने लोकसभा में अपने बहुमत के सहारे राज्य सभा की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया.

माकपा ने कहा था कि ऐसी स्थिति में उसके पास शीर्ष अदालत में आने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था. राजग सरकार ने अपने पिछले बजट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा की थी और निर्वाचन आयोग ने शुरू में इसे लेकर अपनी आपत्ति दिखाई थी.

ऐसा बहुत कम होता है कि इस तरह के मामले में कोई राजनीतिक दल शीर्ष अदालत में याचिका दायर करे.

पिछले महीने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड संबंधी केंद्र की मोदी सरकार की नई योजना से चुनावी चंदे में पारदर्शिता को बढ़ावा नहीं मिलेगा और इससे कॉरपोरेट एवं राजनीतिक दलों के बीच की सांठगांठ को तोड़ने में सफलता भी नहीं मिलेगी.

कृष्णमूर्ति ने कहा था, ‘चुनावी चंदे को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में यह अग्रगामी क़दम नहीं है. यह चुनावी बॉन्ड धनबल की समस्या का समाधान नहीं है, इससे चंदे में पारदर्शिता की दिक्कत भी दूर नहीं होगी.’

इतना ही नहीं चुनावी बॉन्ड से पारदर्शिता बढ़ने के वित्त मंत्री अरुण जेटली के दावे का विरोध करते हुए कांग्रेस ने पिछले महीने कहा था कि इससे पारदर्शिता बढ़ने के बजाय कम होगी. साथ ही पार्टी ने दावा किया कि लोग डर से सारा चंदा केवल सत्तारूढ़ दल को ही देंगे.

आम आदमी पार्टी ने चुनावी बॉन्ड को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला क़दम बताते हुए कहा है कि यह अब तक की सबसे घातक पहल साबित होगी. माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता के नाम पर केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड का प्रभाव इसके उद्देश्य के प्रतिकूल होगा. इस संबंध में उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र भी लिखा था.

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