‘कांस्टिंग काउच’ की संस्कृति से संसद भी अछूती नहीं है: रेणुका चौधरी

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि ‘कास्टिंग काउच’ एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जो सिर्फ़ फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं.

New Delhi: Congress leaders Renuka Chowdhury and Kumari Selja during the budget session of Parliament in New Delhi on Friday. PTI Photo by Kamal Singh(PTI2_9_2018_000061B)
New Delhi: Congress leaders Renuka Chowdhury and Kumari Selja during the budget session of Parliament in New Delhi on Friday. PTI Photo by Kamal Singh(PTI2_9_2018_000061B)

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि ‘कास्टिंग काउच’ एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जो सिर्फ़ फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं.

New Delhi: Congress leaders Renuka Chowdhury and Kumari Selja during the budget session of Parliament in New Delhi on Friday. PTI Photo by Kamal Singh(PTI2_9_2018_000061B)
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी (बाएं). (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा है कि ‘कास्टिंग काउच’ एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जो सिर्फ़ फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे हर कार्यस्थल यहां तक कि संसद भी अछूती नहीं है.

बीते मंगलवार को रेणुका ने कहा, ‘भारत में वह समय आ गया है जब कहा जाए, ‘मीटू’ (#MeToo).

उनका यह बयान उस वक़्त आया जब बॉलीवुड की जानी-मानी नृत्य निर्देशक सरोज ख़ान ने कास्टिंग काउच की संस्कृति का बचाव किया.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘यह कड़वी सच्चाई है. यह सिर्फ़ फिल्म उद्योग में नहीं है. यह हर कार्यस्थल पर होता है. इसकी कल्पना मत करिए कि इससे संसद अछूती है या कुछ अन्य कार्य स्थल इससे अछूते हैं. अगर आप आज पश्चिमी जगत को देखें तो बड़ी अभिनेत्रियां भी सामने आईं और कहा कि ‘मीटू’.’

रेणुका के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता पीएल पूनिया ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.

दरअसल, ‘मीटू’ अभियान के मद्देनज़र दिए एक बयान में सरोज ख़ान ने इसके लिए महिलाओं को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि कास्टिंग काउच कोई नई बात नहीं है.

सरोज ख़ान (69) ने टेलीविजन नेटवर्क और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मीडिया के साथ उनकी बातचीत के वीडियो को लेकर बीते बुधवार को कहा, ‘मैंने पहले ही कहा है कि मैं माफ़ी मांगती हूं लेकिन आप वह सवाल नहीं जानते जो मुझसे पूछा गया था और अब इस पर काफ़ी हंगामा हो गया है.’

कास्टिंग काउच पर सरोज ख़ान ने कहा था, ‘ये चला आ रहा है बाबा आदम के ज़माने से. हर लड़की के ऊपर कोई न कोई हाथ साफ करने की कोशिश करता है. गवर्नमेंट के लोग भी करते हैं. तुम फिल्म इंडस्ट्री के पीछे क्यों पड़े हो? वो कम से कम रोटी तो देती है, रेप करके छोड़ तो नहीं देती.’

सरोज यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने कहा था कि ये लड़की के ऊपर निर्भर करता है कि वो अपने साथ क्या होने देना चाहती है. अगर उसके पास कला है तो वो अपने आप को क्यों बेचेगी.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सात फरवरी को राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी के हंसने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि रामायण धारावाहिक समाप्त होने के बाद पहली बार ऐसी हंसी सुनाई दी है.

इस टिप्पणी के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई थी. एक ओर भाजपा के नेता प्रधानमंत्री के इस बयान का बचाव करने में लग गए वहीं दूसरी ओर विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी पर आपत्ति भी जताई है.

मालूम हो कि साल 2017 के अक्टूबर महीने में हॉलीवुड निर्माता हार्वी वाइंस्टीन पर लगे यौन उत्पीड़न के कई आरोपों के बाद सोशल मीडिया पर #MeToo अभियान चलाया था.

हार्वी वाइंस्टीन पर एक के बाद एक कई हॉलीवुड अभिनेत्रियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. बीते पांच अक्टूबर को द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अमेरिकी फिल्म प्रोड्यूसर पर अभिनेत्रियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.

इसके बाद साल 2018 की शुरुआत में हॉलीवुड की ए-लिस्टर्स और अभिनेत्रियों ने इस इंडस्ट्री में व्याप्त संस्थागत यौन प्रताड़ना के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए टाइम्स अप अभियान शुरू किया था.

यह क़दम ख़ास तौर से हार्वी वाइंस्टीन के कथित यौन दुराचार के मामलों के बाद उठाया गया है. इस अभियान में 300 से ज़्यादा महिला हॉलीवुड कलाकार, निर्देशक, लेखक, प्रोड्यूसर आदि शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)