नॉर्थ ईस्ट डायरी: असम-मिज़ोरम सीमा पर तनाव, गृह मंत्रालय ने बुलाई मुख्य सचिवों की बैठक

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, असम, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

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इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, असम, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

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मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लाल थनहावला (बाएं) असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (फोटो: पीटीआई/असम सरकार)

आईजोल: गृह मंत्रालय ने मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद पर वार्ता फिर से शुरू करने के लिए अगले सप्ताह इन दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की एक बैठक बुलाई है.

दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक इस महीने की 20 तारीख को दिल्ली में होगी. बीते दिनों दोनों प्रदेशों के बीच सीमा के मामले में हिंसक प्रदर्शन हुए थे .

मिजोरम के गृहमंत्री आर लालजीरलियाना ने बुधवार को विधानसभा को बताया कि राज्य सरकार ने सूबे के कोलासिब जिले और असम के हैलाकांडी जिले के जिलाधिकारियों के बीच सीमा विवाद पर 15 मार्च से पहले बातचीत करने की सलाह दी थी, लेकिन इसका उत्तर नहीं मिला .

उन्होंने बताया, ‘हमने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच  बातचीत करने की सलाह दोबारा दी है और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर सहमति जता दी है.’

ज्ञात हो कि छात्र संगठन मिजो जिरलाइ पॉल (एमजेडपी) ने दोनों राज्यों की सीमा पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 154 के निकट 27 फरवरी को एक विश्राम गृह बनाने की कोशिश की, जिसे अतिक्रमण बताते हुए असम पुलिस द्वारा गिरा दिया गया.

इसके ख़िलाफ़ 8 मार्च को वह सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ इस संगठन के लोग प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठे हुए, जिसके बाद कुछ प्रदर्शनकारी छात्रों पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

इसके बाद भी छात्र प्रदर्शन के लिए 10 मार्च को इकट्ठा हुए थे. मिज़ोरम में मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार एलआर सैलो ने बताया कि मुख्यमंत्री लाल थनहावला ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से सीमा वार्ता की यथाशीघ्र बहाली के लिए हस्तक्षेप करने की भी मांग की.

सैलो के अनुसार मिजोरम के मुख्यमंत्री ने पत्र में मिजो युवकों पर असम पुलिस की कथित गोलीबारी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण एवं अवांछनीय’ बताया है.

लालथन हावला ने कहा कि दोनोंं राज्यों के मुख्य सचिवों ने1995-96 में सीमा विवाद पर वार्ता की थी और तब यह तय हुआ था कि मुख्यमंत्री स्तर पर वार्ता होगी. उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से असम के मुख्यमंत्री ने( वार्ता से) इनकार कर दिया.’

इस लाठीचार्ज में असम-मिजोरम सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई. इस घटना में एक पत्रकार समेत कुछ अन्य लोग घायल हो गये थे.

मिजोरम के गृह मंत्री ने सूबे के जोफाइ इलाके में आठ और दस मार्च को मिजो छात्रों एवं संवाददाताओं पर असम पुलिस की ज्यादती की निंदा की है.

साथ ही मिजोरम के सीमावर्ती असम के हेलाकंडी जिला प्रशासन ने सात मार्च को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेश लागू किये गए.

मिज़ोरम गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, मिजोरम और असम के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेंगे और सीमा विवाद पर बातचीत को आगे बढ़ायेगे.

गृहमंत्री ने मिजोरम के मुख्यमंत्री से मिजोरम की ओर सीमा पर शांति सुनिश्चित करने और वहां लोगों को प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देने का भी आग्रह किया है. अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय असम और मिजोरम की सरकारों के संपर्क में है.

राज्य सरकारों को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने और स्थिति को नियंत्रण में रखे जाने के लिए कहा है.

गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निषेधात्मक आदेशों को लागू करने और जहां आवश्यक हो वहां सुरक्षा बलों की तैनाती करने के लिए कहा है.

वहीं असम के संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटोवरी ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि असम सरकार मिजोरम के साथ राज्य की सीमा पर तनाव कम करने और शांति कायम रखने के लिए कदम उठा रही है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल खुद असम-मिजोरम सीमा पर स्थिति पर नजर रख रहे हैं.

इस घटना को ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ बताते हुए पटोवरी ने आरोप लगाया, ‘इन सभी घटनाओं के पीछे राजनीतिक हित हैं. कुछ लोग राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर लाभ के लिए असम और मिजोरम के बीच तनाव पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं.’

आईडब्ल्यूपीसी ने असम पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की

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असम पुलिस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते मिज़ोरम के पत्रकार (फोटो साभार: thenortheasttoday.com)

नई दिल्ली: द इंडियन वीमेन्स प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) ने कचूरथल में असम-मिजोरम सीमा के निकट मिजो छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों की पिटाई में कथित तौर पर शामिल रहने वाले पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ उपयुक्त और निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्रवाई करने की मांग की है.

घटना को गंभीरता से लेते हुये महिला पत्रकार संघ ने असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल को पत्र लिखकर एक ऐसा वातावरण बनाने का अनुरोध किया जिसमें पत्रकार धमकी और डर से मुक्त होकर काम कर सके.

घायल पत्रकारों के मुताबिक यह जानने के बावजूद कि वे प्रदर्शनकारी नहीं हैं पुलिस उनकी पिटाई करती रही. आईडब्ल्यूपीसी ने अपने पत्र में भारतीय लोकतंत्र में चौथे स्तंभ के महत्व  पर जोर देते हुये कहा है कि उस पर प्रदर्शनों के सहित कई मामलों की रिपोर्टिंग करने की जिम्मेदारी है.

संगठन ने अपने पत्र में कहा है, ‘असम पुलिस की कार्रवाई अनुचित और अनावश्यक थी. पुलिस लाठीचार्ज में एक टेलीविजन चैनल में काम करने वाली महिला पत्रकार सहित कई संवाददाता घायल हो गये.’

असम: राज्य में पत्रकारों के लिए बीमा योजना का प्रस्ताव

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प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स

गुवाहाटी: असम सरकार ने 2018-19 के लिए बजट में पत्रकारों और उनके परिवारों के लिए एक बीमा योजना का प्रस्ताव रखा है.

असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्‍वा शर्मा ने सोमवार को विधानसभा में बजट पेश करते हुए कहा, ‘मैंने (सूचना और जनसंपर्क) विभाग (जो पत्रकारों के लिए योजनाएं लागू करेगा) के लिए 2018-19 में 63 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन निर्धारित किया है.’

उन्होंने बताया कि नई पत्रकार बीमा योजना पत्रकारों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी.

मंत्री ने बताया कि अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले या लापता घोषित किये गये राज्य के 31 पत्रकारों के परिजन को एक समय अनुग्रह राशि में पांच-पांच लाख रुपये की भी बढ़ोत्तरी की गई है.

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि पिछले साल अपने भाषण में मैंने वादा किया था, उसके अनुसार पत्रकारों के लिए पेंशन योजना लाई गई. इस योजना से असम में 20 वर्षों से अधिक समय तक काम करने वाले पत्रकारों को सेवानिवृत्ति लाभ मिलेंगे. हमने पहले ही कई सम्मानित पत्रकारों को 8,000 रुपये प्रति माह की व्यक्तिगत पेंशन वितरित की है.’

मणिपुर: पूर्वी हिस्से के विकास के बिना भारत की विकास-गाथा अधूरी: प्रधानमंत्री मोदी

Imphal: Prime Minister Narendra Modi delivers the inaugural address at the 105th session of Indian Science Congress at Manipur University in Imphal on Friday. PTI Photo/ PIB (PTI3_16_2018_000100B)
साइंस कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में बोलते प्रधानमंत्री मोदी (फोटो: पीटीआई)

इंफाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्वोत्तर को भारत के विकास का नया इंजन बताया और कहा कि जब तक पूर्व का विकास पश्चिम के बराबर नहीं होता तब तक देश के विकास की गाथा अधूरी रहेगी.

मोदी ने क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर दिया और बताया कि 2014  में मणिपुर में घोषित राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 1200  किलोमीटर थी. लेकिन पिछले 4 वर्षों में 460 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग के तौर पर बढ़ाया गया है.

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर के आठ में से सात राज्य रेल नेटवर्क से जुड़ गए हैं और शेष राज्यों की राजधानियों को ब्रॉड गेज नेटवर्क से जोड़ने की परियोजना चल रही है जिसमें इंफाल भी शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि जब तक पूर्वी हिस्से का विकास पश्चिमी हिस्से की तर्ज पर नहीं होता तब तक भारत के विकास की गाथा अधूरी है. पूर्वोत्तर भारत के विकास का नया इंजन बन सकता है.’

प्रधानमंत्री मणिपुर में कई विकास योजनाओं की आधारशिला रखने के अवसर पर बोल रहे थे.

मोदी ने कहा कि राज्य सरकार पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में लड़कियों की शिक्षा में आने वाली समस्याओं को कम करने के लिए काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए दस इंडिया रिजर्व बटालियन के गठन की मंजूरी दी थी जिसमें दो बटालियन मणिपुर के लिए हैं, जिससे राज्य में दो हजार युवकों को सीधे तौर पर रोजगार का अवसर मिलेगा.

उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर की 136  महिलाओं सहित 438 लोग दिल्ली पुलिस में शामिल हुए हैं. मोदी ने 19 स्थानों पर शिक्षकों, चिकित्सकों और नर्सों के लिए आवास की आधारशिला रखी. उन्होंने कहा कि सुदूरवर्ती इलाकों और पहाड़ी जिलों में उपयुक्त आवास के बगैर उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.

वैज्ञानिकों से कहा कि आम जन के फायदे के लिए अनुसंधान करें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 105 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए वैज्ञानिकों से कहा कि वे आम लोगों के फायदे के लिए अनुसंधान करें. उन्होंने कहा कि आर एंड डी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) को राष्ट्र के विकास के लिए अनुसंधान के रूप में पुन: परिभाषित करने का यह श्रेष्ठ समय है.

यहां उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध परंपरा रही है और खोज तथा विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी के इस्तेमाल का लंबा इतिहास रहा है.

उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से अपने अनुसंधान का विस्तार करने का अनुरोध किया और कहा, ‘इस क्षेत्र में अग्रणी देशों के बीच अपने सही स्थान का फिर से दावा करने का यह सही समय है.’

मोदी ने कहा कि राष्ट्र की समृद्धि और विकास के लिए अहम प्रोद्यौगिकियों को भविष्य में लागू करने के लिए देश को तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘प्रोद्यौगिकी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं बैंकिंग सेवा की नागरिकों तक ज्यादा पहुंच हासिल करने में मदद देगी.’

उन्होंने कहा कि आज इस बात की जरूरत है कि अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों को समाज तक पहुंचाया जाए. इससे युवाओं का वैज्ञानिक मिजाज बनेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें अपने संस्थान और प्रयोगशालाएं अपने बच्चों के लिए खोलने होंगे. मैं वैज्ञानिकों से अनुरोध करता हूं कि स्कूली बच्चों के साथ संवाद कायम करने के लिए वह कोई तंत्र विकसित करें.’

युवाओं में वैज्ञानिक चिंतन विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से ‘व्यक्तिगत अनुरोध’  किया कि वह कक्षा नौंवी से बारहवी कक्षा के 100 छात्रों के साथ सालाना 100 घंटे बिताएं और उनके साथ विज्ञान और प्रोद्यौगिकी पर चर्चा करें.

उन्होंने 2022 तक 100 गीगावॉट की क्षमता की स्थापित सौर ऊर्जा का लक्ष्य तय किया. मोदी ने कहा, ‘बाजार में फिलहाल उपलब्ध सोलर मॉड्यूल की क्षमता करीब 1 7-18 फीसदी है. क्या हमारे वैज्ञानिक और किफायती सोलर मॉड्यूल विकसित करने की चुनौती स्वीकार करेंगे,  जिसे समान लागत पर भारत में ही बनाया जा सके.’

असम: तेल एवं गैस क्षेत्र के कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक

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प्रतीकात्मक फोटो (साभार: assaminfo.com)

गुवाहाटी: असम सरकार ने आवश्यक सेवाएं रख-रखाव (असम) अधिनियम के तहत तेल एवं गैस क्षेत्र के कर्मचारियों को 6 महीने का हड़ताल करने से रोक दिया है.

इस संबंध में 13 मार्च को अधिसूचना जारी की गयी, जिसके तहत तेल एवं गैस क्षेत्र की सेवा में शामिल अधिकारियों, कामगारों, अनुबंधित कामगारों, टैंकर चालकों और खलासियों को हड़ताल करने से प्रतिबंधित किया गया है.

यह प्रतिबंध अधिसूचना जारी होने की तिथि से 6 महीने की अवधि के लिए प्रभावी होगा.

तेल और गैस सेक्टर में तेल और आयल रिफाइनरी क्षेत्र के प्रोडक्शन, सप्लाई या पेट्रोल या पेट्रोलियम या गैस उत्पाद के डिस्ट्रीब्यूशन जुड़े संस्थान आते हैं.

द नॉर्थ ईस्ट टुडे के अनुसार यहां यह जान लेना ज़रूरी है कि भारत सरकार के राज्य में 12 छोटे तेल और गैस फील्ड खोलने के प्रयास के ख़िलाफ़ आवाज़ उठनी शुरू हो गयी है और कुछ संगठन द्वारा इसके विरुद्ध करने साथ आये हैं, जिनके प्रदर्शनों से राज्य के ऑयल फील्ड और रिफाइनरी के कम-काज में बाधा पड़ रही है.

पश्चिमी असम के बोंगाईगांव रिफाइनरी में बीते मंगलवार को उस वक्त काम रुक गया जब ऑयल फील्ड के निजीकरण को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गया. हाल ही में पूर्वी असम के ऑयल फील्ड और गैस कंपनी के एक प्रतिष्ठान में भी ऐसे ही एक प्रदर्शन के चलते काम रुक चुका है.

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 10 भारतीय रिजर्व बटालियनें गठित करने का प्रस्ताव

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 10 भारतीय रिजर्व बटालियनें गठित करने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन है. गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने बुधवार को राज्यसभा को लालसिंह वड़ोदिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बटालियन स्कीम वर्ष 1971 से अस्तित्व में है. आज तक विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 175 भारतीय रिजर्व बटालियनें मंजूर की गई हैं.

रिजिजू ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 10 भारतीय रिजर्व बटालियनें गठित करने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन है.

उन्होंने केआर अर्जुनन के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सीमा सुरक्षा बल की ओर से प्राप्त अतिरिक्त बटालियनों के गठन करने संबंधी प्रस्ताव की जांच की गई और छह अतिरिक्त बटालियनों का गठन करने संबंधी स्वीकृति के बारे में बीएसएफ को 19 जनवरी 2018 को अवगत करा दिया गया.

उन्होंने यह भी बताया कि आईटीबीपी में नौ अतिरिक्त बटालियनें गठित करने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है.

नगालैंड: पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग को नया समन जारी करेगी एनआईए

नगालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलिआंग. (फोटो: पीटीआई)
नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग को नया समन जारी करेगी.

आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि कथित आतंक वित्त-पोषण (टेरर फंडिंग) मामले के सिलसिले में पूछताछ के लिए जेलियांग के एनआईए के समक्ष पेश नहीं होने के बाद उन्हें एक नया समन जारी किया जायेगा.

आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने जेलियांग को 13 मार्च को यहां उसके मुख्यालय में पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा था. उन्होंने बताया कि जेलियांग ने एनआईए के समक्ष पेश होने में असमर्थता जाहिर की. एजेंसी उन्हें नया समन जारी करेगी.

एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार एनआईए एक व्यापक घोटाले की जांच कर रही है जिसमें नगालैंड सरकार की धनराशि कथित रूप से उग्रवादी समूह एनएससीएन (खापलांग) और अन्य क्षेत्रीय उग्रवादी संगठनों को पहुंचाई गई.

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी वर्ष 2016 से कथित टेरर फंडिंग की जांच कर रही है. जेलियांग 24 मई, 2014 से 19 फरवरी, 2017 और 19 जुलाई, 2017 और सात मार्च, 2018 के दौरान नगालैंड के मुख्यमंत्री थे.

नेफियू रियो राज्य के नये मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद का कामकाज संभाला है. नगालैंड पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेता जेलियांग इस समय विपक्ष के नेता है.

उनके कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में आरोप लगाया गया है कि इस कदम के पीछे राजनीतिक मंशा और प्रतिशोध है.

बयान में कहा गया, ‘जेलियांग ने एनआईए को लिखा है कि वह इस तरह के अल्प अवधि के नोटिस पर उसके समक्ष पेश होने में असमर्थ हैं और अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि विधानसभा सत्र की वजह से उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में शामिल होना भी आवश्यक है.’

रियो सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया

कोहिमा: नगालैंड में नेफियू रियो की अगुआई वाली सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया.

नई सरकार का गठन होने के बाद पहली बार नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई और उन्होंने एनडीपीपी के विखो ओ योशु को नया अध्यक्ष चुना.

60 सदस्यीय विधानसभा में 33 वोट विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में पड़े और 26 वोट इसके खिलाफ पड़े. अध्यक्ष को छोड़कर सभी 59 विधायकों ने 13 मार्च को प्रस्ताव के लिए अपना वोट डालने के लिए एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये.

रियो सरकार के पक्ष में वोट करने वाले 33 विधायकों में से 17 एनडीपीपी के सदस्य हैं, भाजपा के 12,  एनपीपी के दो सदस्य,  जद (यू)  का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं.

योशु इससे पूर्व तीन बार विधायक रह चुके हैं. वह दक्षिणी अंगामी- एक विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते है.

नगालैंड में 59 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान हुआ था. रियो को 12 फरवरी को उत्तरी अंगामी- दो विधानसभा सीट से निर्विरोध चुना गया था. रियो ने चार मार्च को 34 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था.

जिसके बाद राज्यपाल पीबी आचार्य ने मुख्यमंत्री के साथ 10 अन्य मंत्रियों को आठ मार्च को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई थी.

मेघालय: आतंकवाद से निबटने के लिए प्रयासरत है राज्य सरकार: गृहमंत्री

James K Sangama Twitter
मेघालय के गृहमंत्री जेम्स के संगमा (फोटो साभार: twitter)

शिलांग: मेघालय के गृहमंत्री जेम्स के. संगमा ने कहा कि नई सरकार आतंकवाद और अपराध से निबटने के लिए सम्मिलित प्रयास कर रही है.

सोमवार को चरमपंथी संगठन गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) के आठ कार्यकर्ताओं ने संगमा के समक्ष पुलिस मुख्यालय में सरेंडर किया.

इसके बाद संगमा ने कहा, ‘मेघालय सरकार राज्य को आतंकवादियों तथा अपराधियों से मुक्त करने के अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है.’

जीएनएलए के ‘कमांडर इन चीफ’  सोहन डी शीरा को 24 फरवरी को मार गिराया गया था जिसके बाद इन कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण कर दिया.

संगमा ने कहा कि मेघालय में यह ‘आतंकवाद के अंत की शुरुआत है.’ उन्होंने राज्य में अन्य आतंकी संगठनों से अपील की कि वे हिंसा को छोड़ मुख्यधारा में लौट आएं.

उन्होंने बताया, ‘आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं को पुनर्वास पैकेज मिलेगा. उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन मिल जाएगा.’

आतंकियों ने दो एके-56,  इन्सास राइफल, 9 मिमी की एक पिस्तौल,  ग्लॉक-19  और अन्य हथियार भी सौंप दिए.

संगमा ने कार्यकर्ताओं की तारीफ की और कहा कि आत्मसमर्पण करने के लिए साहस की जरूरत है. मैं उन्हें और उनके परिवार को बधाई देता हूं.

पुलिस विभाग ने कार्यकर्ताओं को हथियार डालने के लिए समझाने वाले चर्च के धार्मिक नेताओं रेवरेंड एसटी संगमा और रेव कडी संगमा का सम्मान भी किया.

त्रिपुरा: एनआईटी रैगिंग मामले में रिजीजू ने मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने को कहा

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एनआईटी अगरतला (फोटो: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब से अगरतला के एनआईटी में कुछ छात्रों के साथ कथित तौर पर रैगिंग मामले में कार्रवाई करने को कहा है.

मामले में अरुणाचल प्रदेश का एक छात्र कथित रूप से घायल हो गया था. रिजिजू ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और डीजीपी से ‘रैगिंग की हिंसक घटना’  पर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है.

साथ ही रिजिजू ने ट्वीट किया, ‘अगरतला के एनआईटी में रैगिंग की हिंसक घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने मुख्यमंत्री बिप्लब जी और त्रिपुरा के डीजीपी से बातचीत की. पुलिस उचित कार्रवाई कर रही है.’

खबरों के मुताबिक अगरतला के एनआईटी में रैगिंग के नाम पर अरुणाचल प्रदेश के एक छात्र और प्रथम वर्ष के कुछ अन्य छात्रों की कथित तौर पर पिटाई की गयी.

यह भी बताया गया है कि पुलिस ने शुरुआत में कोई  शिकायत दर्ज नहीं की थी लेकिन बाद में त्रिपुरा के शाही परिवार के हस्तक्षेप और लोगों के प्रदर्शन के बाद एक एफआईआर दर्ज की गयी.

असम: आतंकवादियों ने 13 साल में 2,641 हत्याएं कीं

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोमवार को  विधानसभा को बताया कि वर्ष 1987 से 2000  के बीच राज्य में आतंकवादियों ने 2,641 लोगों की हत्या कर दी.

उस वक्त राज्य में16  विद्रोही संगठन सक्रिय थे. सोनोवाल के पास ही गृह विभाग है. वह कांग्रेस के नूर- उल- हुदा के सवाल का जवाब दे रहे थे.

उन्होंने बताया कि उस दौरान उल्फा, बोडो वॉलिंटियर्स फोर्स, बोडो सिक्योरिटी फोर्स, बोडो लिबरेशन टाइगर्स, एनडीएफबी आदि की हिंसा से  पीड़ित परिवारों को एक- एक लाख रुपये दिया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)