मैं जानती थी कि मनमोहन सिंह मुझसे अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे: सोनिया गांधी

कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज़ कसते हुए कहा कि लोकतंत्र में चर्चा और मतभेद दोनों स्वीकार्य हैं, पर एकतरफ़ा संवाद बिल्कुल स्वीकार्य नहीं.

मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी. (फोटो: रॉयटर्स)

कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज़ कसते हुए कहा कि लोकतंत्र में चर्चा और मतभेद दोनों स्वीकार्य हैं, पर एकतरफ़ा संवाद बिल्कुल स्वीकार्य नहीं.

मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी. (फोटो: रॉयटर्स)
मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी. (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में अपने परिवार, अपनी कमियों, राजनीति और भारत में लोकतंत्र की भूमिका समेत कई विषयों पर बात की.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा और मतभेद दोनों स्वीकार्य हैं, पर एक तरफा संवाद स्वीकार्य नहीं.

उन्होंने इस बात पर भी खेद जताया कि राष्ट्र निर्माताओं को बदनाम किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस और उसके प्रधानमंत्रियों द्वारा आजादी के बाद हासिल की गई उपलब्धियों की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा लगातार आलोचना किए जाने का संदर्भ देते हुए कहा कि पूर्व की उपलब्धियों को द्वेष के कारण कमतर बताया जा रहा है.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को भी संगठन के स्तर पर लोगों से जुड़ने का एक नया तरीका विकसित करने की जरूरत है.

वर्ष 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अपने नेतृत्व की भूमिका पर भी उन्होंने बात की. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के तौर पर इसलिए चुना था क्योंकि वे जानती थीं कि मनमोहन सिंह इस पद के लिए एक बेहतर उम्मीदवार हैं और वे उनसे अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे. सोनिया ने कहा, ‘मैं अपनी सीमाएं जानती थीं. मैं जानती थी कि मनमोहन सिंह मुझसे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे.’

इस दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को सत्ता में लाने के बाद भी प्रधानमंत्री नहीं बनने के उनके फैसले पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहीं थीं.

प्रधानमंत्री को सलाह दिए जाने के बारे में पूछने पर सोनिया ने कहा, ‘मैं उन्हें सलाह देने की हिमाकत नहीं कर सकती. ऐसा करने के लिए उनके पास बहुत से लोग हैं.’

इस दौरान, रायबरेली से सांसद सोनिया ने इसी सीट से फिर से चुनाव लड़ने के बारे में पूछने पर कहा कि अगर उनकी पार्टी तय करती है तो वे वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी.

राहुल को सलाह देने पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘वे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. यदि उन्हें जरूरत होगी तो मैं उनके साथ हूं. मैं आगे बढ़कर सलाह देने की कोशिश नहीं करती. वे पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वरिष्ठ नेताओं के साथ कुछ नए चेहरों को पार्टी में लाना चाहते हैं और यह कोई आसान काम नहीं है.’

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

उन्होंने कहा, ‘वे युवा और वरिष्ठों में संतुलन चाहते हैं. उन्होंने यह साफ कर दिया है कि वे पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की भूमिका और योगदान को महत्व देते हैं.’

सोनिया ने कहा कि कांग्रेस को संगठन के स्तर पर लोगों से जुड़ने का नया तरीका विकसित करना होगा. वे आगे बोलीं, ‘हमें यह भी देखना होगा कि हम अपने कार्यक्रमों और नीतियों को किस तरह से सामने रखते हैं.’

कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने पर उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने लिए ज्यादा समय मिलता है.

वे बोलीं, ‘अब मेरे पास अपने लिए ज्यादा वक्त है, पढ़ने और फिल्में देखने का. मैं, मेरी सास (इंदिरा गांधी) और पति (राजीव गांधी) के पुराने कागजों को सुव्यवस्थित कर रही हूं. मैं उनका डिजिटलीकरण कराउंगी. ये कागज मेरी सास द्वारा उनके बेटे (राजीव) को लिखे गए पत्र और उनका जवाब हैं. वे मेरे लिए भावनात्मक तौर पर मूल्यवान हैं.’

वर्ष 2014 में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से कांग्रेस की हार पर उन्होंने कहा, ‘अन्य मुद्दों के अलावा दो बार सत्ता में रहने के कारण संप्रग सरकार को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा.’ वे बोलीं, ‘हम पिछड़ गए थे. नरेंद्र मोदी ने जिस तरह अपना प्रचार किया हम उसकी बराबरी नहीं कर पाए.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में वे बोलीं, ‘मैं बस उन्हें एक व्यक्ति के तौर पर नहीं जानती हूं. अटल बिहारी वाजपेयी (पूर्व प्रधानमंत्री) के कार्यकाल के दौरान हम धुर विरोधी थे. लेकिन हमने सही ढंग से काम किया.’

उन्होंने उम्मीद जताई कि उनकी पार्टी वर्ष 2019 में होने वाले चुनाव में फिर सत्ता में आएगी. उन्होंने कहा, ‘हम भाजपा/राजग को जीतने नहीं देने वाले हैं.’

इन चुनावों की कांग्रेस की तैयारी पर उन्होंने कहा कि वे नारों और खोखले वादों की शौकीन नहीं हैं. वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए वे बोलीं, ‘लोगों से झूठ नहीं बोलें और ऐसे वादे न करें जो पूरे नहीं कर सकते.’

उन्होंने कांग्रेस द्वारा ‘नरम हिंदुत्व’ का रवैया अपनाने की बात को भी खारिज किया. इस दौरान, गुजरात चुनाव में राहुल के मंदिर जाने पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हमारे विरोधी हमें मुस्लिम पार्टी बताते हैं. हम पहले भी मंदिर जाते रहे हैं लेकिन हमने इसका दिखावा नहीं किया है.’

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर सोनिया ने कहा कि उन्हें मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है. वे आगे बोलीं, ‘इस सरकार का अपने राजनीतिक विरोधियों को कमजोर करने का एक तरीका है, उनके खिलाफ मामला शुरू करवा देना.’

उन्होंने आगे खुद के ऊपर लगने वाले आरोपों पर कहा, ‘मुझे स्वाभाविक तौर पर भाषण देना नहीं आता, इसलिए मुझे लीडर के बजाए रीडर (भाषण पढ़ने वाला) कहा जाता था.’

यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में कोई ऐसा व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बन सकता जो गांधी- नेहरू परिवार का सदस्य नहीं हो? इस पर सोनिया ने कहा, ‘क्यों नहीं… बन सकता है… भविष्य में. यह बहुत मुश्किल सवाल है. यहां कई कांग्रेसी मौजूद हैं. आप उनसे पूछ सकते हैं.’

समान विचारधारा वाले दलों को स्थानीय मतभेद दूर करने की जरूरत

कॉन्क्लेव में सोनिया ने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों को देश के व्यापक हित में स्थानीय मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता है.
वे बोलीं, ‘मैं कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष के रूप में राहुल और अन्य साथियों के साथ यह देखने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ नियमित बैठक करती रही हूं कि क्या हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं?.’

वे बोलीं, ‘हमने पहले भी मिलकर काम किया है. संसद में समन्वय है, विशेष तौर पर राज्यसभा में.’ हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकारा कि ऐसे दलों का साथ आना एक कठिन काम है.

अक्टूबर 2005 में यूपीए गठबंधन के नेताओं के साथ सोनिया गांधी (फोटो: रॉयटर्स)
अक्टूबर 2005 में यूपीए गठबंधन के नेताओं के साथ सोनिया गांधी (फोटो: रॉयटर्स)

सोनिया ने कहा, ‘हमारे सहित यह सभी दलों के लिए कठिन है. राष्ट्रीय स्तर पर कुछ मुद्दों पर हम साथ आ सकते हैं. लेकिन, जमीनी स्तर पर हम विरोधी हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन यदि हम सब व्यापक परिदृश्य में सोचते हैं, यदि हम महसूस करते हैं और देश की चिंता करते हैं तो हमें स्थानीय मतभेदों को दूर करना होगा.’

पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त भ्रष्टाचार के मुद्दे और 2जी पर सीएजी के आंकड़ों को काफी बढ़ाकर पेश किया गया था

सोनिया गांधी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त भ्रष्टाचार एक बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया मुद्दा था.

उन्होंने कहा कि 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से नुकसान के आंकड़े काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए थे.

संभवत: पूर्व कैग विनोद राय पर निशाना साधते हुए सोनिया बोलीं, ‘भ्रष्टाचार एक मुद्दा था, लेकिन इसे काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था. उदाहरण के लिए, 2 जी मामले में कैग ने विशाल धनराशि का आंकड़ा पेश किया. मेरा मानना है कि अब सभी को समझ आ गया होगा कि यह काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया आंकड़ा था. उस वक्त कैग के प्रभारी रहे व्यक्ति को अब काफी शानदार नौकरी दी गई है.’

गौरतलब है कि विनोद राय भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को संचालित करने वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख हैं. राय ने ही कैग रिपोर्ट में कहा था कि 2 जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंस मंजूर करने की प्रक्रिया में सरकारी खजाने को 1,76000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा.

देश के सामने पीछे ले जाने वाला नजरिया पेश किया जा रहा है, भारत के सामाजिक डीएनए से छेड़छाड़ की जा रही है

सोनिया गांधी ने साथ ही कहा कि देश में एक वैकल्पिक और पीछे ले जाने वाला नजरिया (विजन) पेश किया जा रहा है और हमारी आजादी के साथ-साथ समाज के सामने और भी कई खतरे मौजूद हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमारा देश, हमारा समाज, हमारी आजादी अब सब लगातार खतरे में है. इतिहास फिर से लिखा जा रहा है, तथ्यों को झुठलाया जा रहा है और पूर्वाग्रह एवं कट्टरता भड़काई जा रही है.’

उन्होंने कहा, ‘आज हमारे सामने वैकल्पिक और वास्तव में पीछे ले जाने वाला नजरिया पेश किया जा रहा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मई 2014 से पहले क्या भारत वाकई एक विशाल ब्लैक होल था और सिर्फ चार साल पहले उसने प्रगति की तरफ कदम बढ़ाए? क्या यह हमारे लोगों की समझदारी का अपमान नहीं है? बात श्रेय लेने की नहीं है बल्कि भारत की ताकत को स्वीकारने की है.’

सोनिया ने कहा कि संविधान बदलने के बारे में दुस्साहसी टिप्पणियां भारत में निहित मूल्यों को विकृत करने की जानबूझकर की जा रही कोशिश हैं.

वे बोलीं, ‘सत्ता प्रतिष्ठानों से आ रहे भड़काऊ बयान अचानक या संयोगवश नहीं दिए जा रहे, बल्कि यह खतरनाक मंसूबों का हिस्सा हैं. वैकल्पिक आवाजों को चुप कराया जा रहा है. सोचने की आजादी, अपनी मर्जी से शादी की आजादी पर हमले किए जा रहे हैं. धार्मिक तनाव पैदा किए जा रहे हैं, कानून को अपने हाथ में लेने वाली भीड़ और निजी सेनाओं को खुली छूट दी जा रही है.’

साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि दलित एवं महिला उत्पीड़न को लेकर स्तब्ध करने वाली संवेदनहीनता दिखाई जा रही है और चुनाव जीतने के लिए समाज को ध्रुवीकृत किया जा रहा है.

वे बोलीं, ‘देश को अच्छी तरह खड़ा रखने वाले लंबे समय से प्रभावी रहे सिद्धांतों का उल्लंघन किया जा रहा है. संसदीय बहुमत को वाद-विवाद दबाने और कानूनों को एकतरफा तरीके से पारित कराने के लाइसेंस की तरह पेश किया जा रहा है. जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है.’

सोनिया ने कहा कि न्यायपालिका संकट में है. विचारों में मतभेद, खाने-पीने, मौज-मस्ती की आजादी पर हमले हो रहे हैं और भारत के सामाजिक डीएनए से छेड़छाड़ की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘क्या अधिकतम शासन का मतलब न्यूनतम सच्चाई है? क्या इसका मतलब यह है कि वैकल्पिक तथ्य असहज वास्तविकता की जगह ले लेंगे? उदाहरण के लिए नौकरियां ही लें, हर कोई जानता है कि रोजगार की स्थिति गंभीर है लेकिन अचानक से हमें बताया जाता है कि 2017 में 75 लाख नौकरियां सृजित हुईं.’

सोनिया ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर इस दावे की पोल खोली गई है. पर क्या वाकई इससे फर्क पड़ता है? नहीं पड़ता है. क्योंकि जैसे ही एक मिथक टूटता है, दूसरा सामने आ जाता है.’

71 वर्षीय सोनिया गांधी 19 वर्षों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. पिछले साल पार्टी के आंतरिक चुनाव के बाद उनके बेटे राहुल गांधी ने उनकी जगह ली.

पूर्वोत्तर राज्यों में मतों की गिनती के दौरान राहुल के देश में मौजूद नहीं रहने की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनिया ने कहा कि चुनाव प्रचार करने के बाद वह तीन दिन के लिए इटली में अपनी नानी को देखने गए थे.

प्रियंका गांधी के राजनीति में आने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘प्रिंयका फिलहाल अपने बच्चों की देख- रेख में व्यस्त हैं. यह उनका फैसला है और भविष्य के बारे में कोई नहीं जानता.

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