कठुआ में बच्ची के साथ बलात्कार न होने की ‘दैनिक जागरण’ की​ रिपोर्ट झूठी है

विशेष रिपोर्ट: दैनिक जागरण ने बीते 20 अप्रैल को ‘कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’ शीर्षक से एक रिपोर्ट अपने सभी प्रिंट और आॅनलाइन संस्करणों में प्रमुखता से प्रकाशित की थी.

//
(फोटो साभार: अल्ट न्यूज़)

विशेष रिपोर्ट: दैनिक जागरण ने बीते 20 अप्रैल को ‘कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’ शीर्षक से एक रिपोर्ट अपने सभी प्रिंट और आॅनलाइन संस्करणों में प्रमुखता से प्रकाशित की थी.

दैनिक जागरण के 20 अप्रैल के संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट.

कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’ यह फैसला बीते शुक्रवार दैनिक जागरण ने सुनाया है. ख़बर की शक्ल में यह फैसला दैनिक जागरण के लगभग सभी संस्करणों के पहले पन्ने पर प्रकाशित हुआ है.

कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुए जिस अपराध ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, दैनिक जागरण का कहना है कि वह अपराध हुआ ही नहीं था. तथ्यों को बेहद भ्रामक तरीके से रखते हुए दैनिक जागरण ने यह स्थापित करने की कोशिश की है कि कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई थी.

अपने डिजिटल संस्करण से जागरण ने यह खबर प्रकाशित करने के कुछ ही समय बाद हटा ली थी, लेकिन लगभग सात-आठ घंटे एक बार फिर से इस खबर को डिजिटल संस्करण में दोबारा प्रकाशित कर दिया गया.

दैनिक जागरण की इस खबर को अगर थोड़ा भी टटोला जाए तो पहली नज़र में ही साफ़ हो जाता है कि यह खबर पूरी तरह से तथ्यहीन और खोखली है.

अपनी खबर का मुख्य आधार दैनिक जागरण ने इस तथ्य को बनाया है कि इस मामले में एक नहीं बल्कि दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दाखिल की गई हैं. इनमें से किसी भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतिलिपि जागरण ने प्रकाशित नहीं की है.

दैनिक जागरण के अलावा और किसी भी स्रोत से दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की बात सामने नहीं आई है. इसके बावजूद अगर एक बार मान भी लिया जाए कि दैनिक जागरण में कही गई दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की बात सच है, तो भी इससे यह स्थापित नहीं होता कि बच्ची के साथ बलात्कार नहीं हुआ है.

दैनिक जागरण की ही खबर के अनुसार, ‘एक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची के शरीर पर छह ज़ख़्म हैं, जबकि दूसरी रिपोर्ट में सात ज़ख़्म का ज़िक्र है.’ ज़ख़्मों की संख्या में यह अंतर कहीं से भी यह स्थापित नहीं करता कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.

इसके अलावा दैनिक जागरण की रिपोर्ट में लिखा गया है कि ‘चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों रिपोर्ट में बच्ची के साथ बलात्कार का कोई ज़िक्र नहीं है.’ यह बात पूरी तरह से झूठ है.

इस मामले की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कई वेबसाइट्स पर प्रकाशित हो चुकी है लिहाज़ा इंटरनेट पर उपलब्ध है. इस रिपोर्ट में बच्ची के गुप्तांग का जो विवरण दर्ज है, वह सीधे तौर पर स्थापित करता है कि उसकी हत्या से पहले उसके साथ बलात्कार हुआ था.

किसी भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर आई चोटों के विवरण बिलकुल इसी तरह से दर्ज किए जाते हैं जैसे इस मामले में किए गए हैं. यह चोट किस कारण या कैसे आई, इसकी संभावनाओं का ज़िक्र आमूमन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं होता.

कुछ मामलों में डॉक्टर अपनी राय देते हुए चोट के संभावित कारणों का ज़िक्र पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अंतिम हिस्से में करते भी हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में डॉक्टर ऐसा करने से बचते हैं और सिर्फ़ चोट के विवरण ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दर्ज किए जाते हैं.

अमूमन जांचकर्ताओं के पूछने पर ही पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर या मेडिकल बोर्ड चोटों के संभावित कारण बताते हैं. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. जांचकर्ताओं ने जब बच्ची के गुप्तांग में आई चोटों के संभावित कारण मेडिकल बोर्ड से पूछे तो बोर्ड ने लिखित में यह बताया कि बलात्कार इसका कारण हो सकता है. यह बात इस मामले की चार्जशीट में भी दर्ज की गई है.

(फोटो साभार: अल्ट न्यूज़)
(फोटो साभार: ऑल्ट न्यूज़)

इस मामले में बच्ची के पोस्टमॉर्टम और पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की लिखित राय से यह स्थापित होता है कि बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. लेकिन दैनिक जागरण ने अपनी ख़बर में इन तथ्यों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है.

बच्ची के शरीर पर आए जिन ज़ख़्मों के पीछे डॉक्टरों ने बलात्कार को सबसे प्रबल संभावना बताया है, दैनिक जागरण ने उन्हीं ज़ख़्मों की कई अन्य आधारहीन संभावनाएं तलाशने की कोशिश की है.

दैनिक जागरण ने इस मामले को उलझाने के लिए कुछ अन्य झूठे तथ्य भी अपनी रिपोर्ट में लिखे हैं. मसलन, इस रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘पुलिस ने 17 जनवरी को जहां शव बरामद किया, क्राइम ब्रांच ने वहां उसे पत्थर मारने का दावा किया है. लेकिन पत्थर पर भी खून का निशान नहीं है. यानी बच्ची की मौत पहले हो चुकी थी.’

इसके अलावा एक कॉलम में ‘हत्या कहीं और होने की आशंका’ के शीर्षक के साथ जागरण ने लिखा है कि पोस्टमॉर्टम ‘रिपोर्ट के मुताबिक शव मिलने से 36 से 72 घंटे पहले मौत हो चुकी थी. इससे लगता है हत्या कहीं और की गई और शव रसाना में फेंका गया.’

दैनिक जागरण ने ये बातें या तो जानबूझकर आम पाठकों को भ्रमित करने के उद्देश्य से लिखी हैं या फिर इस मामले की चार्जशीट को उसके रिपोर्टर ने देखा ही नहीं है. क्योंकि जो सवाल दैनिक जागरण ने इस रिपोर्ट में उठाए गए हैं, उनके जवाब पहले ही इस मामले की चार्जशीट में दर्ज हैं.

पूरी चार्जशीट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: कठुआ मामला

चार्जशीट के अनुसार, ‘सांजी राम के निर्देश पर मन्नू, विशाल और नाबालिग आरोपित बच्ची को देवीस्थान से उठाकर सामने की एक पुलिया के पास ले गए. इसी दौरान दीपक खजुरिया भी वहां पहुंचा और उसने अन्य आरोपितों से कहा कि वो बच्ची को मारने से पहले एक बार फिर से उसके साथ बलात्कार करना चाहता है. दीपक और नाबालिग आरोपित ने एक बार फिर से बच्ची के साथ बलात्कार किया. इसके बाद दीपक ने बच्ची की गर्दन अपनी बाईं जांघ पर रखी और अपने हाथों से उसका गला दबाकर उसकी हत्या करने की कोशिश की. चूंकि दीपक इस तरह से बच्ची की हत्या करने में नाकाम रहा लिहाजा नाबालिग आरोपित ने बच्ची की पीठ पर अपने घुटने टिकाए और उसकी चुन्नी से उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. फिर नाबालिग आरोपित ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्ची मर गई है, दो बार उसके सिर पर पत्थर से भी वार किए.’

इस चार्जशीट में आगे लिखा है, ‘साज़िश के अनुसार बच्ची के शव को हीरानगर की नहर में फेंका जाना था. लेकिन गाड़ी का इंतज़ाम न हो पाने के चलते आरोपितों ने तय किया कि शव को ठिकाने लगाने तक उसे वापस देवीस्थान में ही रखना सुरक्षित होगा. लिहाज़ा नाबालिग आरोपित, विशाल, मन्नू और दीपक बच्ची के शव को देवीस्थान ले आए. इस दौरान सांजी राम देवीस्थान के बाहर निगरानी करता रहा. इसके बाद सभी आरोपित अपने-अपने घर चले गए. 15 जनवरी को सांजी राम ने अपने बेटे विशाल और नाबालिग आरोपित को बताया कि किशोर ने गाड़ी लाने से इनकार कर दिया है, लिहाज़ा शव को नहर में नहीं फेंका जा सकता. सांजी राम ने उन्हें ये भी निर्देश दिए कि वो शव को जंगल में ही फेंक आएं क्योंकि अगले दिन देवीस्थान में कई लोगों को आना था और सांजी राम को ही वहां धार्मिक अनुष्ठान करने थे लिहाज़ा अब ज़्यादा समय तक शव को देवीस्थान में रखना रखना सुरक्षित नहीं था.’

चार्जशीट में लिखी इन बातों से स्पष्ट है कि जांचकर्ताओं को हत्या की जगह और समय से लेकर शव की बरामदगी तक में कोई संदेह नहीं था. पोस्टमॉर्टम में दर्ज तथ्य भी चार्जशीट में लिखी इन बातों के अनुरूप ही हैं.

ऐसे में दैनिक जागरण की रिपोर्ट पर और भी ज़्यादा सवाल उठने लाज़िमी हो जाते हैं. यदि दैनिक जागरण ने कुछ नए तथ्यों के आधार पर चार्जशीट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाए होते, तब ज़रूर उसकी रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जा सकता था. लेकिन इस रिपोर्ट में तो पहले से सुलझे हुए और स्पष्ट तथ्यों को जानबूझकर उलझाने की कोशिश की गई है.

इस मामले में एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि इसकी प्राथमिक जांच उन्हीं पुलिस अधिकारियों ने की थी जो ख़ुद इस अपराध में शामिल थे.

इन पुलिस अधिकारियों ने एक झूठी कहानी गढ़ भी ली थी जिस कहानी के अनुसार, नाबालिग आरोपित ने बच्ची से बलात्कार की सिर्फ़ कोशिश की थी और फिर पकडे जाने के डर से उसकी हत्या कर दी थी.

(फोटो साभार: अल्ट न्यूज़)
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची के शरीर पर आई चोटों का विवरण. (फोटो साभार: ऑल्ट न्यूज़)

इस कहानी के अनुसार, नाबालिग आरोपित ने बच्ची को देवीस्थान में नहीं बल्कि जानवरों को बांधने के लिए बने एक कमरे में कई दिनों तक बांध कर रखा था और इस हत्या में वह अकेला शामिल था.

इस प्राथमिक जांच के कुछ ही दिनों बाद यह मामला विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दिया गया और तब धीरे-धीरे इस पूरे मामले का पर्दाफ़ाश हुआ. लेकिन चूंकि प्राथमिक जांचकर्ता ख़ुद ही इस अपराध में शामिल थे लिहाज़ा कई अहम सबूतों को मिटाने के प्रयास इस मामले में किए गए.

जैसे, बच्ची के कपड़ों को जांच के लिए भेजने से पहले ही धो दिया गया था और कई अहम सबूतों को जब्त ही नहीं किया गया. इसीलिए जब बच्ची के कपड़ों को फोरेंसिक जांच के लिए श्रीनगर भेजा गया तो आरोपितों के ख़िलाफ़ कोई भी ठोस सबूत हासिल नहीं हो सके. तब जांचकर्ताओं ने गृह मंत्रालय की अनुमति से इन कपड़ों और कुछ अन्य नमूनों को जांच के लिए दिल्ली की फोरेंसिक लैब में भेजा.

दिल्ली की लैब में जांच के दौरान बच्ची के ‘वेजाइनल स्वैब’ आरोपितों से मेल खाते हुए पाए गए. यही नहीं, देवीस्थान में मिले बालों से भी बच्ची का डीएनए मैच हुआ है. इन तमाम बातों का ज़िक्र चार्जशीट में भी विस्तार से लिखा गया है और दिल्ली की फोरेंसिक लैब के अधिकारियों के हवाले से कई अखबारों में भी प्रकाशित हुआ है.

ये तमाम बातें बच्ची के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की पुष्टि करती हैं. इसके बावजूद दैनिक जागरण ने खोखले और झूठे आधारों पर अपने सभी संस्करणों के पहले पन्ने पर यह खबर प्रकाशित की है जिसका शीर्षक फैसला सुनाता है कि कठुआ में बच्ची से बलात्कार नहीं हुआ था.

दैनिक जागरण की यह झूठी खबर कई लोगों के लिए हथियार का काम कर रही है. भाजपा के कई समर्थकों ने इस झूठी खबर को सोशल मीडिया पर जमकर साझा किया है.

‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नाम के एक फेसबुक पेज ये ही यह ख़बर हज़ारों बार शेयर हो चुकी है. डिजिटल से इतर दैनिक जागरण देश का दूसरा सबसे ज़्यादा बिकने वाला अखबार है. स्वाभाविक है कि प्रिंट संस्करण के माध्यम से भी यह खबर करोड़ों लोगों तक पहुंची होगी.

आम पाठकों की पहुंच न तो इस मामले की चार्जशीट तक है और न ही वे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसे क़ानूनी दस्तावेज़ों की तकनीकियों को समझते हैं. ऐसे में स्वाभाविक है कि करोड़ों लोगों के लिए ‘कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’ जैसा शीर्षक यह विश्वास करने के लिए काफी है कि इस मामले में आरोपितों को शायद ग़लत तरीके से फंसाया जा रहा है.

प्रेस काउंसिल या न्यायालय अगर ऐसी ख़बरों का संज्ञान लेते हुए अख़बार के ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्रवाई करे, तब ज़रूर यह उम्मीद बंध सकती है कि ऐसी धूर्तता भविष्य में नहीं दोहराई जाएगी. लेकिन मौजूदा माहौल में इन संस्थानों से भी ऐसी किसी ठोस कार्रवाई की उम्मीद धुंधली ही नज़र आती है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq