मध्य प्रदेश: नर्मदा घोटाला रथ यात्रा के ऐलान के बाद पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा

संत समाज ने कहा था कि प्रदेश के 45 ज़िलों में नर्मदा किनारे लगाए गए 6.5 करोड़ पौधों की गिनती कराई जाएगी. संतों ने इस सरकारी दावे को महाघोटाला क़रार देकर नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था.

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(फोटो साभार: ट्विटर/@mppost1)

संत समाज ने कहा था कि प्रदेश के 45 ज़िलों में नर्मदा किनारे लगाए गए 6.5 करोड़ पौधों की गिनती कराई जाएगी. संतों ने इस सरकारी दावे को महाघोटाला क़रार देकर नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था.

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(फोटो साभार: ट्विटर/@mppost1)

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने मंगलवार को पांच धार्मिक और आध्यात्मिक हिंदू गुरुओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है. प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के इस क़दम के बाद संतों ने नर्मदा घोटाला रथ यात्रा रद्द कर दी है.

राज्य मंत्री का दर्जा देने से पहले राज्य सरकार ने इन पांच संतों के नेतृत्व में नर्मदा से लगे क्षेत्रों में पौधरोपण, जल संरक्षण और साफ-सफाई जैसे विषयों पर जनजागरूकता अभियान चलाने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया था.

सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव केके कतिया द्वारा बुधवार को जारी आदेश में कहा गया, ‘प्रदेश सरकार ने पांच विशिष्ट साधु-संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. इनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज एवं पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं.’

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इसे स्वांग क़रार देते हुए कहा, ‘ऐसा कर मुख्यमंत्री अपने पापों को धोने का प्रयास कर रहे हैं. यह चुनावी साल में साधु-संतों को लुभाने की सरकार की कोशिश है.’

राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ‘31 मार्च को प्रदेश के विभिन्न चिह्नित क्षेत्रों में विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए विशेष समिति गठित की गई है. राज्य सरकार ने इस समिति के पांच विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है.’

यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा.

गौरतलब है कि इन्हीं बाबाओं के नेतृत्व में 28 मार्च को इंदौर में हुई संत समाज की बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रदेश के 45 जिलों में उन 6.5 करोड़ पौधों की गिनती कराई जाएगी, जिन्हें पिछले साल 2 जुलाई को राज्य सरकार द्वारा नर्मदा किनारे रोपित करने का दावा किया गया था.

संतों द्वारा पूर्व में घोषित 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' से संबंधित प्रचार पत्र
संतों द्वारा पूर्व में घोषित ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ से संबंधित प्रचार पत्र

उन्होंने इस सरकारी दावे को महाघोटाला करार दिया था और नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था.

बैठक में तय हुआ था कि 1 अप्रैल से 15 मई तक नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकाली जाए. जिसका नेतृत्व कम्प्यूटर बाबा को करना था, जबकि आयोजक पंडित योगेंद्र महंत होते. महंत ने तब ऐलान किया था कि भोपाल सचिवालय में संत धरना देंगे.

आंदोलित संत समाज की उस चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों साधु-संतों से अपने आवास पर बैठक भी की थी.

राज्य मंत्री का दर्जा मिलने के बाद बदले संत के सुर, ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ रद्द

मध्य प्रदेश में चुनावी साल में संतों का राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद उनके सुर बदल गए हैं. उनमें शामिल एक संत समेत दो लोगों ने सूबे की भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्तावित ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ रद्द कर दी है.

इन लोगों ने राज्य सरकार पर सीधे सवाल उठाते हुए एक अप्रैल से ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने की घोषणा की थी, लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद दोनों ने यह यात्रा रद्द कर दी है.

राज्य सरकार के तीन अप्रैल को जारी आदेश के अनुसार, प्रदेश के विभिन्न चिह्नित क्षेत्रों में विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए 31 मार्च को विशेष समिति गठित की गई है. इस समिति के पांच विशेष सदस्यों-नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भय्यू महाराज, कम्प्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया गया है.

बहरहाल, समिति में शामिल इंदौर के कम्प्यूटर बाबा की अगुवाई में एक अप्रैल से 15 मई तक प्रदेश के प्रत्येक ज़िले में ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालकर इस नदी की बदहाली का मुद्दा उठाने की रूपरेखा तय की गयी थी.

इस मुहिम की प्रचार सामग्री सोशल मीडिया पर वायरल है जिससे पता चलता है कि यह यात्रा नर्मदा नदी में जारी ‘अवैध रेत खनन पर अंकुश लगवाने’ और ‘इसके तटों पर किए गए पौधारोपण घोटाले’ की जांच की प्रमुख मांगों के साथ निकाली जानी थी.

राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने के बाद कम्प्यूटर बाबा ने बुधवार को कहा, ‘हम लोगों ने यह यात्रा निरस्त कर दी है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए साधु-संतों की समिति बनाने की हमारी मांग पूरी कर दी है. अब भला हम यह यात्रा क्यों निकालेंगे.’

यह पूछे जाने पर कि क्या एक संन्यासी के रूप में उनका राज्यमंत्री स्तर की सरकारी सुविधाएं स्वीकारना उचित होगा, उन्होंने जवाब दिया, ‘अगर हमें पद और दूसरी सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तो हम नर्मदा नदी के संरक्षण का काम कैसे कर पाएंगे. हमें समिति के सदस्य के रूप में नर्मदा नदी को बचाने के लिए ज़िलाधिकारियों से बात करनी होगी और दूसरे ज़रूरी इंतज़ाम करने होंगे. इसके लिए सरकारी दर्जा ज़रूरी है.’

जिन योगेंद्र महंत को कम्प्यूटर बाबा के साथ विशेष समिति में शामिल कर राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है, वह ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ के संयोजक थे.

बहरहाल, राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद महंत ने भी कहा कि नर्मदा नदी को बचाने के लिए समिति बनाए जाने की मांग प्रदेश सरकार द्वारा पूरी किए जाने के कारण यह यात्रा निरस्त कर दी गई है.

इस बीच, कांग्रेस ने कम्प्यूटर बाबा और महंत की मंशा पर सवाल उठाए हैं. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, ‘इन दोनों को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार के साथ कौन-सी डील के तहत नर्मदा घोटाला रथ यात्रा रद्द कर दी है. क्या इन्होंने राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने के लिए ही इस यात्रा का ऐलान किया था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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