क्यों भाजपा के दलित सांसद पार्टी के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं?

आम चुनाव अब नज़दीक हैं, ऐसे में भाजपा के अंदर से ही उठ रहे दलित सांसदों के विरोध के स्वर पार्टी नेतृत्व के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं.

/

आम चुनाव अब नज़दीक हैं, ऐसे में भाजपा के अंदर से ही उठ रहे दलित सांसदों के विरोध के स्वर पार्टी नेतृत्व के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं.

Dalit-MPs-UP
(बाएं से) भाजपा सांसद डॉ. यशवंत सिंह, छोटेलाल खरवार, सावित्री बाई फुले और अशोक दोहरे (फोटो: उत्तर प्रदेश सरकार/ट्विटर )

लखनऊ: दलितों की नाराजगी झेल रही भाजपा की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. बीते एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश के चार दलित सांसदों ने खुलकर पार्टी नेतृत्व के राज्य में दलितों के मुद्दों से निपटने खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाया है.

बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले, रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार, इटावा के अशोक कुमार दोहरे और नगीना से सांसद यशवंत सिंह ने आरोप लगाया है कि पार्टी का नेतृत्व दलितों से जुड़े मुद्दों जैसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न रोकथाम) क़ानून को कमजोर बनाना, पार्टी की आरक्षण विरोधी छवि, पुलिस के दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार से सही से नहीं निपट पा रहा है.

इनमें से एक ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात करनी चाही तब योगी ने उनकी बेइज्जती की.

देश भर के दलितों के नरेंद्र मोदी सरकार के ख़िलाफ़ एक होने के बाद भाजपा के दलित सांसदों का विरोध मुखर रूप से सामने आया है. दलितों के इस विरोध की झलक 2 अप्रैल को देश भर में विभिन्न दलित समूहों द्वारा बुलाये गए भारत बंद के रूप में दिखी थी.

सावित्री फुले, जो काफी समय से भाजपा से नाराज चल रही थीं, ने 1 अप्रैल को लखनऊ में स्वतंत्र रूप से एक रैली का आयोजन किया था. इस रैली में भगवा की जगह नीला रंग इस्तेमाल किया गया था, साथ ही बसपा के संस्थापक कांशीराम की तस्वीर भी मंच पर रखी थी.

इस आयोजन के दौरान फुले ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मैं देश की सांसद हूं. इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मैं सांसद रहती हूं या नहीं लेकिन मैं संविधान और आरक्षण में कोई बदलाव सहन नहीं करूंगी.’

हालांकि उन्होंने कोई नाम नहीं लिया लेकिन इस रैली में बुलाए गए वक्ता साफ तौर पर मोदी सरकार के खिलाफ थे.

इस रैली को भारतीय संविधान और आरक्षण बचाओ महारैली का नाम दिया गया था. यह आयोजन ‘अपराजेय’ दिखती भाजपा में पड़ रही दरारों को स्पष्ट दिखाता है. भाजपा सूत्रों ने द वायर  को बताया कि उत्तर प्रदेश में किसी ने यह नहीं सोचा था कि पार्टी का कोई सांसद, वो भी दलित, 2019 के आम चुनाव से महज साल भर पहले इतनी हिम्मत करेगा और पार्टी के खिलाफ रैली बुलाएगा.

इस रैली के एक दिन बाद बुलाया गया भारत बंद राज्य में हिंसक हो गया था क्योंकि सरकार को इसकी ताकत के बारे में अंदाजा नहीं था. इसलिए इस दौरान हुए प्रदर्शनों में बड़े पैमाने पर हिंसा और कई मौतें हुईं.

इधर भाजपा फुले की नाराजगी से नहीं निपट पाई थी कि रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें बेइज्जत किया. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री से दो बार मिला, मदद नहीं मिला डांट के भगा दिया.’

खरवार ने यह दावा किया कि उनके साथ भेदभाव किया गया और स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा उनके भाई को ब्लॉक प्रमुख के पद से हटा दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि उन पर हमला किया गया लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की.

भाजपा सांसद के मुख्यमंत्री द्वारा डांटकर भगाए जाने को विपक्ष ने हाथों-हाथ लिया और इसे दलित अस्मिता का मुद्दा बताया.

खरवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अपनी शिकायतें उन्हें बताई हैं. उन्होंने इस पत्र में यह भी लिखा है कि उन्होंने अपनी शिकायतों के चलते राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग से भी संपर्क किया है.

गौरतलब है कि खरवार स्वयं भाजपा के अनुसूचित जाति-जनजाति इकाई के प्रदेश अध्यक्ष हैं. द वायर  ने जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की तब उनके सहयोगियों ने कहा कि वे अपने किसी बीमार दोस्त से मिलने गए हुए हैं.

जब भाजपा बाबा साहेब आंबेडकर के नाम में ‘रामजी’ जोड़कर दलितों के प्रति अपना प्रेम जाहिर करने में व्यस्त है, एक अन्य दलित भाजपा सांसद अशोक दोहरे ने उत्तर प्रदेश पुलिस के प्रति अपनी नाराजगी जताई है.

उन्होंने कहा कि पुलिस राज्य में दलितों को निशाना बना रही है. इटावा से सांसद अशोक दोहरे ने आरोप लगाया है कि 2 अप्रैल को हुए भारत बंद में हुई हिंसा के बाद राज्य में पुलिस दलितों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रही है, साथ ही उनके खिलाफ झूठे मुक़दमे दर्ज किये जा रहे हैं.

दोहरे ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि दलितों को चुनकर उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये जा रहे हैं.

द वायर  से बात करते हुए दोहरे ने कहा, ‘क्योंकि संसद सत्र चल रहा है इसलिए मैं दिल्ली में था. उत्तर प्रदेश समेत ये सब जगह हो रहा है. इसलिए मैंने प्रधानमंत्री से मिलकर अपना पत्र उन्हें सौंपा. उन्होंने इस बारे में प्रदेश के कई प्रशासनिक अधिकारियों से बात भी की है.’ दोहरे ने मोदी को अपना नेता बताते हुए उनकी तारीफ भी की.

इसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने भी प्रधानमंत्री को खत लिखकर कहा है कि 2014 में आम चुनाव से पहले मोदी ने दलितों में उम्मीद जगाई थी कि उनकी सरकार गरीबों, वंचितों और दलितों के लिए काम करेगी लेकिन चार साल बाद भी सरकार ने 30 करोड़ दलितों से किया एक भी वादा पूरा नहीं किया है.

उन्होंने लिखा है कि देश में आरक्षण दलितों के लिए जीवनदायिनी हवा की तरह है, जिसके बगैर दलित और पिछड़े समाज का देश में कोई अस्तित्व नहीं रह जायेगा. पर अब इसे खत्म करने की कोशिशें की जा रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनका अपने लोगों को जवाब देना भी मुश्किल हो गया है.

उन्होंने यह भी गुजारिश की है कि मोदी सरकार निजी क्षेत्र में तत्काल आरक्षण लागू करवाने के साथ सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी कोटे पर खाली पदों पर भर्तियां पूरी करे. साथ ही सरकार पदोन्नति में आरक्षण के बारे में सोचे और सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट में किए बदलाव के फैसले को वापस लेने के मामले में हस्तक्षेप करे.

आम चुनाव में महज एक साल बाकी है, सपा और बसपा साथ आ चुके हैं, ऐसे में भाजपा के लिए स्थिति खराब होती जा रही है. हालांकि भाजपा राज्यसभा में बसपा सांसद की मदद से उत्तर प्रदेश से एक अतिरिक्त सीट जीतने में कामयाब रही है, लेकिन वह दलित समुदाय में बढ़ रही नाराजगी से निपटने में नाकाम है. राज्यसभा में जो बसपा प्रत्याशी हारा, वह दलित था. बसपा को राज्यसभा से बाहर रखने के लिए भाजपा ने हर तरह की जोड़-तोड़ की.

भाजपा अब डैमेज कंट्रोल मोड में है. (2 अप्रैल के बाद से अपने ज्यादातर भाषणों में मोदी ने आंबेडकर का नाम लिया है) उत्तर प्रदेश जहां पार्टी हाल ही में हुए उपचुनाव में दो महत्वपूर्ण सीटें खो चुकी है, पार्टी के सांसदों, खासकर दलित सांसदों की नाराजगी उसे महंगी पड़ सकती है.

इन मुद्दों से विपक्ष को आदित्यनाथ सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है. सपा प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने द वायर  से बात करते हुए कहा, ‘अभी कई भाजपा सांसद कतार में हैं. अभी कई और सामने आकर आवाज उठाएंगे. भाजपा का पर्दाफाश हो चुका है. दलितों को लग रहा है कि उन्हें धोखा दिया गया है. सांसदों को अब एहसास हो रहा है कि अब उन्हें मतदाताओं और समाज वालों का सामना करना होगा.’

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

(मोहम्मद फ़ैसल स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/pkv-games/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/bandarqq/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/dominoqq/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-5k/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-10k/ https://ikpmkalsel.org/js/pkv-games/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/scatter-hitam/ https://speechify.com/wp-content/plugins/fix/scatter-hitam.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/ https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/ https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/ https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://onestopservice.rtaf.mi.th/web/rtaf/ https://www.rsudprambanan.com/rembulan/pkv-games/ depo 20 bonus 20 depo 10 bonus 10 poker qq pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games bandarqq dominoqq