भारत में विकास तो हुआ लेकिन स्पष्ट दिखने वाली ग़रीबी भी है: नोबेल विजेता पॉल क्रुगमैन

अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा कि भारत में ऊंचे दर्जे की आर्थिक असमानता है और तरक्की के साथ-साथ यह बढ़ती ही गई है. बढ़ी हुई बेरोज़गारी भारत के विकास मॉडल की राह में रोड़ा बन सकती है.

नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन. (फोटो: रॉयटर्स)

अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा कि भारत में ऊंचे दर्जे की आर्थिक असमानता है और तरक्की के साथ-साथ यह बढ़ती ही गई है. बढ़ी हुई बेरोज़गारी भारत के विकास मॉडल की राह में रोड़ा बन सकती है.

नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन. (फोटो: रॉयटर्स)
नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: अमेरिकी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने एक समारोह के दौरान कहा, आर्थिक मोर्चे पर भारत ने तेजी से प्रगति की है लेकिन देश में कायम आर्थिक असमानता एक मुद्दा है.

उन्होंने कहा, ‘बढ़ी हुई बेरोजगारी भारत के ग्रोथ मॉडल की राह में रोड़ा बन सकती है. अगर भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेज ग्रोथ न दिखी तो ऐसा होना संभव है.’

हालांकि देश के विकास की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 30 सालों में जितनी आर्थिक प्रगति की है उतनी ग्रेट ब्रिटेन को करने में 150 साल लग गए थे.

दैनिक जागरण के मुताबिक ‘राइजिंग इंडिया समिट’ में शिरकत कर रहे क्रुगमैन ने कहा,‘ब्रिटेन को तरक्की का जो मुकाम हासिल करने में 150 वर्ष लगे थे, भारत ने वह मुकाम महज पिछले 30 वर्षों में हासिल कर लिया. पहले के मुकाबले भारत में कारोबारी सहूलियत बहुत बढ़ी है. इसके बावजूद भारत में स्पष्ट दिख जाने वाली गरीबी है.’

उन्होंने कहा, ‘भारत में ऊंचे दर्जे की आर्थिक असमानता है और तरक्की के साथ-साथ यह बढ़ती ही गई है. संपत्ति का असमान वितरण साफ दिखता है.’

भारत की आर्थिक प्रगति को असाधारण करार देते हुए उन्होंने कहा कि देश खरीदारी क्षमता के लिहाज से जापान से आगे निकल दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था अमेरिका और चीन से पीछे होकर भी यूरोप के किसी भी देश से कहीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है.

क्रुगमैन ने कहा, ‘मैं थोड़ा उदारवादी हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सरकार का अर्थव्यवस्था पर अधिक दबाव होना चाहिए. भारत में लाइसेंस राज रहा है, जहां नौकरशाही बाधाएं बहुत हैं और पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो सकती लेकिन इसमें काफी कमी आई है. भारत में व्यापार करना काफी आसान हो गया है.’

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