विश्वविद्यालयों में किसी को भी ‘राष्ट्र विरोधी’ बताकर चुप नहीं कराया जाना चाहिए: रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि समाज के तौर पर ऐसे सुरक्षित स्थानों का निर्माण करना होगा, जहां बहस और चर्चाएं होती हैं, लोग अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे हों, बोलने के लिए किसी लाइसेंस की ज़रूरत न हो.

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन. (फोटो: रॉयटर्स)

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि समाज के तौर पर ऐसे सुरक्षित स्थानों का निर्माण करना होगा, जहां बहस और चर्चाएं होती हैं, लोग अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे हों, बोलने के लिए किसी लाइसेंस की ज़रूरत न हो.

रिज़र्व बैंक इंडिया के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन. (फोटो: रॉयटर्स)
रिज़र्व बैंक आॅफ इंडिया के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन. (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने है कहा कि विश्वविद्यालय में ऐसे सुरक्षित स्थल होने चाहिए, जहां बहस और चर्चाएं चलती रहें और किसी को भी राष्ट्र विरोधी बताकर चुप न कराया जा सके.

शिकागो विश्वविद्यालय के अपने एक सहकर्मी, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व मुख्य रणनीतिकार के विचारों से असहमति रखते थे लेकिन उन्होंने फिर भी उस रणनीतिकार को बोलने के लिए आमंत्रित किया,  का उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि विश्वविद्यालयों में हर किस्म के विचारों के प्रवाह को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

राजन बोले, ‘हमें विश्वविद्यालयों का ऐसे स्थान के रूप में सम्मान करना चाहिए जहां विचारों पर चर्चा होती हो और जहां आप अन्य पक्ष को यह कहकर चुप नहीं कराते हों कि आपको इस तरह बोलने का अधिकार नहीं है या आप राष्ट्र विरोधी हो.’

राजन ने कहा कि हमें एक समाज के तौर पर ऐसे सुरक्षित स्थानों का निर्माण करना होगा जहां बहस और चर्चाएं होती हैं, लोग जहां अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे हों, बोलने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत न हो, जहां वे अपने विचार व्यक्त कर सकते हों जो समाज को आगे बढ़ा सकते हैं.

शुक्रवार को रघुराम राजन क्रिया विश्वविद्यालय के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे, जो विज्ञान से अलग उदार कला और मानविकी (मनुष्य जाति संबंधी विज्ञान) के लिए समर्पित होगा.

इस दौरान राजन ने कहा, ‘कोई भी विश्वविद्यालय वाद-विवाद को आमंत्रित करता है तो मुद्दा यह है कि वाद-विवाद को संरक्षण दिया जाना चाहिए. मुद्दा बहस होना चाहिए. कभी-कभी कुछ अनाकर्षक विचार सामने आते हैं और वे दबा दिए जाते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि इस संबंध में प्रगति अच्छी है और समय के साथ ये विचार मुख्यधारा में शामिल हो जाते हैं. उदाहरण के लिए महिलाओं के अधिकारों पर बहस 19वीं शताब्दी में हुई जिसे समय के साथ हम स्वीकारने लगे.’

मालूम हो कि भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और भारतीय कॉर्पोरेट जगत के दिग्गजों व कुछ अर्थशास्त्रियों ने ‘लिबरल आर्ट विश्वविद्यालय’ स्थापना के लिए हाथ मिलाया है.

क्रिया नाम का यह विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश की श्रीसिटी में स्थापित किया जाएगा. इस गठजोड़ का मक़सद देश में पूर्व स्नातक शिक्षा के स्तर में बदलाव लाना है.

समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में इंडसइंड बैंक के प्रमुख तथा विश्वविद्यालय के निगरानी बोर्ड के चेयरमैन आर. शेषसायी ने कहा कि प्रस्तावित लिबरल आर्ट विश्वविद्यालय में पहले चरण में 750 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा.

विश्वविद्यालय के पहले बैच की शुरुआत जुलाई, 2019 में होगी जिसके लिए प्रवेश नवंबर से शुरू होगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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