रोस्टर मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को

मुख्य न्यायाधीश के मुक़दमों के आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली इस जनहित याचिका को पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण ने दायर किया है.

(फोटो: पीटीआई)

मुख्य न्यायाधीश के मुक़दमों के आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली इस जनहित याचिका को पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण ने दायर किया है.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मुकदमों के आवंटन की वर्तमान प्रक्रिया को चुनौती देने वाली पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की जनहित याचिका पर सुनवाई करने का निश्चय किया है. मौजूदा व्यवस्था के तहत सुनवाई के लिये मुकदमों का आवंटन प्रधान न्यायाधीश करते हैं.

न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से इस याचिका पर सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया है.

दैनिक जागरण के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मामले पर 27 अप्रैल को फिर सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि याचिका में दलील दी गई है कि प्रधान न्यायाधीश सुनवाई के लिए मुकदमों का आवंटन करने के अधिकार का मनमाने तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते. हालांकि पीठ ने उस समय आपत्ति की जब भूषण के वकील ने 12 जनवरी की असाधारण घटना की ओर उसका ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया.

यह घटना शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की संयुक्त प्रेस कांफ्रेस से संबंधित है जिसमे उन्होंने प्रधान न्यायाधीश पर मनमाने तरीके से मुकदमों का आवंटन करने का आरोप लगाया था.

पीठ ने सख्त लहजे मे कहा, ‘हम इस पर गौर करने नहीं जा रहे हैं. कई कारणों से हमारा इससे कोई सरोकार नहीं है. यह सब मत कहिये.’

पीठ ने इसके साथ ही शीर्ष अदालत के हालिया फैसले का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें पहले ही यह व्यवस्था दी जा चुकी है कि प्रधान न्यायाधीश ‘रोस्टर के मुखिया’ हैं.

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने सुनवाई से किया था इंकार

गौरतलब है इससे पहले गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की इस जनहित याचिका सूचीबद्ध करने से इंकार कर दिया था.

चेलमेश्वर द्वारा पूर्व कानून मंत्री की जनहित याचिका सूचीबद्ध करने से इनकार किए जाने के बाद उनके पुत्र प्रशांत भूषण प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के न्यायालय में गए और वहां इस याचिका को सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह पीआईएल को सूचीबद्ध करने पर गौर करेंगे. बाद में वरिष्ठता क्रम में छठे नंबर पर आने वाले न्यायमूर्ति एके सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)